ढाई वर्षो बाद फिर सक्रिय हुआ पठानकोट हमले का आरोपी आतंकी मसूद अजहर
पठानकोट हमले के बाद पाकिस्तान सरकार ने मसूद के संगठन जैश-ए-मोहम्मद को इस हमले का जिम्मेदार मानते हुए कार्रवाई की थी।
नई दिल्ली [जयप्रकाश रंजन]। कुख्यात आतंकी संगठन जैश-ए-मोहम्मद के मुखिया मौलाना मसूद अजहर को अंतरराष्ट्रीय प्रतिबंधों से बचाने में अगर पाकिस्तान हर मुमकिन कोशिश करने में जुटा रहता है तो इसे समझना कोई मुश्किल नहीं है।
तकरीबन पिछले डेढ़ दशकों से पाकिस्तान में रह कर कश्मीर में आतंकी गतिविधियों को बढ़ाने में जुटा मसूद अजहर एक बार फिर नए सिरे से सक्रिय हो गया है। जनवरी, 2016 में पठानकोट हमले के बाद से अजहर कुछ दिनों के लिए नजरबंद किया गया था और उसके बाद से वह लगातार छिप कर रह रहा था।
भारतीय खुफिया एजेंसियों को पक्की सूचना मिली है कि वह पिछले कुछ हफ्तों से पाकिस्तान के पंजाब प्रांत के बहावलपुर समेत कई हिस्सों में कश्मीर पर रैलियां आयोजित कर रहा है। एजेंसियां मानती हैं कि वह कश्मीर के लिए नई भर्ती अभियान भी चला रहा है।
पठानकोट हमले के बाद पाकिस्तान सरकार ने मसूद के संगठन जैश-ए-मोहम्मद को इस हमले का जिम्मेदार मानते हुए कार्रवाई की थी। मसूद व उसके कुछ करीबी रिश्तेदारों को नजरबंद किया गया था और जैश के मुख्यालय पर भी कार्रवाई हुई थी। लेकिन उसके बाद में पाकिस्तान हुक्मरानों की तरफ से कभी नहीं बताया गया कि मसूद कहां है और क्या कर रहा है।
इस बीच भारत ने अमेरिका व अन्य देशों की मदद से मसूद के खिलाफ संयुक्त राष्ट्र के तहत प्रतिबंध लगाने की तीन बार कोशिश भी की लेकिन चीन की मदद से पाकिस्तान उसे बचाने में कामयाब रहा। अब जबकि पाकिस्तान समर्थन से कश्मीर में जारी आतंकवाद लगातार बढ़ रहा है तो मसूद का सीमा पार पाकिस्तान में नए सिरे से सक्रिय होना, भारतीय सुरक्षा एजेंसियों के लिए एक चिंता की बात है।
भारतीय एजेंसियों को मसूद अजहर की तरफ से हाल ही में पाकिस्तानी पंजाब के किसी सुदूर गांव में कश्मीर पर दिए गए एक भाषण की कापी हाथ लगी है। इसमें मसूद ने कश्मीर में जारी आतंकवाद को धर्मसम्मत बताते हुए भारत के खिलाफ खूब जहर उगला है। उसने कट्टर इस्लाम की धारणा के मुताबिक कश्मीर से बालीवुड, जींस व संगीत के खात्मे का आह्वान किया है।
इस भाषण में उसने कश्मीर में आतंक को जिहाद मानते हुए वहां आतंकी कार्रवाई में मरने वालों को शहीद मानने की गुजारिश पाकिस्तानियों से की है। भारतीय एजेंसियां यह भी मान रही है हो सकता है कि पिछले कुछ महीनों से जिस तरह से पाक से घुसपैठ कर कश्मीर में घुसे आतंकियों का सफाया हो रहा है उसे देखते हुए भी मसूद अजहर की जरुरत नए सिरे से पाकिस्तानी हुक्मरानों ने महसूस की हो।
मसूद अजहर व उसका संगठन भारत के खिलाफ इस्तेमाल किये जाने वाले पाकिस्तानी सेना के सबसे पुराने हथियार हैं। जैश ए मोहम्मद को दुनिया के तमाम देश आतंकी संगठन करार दे चुके हैं लेकिन अभी कश्मीर में जिहाद के नाम पर आतंकियों की भर्ती करने का उसका काम धड़ल्ले से पाकिस्तान में जारी है।
जैश के लोगों खुलेआम पाकिस्तान में कश्मीर के नाम पर चंदा वसूली करते हैं। उसके संगठन ने हाल के वर्षो में पठानकोट और उरी जैसे हमले किये हैं। जनवरी, 2016 में पठानकोट हमले के बाद तत्कालीन पीएम नवाज शरीफ के निर्देश पर जब मसूद अजहर को नजरबंद किया गया तो पाक सेना को यह बात बहुत बुरी लगी थी। पाक सेना के दबाव की वजह से पाक सरकार की तरफ से पठानकोट हमले के लिए गठित जांच समिति की रिपोर्ट भी सार्वजनिक नहीं की गई।