यात्रियों की जेब और होगी ढीली, IGI के ड्यूटी फ्री शॉप्स पर लगेगा GST
अथॉरिटी ऑफ एडवांस रूलिंग (एएआर) ने स्पष्ट किया है कि इन दुकानों को वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) का भुगतान करना होगा।
नई दिल्ली (प्रेट्र)। इंदिरा गांधी अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे के टर्मिनल-3 परिसर में स्थित ड्यूटी फ्री शॉप्स से खरीदारी करने वाले यात्रियों के टैक्स-छूट के दिन लद गए लगते हैं। अथॉरिटी ऑफ एडवांस रूलिंग (एएआर) ने स्पष्ट किया है कि इन दुकानों को वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) का भुगतान करना होगा, क्योंकि दिल्ली इंटरनेशनल एयरपोर्ट पर ऐसे शॉप्स को जीएसटी कानूनों के तहत टैक्स-छूट हासिल नहीं है।
पिछले वर्ष जुलाई में जीएसटी लागू होने से पहले ड्यूटी फ्री शॉप्स को केंद्रीय बिक्री कर (सीएसटी) और मूल्य वर्धित कर (वैट) का भुगतान नहीं करना पड़ता था। इसकी वजह यह थी कि इन शॉप्स से होने वाली बिक्री को 'निर्यात' का हिस्सा माना जाता था और इनकी आपूर्ति भारतीय सीमा शुल्क क्षेत्र से बाहर मानी जाती थी।एएआर का आदेश इंदिरा गांधी अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे के टर्मिनल-3 में रिटेल आउटलेट चला रही कंपनी रॉड रिटेल प्राइवेट लिमिटेड के एक आवेदन पर आया।
आदेश में एएआर की नई दिल्ली खंडपीठ ने कहा कि ड्यूटी फ्री शॉप्स से सामान खरीदने वाले अंतरराष्ट्रीय यात्रियों को आपूर्ति भले ही भारतीय सीमा शुल्क क्षेत्र के बाहर से हो रही हो, लेकिन ये शॉप्स केंद्रीय जीएसटी कानून के तहत भारतीय सीमा के अंदर आते हैं। एएआर के मुताबिक, 'जीएसटी एक्ट, 2017 की धारा 2(56) और कस्टम्स एक्ट, 1962 की धारा 2(27) के तहत कंपनी का आउटलेट भारतीय सीमा के अंदर है। ऐसे में आवेदक सामान भारत के बाहर नहीं ले जा रहा और इसे आइजीएसटी एक्ट, 2017 की धारा 2(5) के तहत निर्यात नहीं माना जा सकता। इसलिए आवेदक को लागू दर के हिसाब से जीएसटी देना होगा।'
विशेषज्ञों के मुताबिक एएआर के इस आदेश के बाद ऐसे शॉप्स का कारोबारी गणित ही बदल जाएगा। एएमआरजी एंड एसोसिएट्स के पार्टनर रजत मोहन ने कहा कि एएआर ने ड्यूटी फ्री शॉप्स को ड्यूटी से बाहर लाकर ऐसी शॉप्स को एयरपोर्ट के बाहर की शॉप्स के मुकाबले स्पर्धा से करीब-करीब बाहर कर दिया है। ये शॉप्स अच्छा-खासा किराया भरकर सीमा शुल्क क्षेत्र से बाहर करोबार करती हैं। वहीं, अन्र्स्ट एंड यंग (ईवाई) के पार्टनर अभिषेक जैन का कहना था कि एएआर ने 'निर्यात' की व्याख्या बेहद सीमित दायरे में की है। जैन ने कहा, 'ये शॉप्स देश के लिए बड़ी मात्रा में विदेशी मुद्रा की कमाई करती हैं। ऐसे में एएआर द्वारा निर्यात की इस तरह की व्याख्या से इन शॉप्स को नुकसान होगा'।