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सीमित ट्रेनों के लिए भी नहीं मिल रहे यात्री, कोरोना के बढ़ते प्रकोप से सहमे लोग, ज्यादातर सीटें खाली

कोरोना वायरस के बढ़ते प्रकोप के चलते इन दिनों ट्रेनों के लिए वेटिंग लिस्ट तो दूर कन्फर्म टिकट लेने वाले यात्रियों के लाले पड़े हैं। ट्रेनें यात्रियों की भारी कमी से जूझ रही हैं...

By Krishna Bihari SinghEdited By: Published: Fri, 05 Jun 2020 09:21 PM (IST)Updated: Sat, 06 Jun 2020 12:58 AM (IST)
सीमित ट्रेनों के लिए भी नहीं मिल रहे यात्री, कोरोना के बढ़ते प्रकोप से सहमे लोग, ज्यादातर सीटें खाली
सीमित ट्रेनों के लिए भी नहीं मिल रहे यात्री, कोरोना के बढ़ते प्रकोप से सहमे लोग, ज्यादातर सीटें खाली

सुरेंद्र प्रसाद सिंह, नई दिल्ली। भारतीय रेलवे के इतिहास में शायद यह पहला ऐसा मौका होगा... जब ट्रेनों को यात्रियों के आने का इंतजार करना पड़ेगा। वेटिंग लिस्ट तो दूर कन्फर्म टिकट लेने वाले यात्रियों के लाले पड़े हैं। रेलवे बोर्ड ट्रेनें चलाने की तैयारी किए बैठा है लेकिन चलाई गई स्पेशल ट्रेनों की समीक्षा में जो बातें उभर रही हैं, उससे तो लगता नहीं कि फिलहाल ट्रेनों का आवागमन जल्दी सामान्य हो सकेगा। रेलवे के अति व्यस्त रूटों की स्पेशल ट्रेनों में एडवांस बुकिंग की स्थिति ठीक नहीं है।

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गर्मियों में रहती थी भारी भीड़

इससे पहले गरमी के सीजन में इन दिनों हर साल आमतौर पर यात्रियों की भीड़भाड़ से पूरा रेलवे प्रशासन बेहाल रहता था। लेकिन, अब कोरोना के भय से यात्रियों के थम जाने से रेलवे में सन्नाटा सा छायाहै। दौ सौ स्पेशल ट्रेनों में जून के दूसरे हफ्ते से ही ज्यादातर सीटें खाली हैं। ऐसे हालात में रेलवे ट्रेन चलाए तो किसके लिए?

चौतरफा वायरस का खौफ

भारतीय रेलवे की हजारों किमी लंबी पटरियों पर 13 हजार से अधिक ट्रेनों की आवाजाही से एक अलग दुनिया चौबीस घंटे गुलजार रहती थी जो ठप सी हो गई है। भारतीय रेल के मुख्यालय रेल भवन से लेकर टिकट विंडो तक में कोरोना से छिटपुट संक्रमण के प्रकोप से चौतरफा वायरस का डर फैला हुआ है।

श्रमिक स्पेशल ट्रेनों का संचालन हुआ सीमित

प्रवासी मजदूरों के लौटने के साथ ही श्रमिक स्पेशल ट्रेनों का संचालन सीमित हो चुका है। अब तक कुल लगभग पांच हजार श्रमिक स्पेशल ट्रेनों का संचालन किया जा चुका है, जिससे 60 लाख से अधिक प्रवासी मजदूरों को उनके गंतव्य तक पहुंचा दिया गया है। फिलहाल गिनती की कुछ ट्रेनें ही बंगाल जैसे सुस्त राज्यों की मांग पर चल रही हैं।

90 फीसद से अधिक ट्रेनें खाली

आइआरसीटीसी की रिजर्वेशन साइट पर रेलवे के सबसे व्यस्त रूट नई दिल्ली से हावड़ा और पटना के बीच चल रही स्पेशल ट्रेनों में 19 जून से लेकर दो अक्तूबर के बीच 90 फीसद से अधिक ट्रेनें खाली हैं। इन ट्रेनों को यात्रियों की तलाश है। थर्ड एसी टिकटों की बिक्री के आधार पर जुलाई व अगस्त में सारी सीटें रिक्त हैं।

सभी ट्रेनों का एक सा हाल

चल रही ट्रेनों में संपूर्ण क्रांति, श्रमजीवी, ब्रह्मापुत्र स्पेशल, नई दिल्ली-पटना राजधानी का यह हाल है। इस रूट की वापसी वाली इन्हीं ट्रेनों की हालत तो बहुत ही खराब है। छह जून को जहां पटना से नई दिल्ली के बीच चलने वाली 02309 नंबर स्पेशल ट्रेन में 274 सीटें खाली है, वहीं जुलाई, अगस्त व सितंबर में 400 से अधिक सीटें रिक्त पड़ी हैं।

बड़ी संख्‍या में खाली हैं सीटें

यही हाल दरभंगा-नई दिल्ली और हावड़ा-नई दिल्ली के बीच चलाई गई ट्रेनों का है। भारतीय रेलवे का दूसरा व्यस्त रूट नई दिल्ली से मुंबई और अहमदाबाद का है। नई दिल्ली-बांद्रा, नई दिल्ली पनवेल और नई दिल्ली-मुंबई सेंट्रल के बीच चल रही ट्रेनों की हालत भी कमोबेश यही है। 10 जून से लेकर 22 जून तक इन ट्रेनों में 300 से लेकर 453 सीटें खाली हैं।

वापसी वाली ट्रेनों का बुरा हाल

जुलाई, अगस्त और सितंबर की हालत भी ऐसी ही है। नई दिल्ली अथवा नई दिल्ली होकर मुंबई जाने वाली गोल्डन टेंपल, पश्चिम एक्सप्रेस, मंगला एक्सप्रेस समेत सारी ट्रेनों में ज्यादातर सीटें खाली हैं। वापसी करने वाली इन ट्रेनों की 90 फीसद से अधिक सीटों के लिए यात्री नहीं हैं।

शताब्दी ट्रेनों पर जल्‍दबाजी नहीं

छोटी दूरी की ट्रेनों में लखनऊ, कानपुर, इलाहाबाद, बनारस, गोरखपुर, झांसी, देहरादून व बरेली के लिए स्पेशल बनकर चलने वाली ट्रेनों की हालत भी वैसी ही है। इससे स्पष्ट है कि भारतीय रेलवे बहुत जल्दी शताब्दी जैसी ट्रेनों का संचालन शुरू करने वाला नहीं है। नई दिल्ली से देहरादून के बीच चल रही जनशताब्दी ट्रेन में 10 जून से ही 500 से 600 सीटें रिक्त चल रही हैं। कानपुर व लखनऊ के बीच चलने वाली लोकप्रिय गोमती एक्सप्रेस में अप-डाऊन दोनों में सीटें खाली चल रही हैं। 


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