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रेलवे को हो सकता है घाटा, विमानों का रुख कर सकते हैं यात्री

फ्लेक्सी फेयर स्कीम लागू होने के बाद रेल यात्री विमानों का रुख कर सकते हैं।

By Manish NegiEdited By: Published: Fri, 09 Sep 2016 12:15 AM (IST)Updated: Fri, 09 Sep 2016 09:18 AM (IST)
रेलवे को हो सकता है घाटा, विमानों का रुख कर सकते हैं यात्री

नई दिल्ली, (जागरण ब्यूरो)। मामूली से फायदे के लिए रेलवे ने राजनीतिक के साथ-साथ वाणिज्यिक जोखिम भी मोल ले लिया है। क्योंकि राजधानी, दूरंतो और शताब्दी ट्रेनों में फ्लेक्सी फेयर स्कीम लागू होने से रेलवे को मात्र 500 करोड़ रुपये की अतिरिक्त कमाई होगी। ऐसे में रेलवे अफसर और परिवहन विशेषज्ञ भी इस फैसले पर अचरज जता रहे हैं। उनका कहना है कि यह स्कीम त्योहारों व गर्मियों में लंबी दूरी की प्रीमियम ट्रेनों में आरक्षण की बढ़ती मांग का फायदा उठाने के इरादे से लाई गई है। लेकिन इससे नुकसान भी संभव है क्योंकि रेल यात्रियों का यह तबका विमानों का रुख भी कर सकता है।

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अभी दिल्ली-मुंबई राजधानी का सेकंड एसी का आधार किराया 2369 रुपये है। इसमें आरक्षण शुल्क (50 रुपये), सुपरफास्ट चार्ज (45 रुपये), सर्विस टैक्स (111 रुपये) तथा खानपान शुल्क (295 रुपये) को जोड़ने पर कुल किराया 2870 रुपये बनता है।

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परंतु जब फ्लेक्सी फेयर स्कीम लागू होगी तो शुरू की 10 फीसद बर्थ को छोड़कर आगे की हर 10 फीसद बर्थ का आधार किराया बढ़कर क्रमश: 2606, 2843, 3080, 3317 और 3554 रुपये हो जाएगा। इसमें आरक्षण शुल्क, सुपरफास्ट शुल्क और कैटरिंग शुल्क तो ऊपर दी गई निश्चित दरों के हिसाब से ही लगेगा। परंतु सर्विस टैक्स प्रतिशत के अनुसार लगने से आधार किराये के अनुसार बढ़ेगा और क्रमश: 122, 132, 143, 154 तथा 164 रुपये हो जाएगा। इसके परिणामस्वरूप शुरू की दस फीसद बर्थ के बाद अगली हर दस फीसद बर्थ का कुल किराया क्रमश: 3118, 3365, 3613 और अंतत: 4108 रुपये हो जाएगा।

जानकारों के अनुसार इस किराये पर व्यस्त मौसम को छोड़ बाकी दिनों में हवाई जहाज की टिकटें भी मिल जाती हैं। ऐसे में ट्रेन में प्रतीक्षा सूची का टिकट लेने के बजाय लोग हवाई सफर को तवज्जो देंगे। इस तरह फ्लेक्सी फेयर में शुरू की 40 फीसद बुकिंग पर ही सारा दारोमदार रहने की संभावना है। क्योंकि इस स्तर तक अधिकतम बढ़ोतरी 26 फीसद ही है। जबकि इसके बाद की सीटों के लिए 35 और 43 फीसद अधिक राशि अदा करनी पड़ेगी।

जहां तक थर्ड एसी की बात है तो इस श्रेणी के किराये भी 32 फीसद तक बढ़ गए हैं। लेकिन इसके बावजूद इन यात्रियों के भागने की ज्यादा संभावना नहीं है। इसका कारण यह है कि दिल्ली से मुंबई के बीच राजधानी से सफर के लिए इन्हें अब भी ज्यादा से ज्यादा 2765 रुपये ही देने पड़ेंगे। और इस दर पर हवाई जहाज का टिकट मिलने की संभावना बहुत कम है।

वैसे राजधानी, दूरंतो और शताब्दी में फ्लेक्सी फेयर लागू किए जाने से रेलवे बोर्ड अनेक अफसर भी हैरत में हैं। एक अधिकारी ने कहा इसमें आर्थिक लाभ कम और राजनीतिक नुकसान ज्यादा है। क्योंकि डेढ़ गुना सुनते ही खराब लगता है। यदि राजस्व ही जुटाना ही मकसद था तो सभी ट्रेनों और श्रेणियों में 10 फीसद की एकमुश्त बढ़ोतरी बेहतर रहती। बदनामी तो तब भी होती। लेकिन कम से कम अधिक राजस्व मिलने का संतोष तो होता।

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