चीफ जस्टिस की कोशिश लाई रंग, 15 वर्ष बाद परिजनों से मिलेंगी पार्वती, जानें क्या है पूरी कहानी
परिजनों से बिछड़ी 33 वर्षीय पार्वती अपने बारे में कुछ भी बताने की स्थिति में नहीं थीं। उन्हें इस बात भी अंदाजा नहीं था कि अपने माता-पिता व भाई बहनों से फिर कभी मिल पाएंगी।
बिलासपुर, राज्य ब्यूरो। परिजनों से बिछड़ कर दर-दर भटकते हुए 15 साल पहले कोरबा पहुंची पार्वती (बदला हुआ नाम) रविवार को स्पेशल ट्रेन से पश्चिम बंगाल के लिए रवाना हो गई। छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस मेनन के निर्देश पर राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण व दक्षिण पूर्व मध्य रेलवे के अधिकारी उन्हें लेकर रवाना हुए। बिलासपुर के सेंदरी स्थित मानसिक चिकित्सालय में पार्वती को नया जीवन मिला। यादाश्त लौटी तो गांव का पता बता सकीं। उनके परिजनों की खोजबीन में प्राधिकरण के अधिकारियों को दो महीने कड़ी मशक्कत करनी पड़ी।
डॉक्टरों की मेहनत से मानसिक रूप से पूरी तरह स्वस्थ हो गई
परिजनों से बिछड़ी 33 वर्षीय पार्वती अपने बारे में कुछ भी बताने की स्थिति में नहीं थीं। उन्हें इस बात भी अंदाजा नहीं था कि अपने माता-पिता व भाई बहनों से फिर कभी मिल पाएंगी। मानसिक चुनौतियों से जूझ रही थीं। वर्ष 2017 में कोरबा पहुंचना उनके लिए अच्छा रहा। वह विक्षिप्त स्थिति में थीं। छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट के निर्देश पर स्थानीय जिला प्रशासन उन्हें इलाज के लिए अस्पताल में भर्ती कराया। तीन साल बाद 26 जून 2020 को उनके जीवन में एक बड़ा बदलाव आया। चिकित्सकों की मेहनत रंग लाई और वह मानसिक रूप से पूरी तरह स्वस्थ्य हो गई।
इस तरह शुरू हुई खोजबीन
छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस मेनन के निर्देश पर राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण के पत्र के आधार पर पश्चिम बंगाल राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण ने पार्वती के घरवालों की खोज शुरू की। दक्षिण 24 परगना के फ्रेजरगंज कॉस्टल थाना क्षेत्र स्थित एक गांव में एक व्यक्ति मिला जिसने पार्वती की तस्वीर देककर पहचान लिया। मानसिक हालत ठीक नहीं होने के कारण 14 वर्ष पहले उसकी बहन गुम हो गई थी। यहां पार्वती ने भी अपने परिजनों की तस्वीर पहचान ली। इस तरह चीफ जस्टिस की पहल पर छत्तीसगढ़ और पश्चिम बंगाल राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण भटकी महिला को उनके परिजनों से मिलाने की प्रक्रिया में अंतिम चरण में पहुंच गया है।