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बोफोर्स मामले में सीबीआइ को राजनीतिक हस्तक्षेप से बचाना होगा: संसदीय उप समिति

पब्लिक अकाउंट कमेटी (पीएसी) की अनुसंशा के बाद ड्राफ्ट रिपोर्ट को अंतिम रूप दिया जाएगा।

By Manish NegiEdited By: Published: Wed, 25 Apr 2018 08:28 PM (IST)Updated: Wed, 25 Apr 2018 08:28 PM (IST)
बोफोर्स मामले में सीबीआइ को राजनीतिक हस्तक्षेप से बचाना होगा: संसदीय उप समिति
बोफोर्स मामले में सीबीआइ को राजनीतिक हस्तक्षेप से बचाना होगा: संसदीय उप समिति

नई दिल्ली, प्रेट्र। बोफोर्स-हावित्जर तोप सौदे में कैग रिपोर्ट के पहलुओं का अध्ययन कर रही संसदीय उप समिति ने अपनी ड्राफ्ट रिपोर्ट में कहा है कि बोफोर्स मामले में सीबीआइ को राजनीतिक हस्तक्षेप से बचाना होगा। उप समिति में छह सदस्य हैं। इसकी अध्यक्षता बीजद सांसद भातृहारी मेहताब कर रहे हैं।

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पब्लिक अकाउंट कमेटी (पीएसी) की अनुसंशा के बाद ड्राफ्ट रिपोर्ट को अंतिम रूप दिया जाएगा। उप समिति ने एजेंसी से अनुरोध किया है कि बगैर डर और भेदभाव के इस मामले की जांच की जाए। गौरतलब है कि किसी भी संसदीय समिति के पास यह सबसे पुराना मामला है, जो अभी तक लंबित है। पिछले 27 सालों से कैग की रिपोर्ट का अध्ययन किया जा रहा है। उप समिति ने यह भी कहा गया है कि कुछ विधायी बदलाव हों, जिससे सीबीआइ को काम करने की और ज्यादा स्वायत्ता मिल सके। बुधवार को हुई बैठक में अन्नाद्रमुक के पोन्नुसामी वेणुगोपाल व कांग्रेस के मो. अली खान भी शामिल हुए।

सूत्रों का कहना है कि ड्राफ्ट रिपोर्ट में देरी इस वजह से भी हुई कि रक्षा मंत्रालय व सरकारी महकमों ने समिति को एक्शन टेकेन रिपोर्ट मुहैया कराने में देरी की थी। रिपोर्ट को अब मुख्य समिति के पास भेजा जाएगा। एक सांसद का कहना है कि वहां इसका विरोध होने की आशंका है, क्योंकि कांग्रेस के सांसद रिपोर्ट के कुछ पहलुओं पर सवाल जरूर उठाएंगे। मुख्य समिति की अध्यक्षता कांग्रेस सांसद मल्लिकार्जुन खड़गे कर रहे हैं। 90 के दशक में बोफोर्स मामले में सारे देश को हिलाकर रख दिया था। माना जाता है कि 1989 में तत्कालीन राजीव गांधी सरकार के पतन के लिए यह मामला कारक था। सीबीआइ ने हाल ही में 2005 के दिल्ली हाई कोर्ट के उस आदेश को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी है जिसमें इस मामले के आरोपियों को बरी कर दिया गया था।


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