प्रस्तावित सीमा चौकियों की संख्या घटाने पर संसदीय समिति ने जताई चिंता
समिति का कहना है कि इन चौकियों की स्थापना देश की सुरक्षा के लिहाज से बेहद अहम है।
नई दिल्ली, प्रेट्र : भारत-पाकिस्तान और भारत-बांग्लादेश सीमा पर प्रस्तावित नई सीमा चौकियों (बॉर्डर आउट पोस्ट) की संख्या घटाने के सरकार के फैसले पर एक संसदीय समिति ने कड़ा एतराज जताया है। समिति का कहना है कि इन चौकियों की स्थापना देश की सुरक्षा के लिहाज से बेहद अहम है।
वरिष्ठ कांग्रेसी नेता पी. चिदंबरम की अध्यक्षता वाली गृह मामलों की संसदीय स्थायी समिति का कहना है कि गृह मंत्रालय ने इस बात का कोई कारण नहीं बताया है कि दोनों सीमाओं पर 509 अतिरिक्त सीमा चौकियां स्थापित करने के प्रस्ताव को संशोधित करके उनकी संख्या 422 क्यों कर दी गई। समिति का कहना है कि देश की सुरक्षा के मद्देनजर 509 सीमा चौकियां स्थापित करने के मूल प्रस्ताव पर फिर से विचार किया जाना चाहिए। क्योंकि देश की सुरक्षा के लिए सीमा चौकियों के बीच दूरी घटाना बेहद अहम है, इससे सीमा पर हो रहीं गतिविधियों पर नजर रखना आसान होता है।
बता दें कि 2009 में सरकार ने भारत-पाकिस्तान और भारत-बांग्लादेश सीमा पर 1,832 करोड़ रुपये की लागत से 509 अतिरिक्त सीमा चौकियां स्थापित करने के प्रस्ताव को मंजूरी दी थी। 2016 में सुरक्षा मामलों की कैबिनेट समिति ने इसे संशोधित कर प्रस्तावित चौकियों की संख्या घटाकर 422 कर दी। 3,323 किमी लंबी भारत-पाकिस्तान सीमा पर वर्तमान में 609 सीमा चौकियां हैं और यहां 126 अतिरिक्त सीमा चौकियां (जम्मू में 38 के अपग्रेडेशन सहित) स्थापित की जानी हैं ताकि उनके बीच की दूरी घटाकर 3.5 किमी की जा सके। 4,096 किमी लंबी भारत-बांग्लादेश सीमा पर 802 सीमा चौकियां हैं और यहां 383 अतिरिक्त सीमा चौकियां स्थापित की जानी हैं।
समिति का कहना है कि घटाए गए लक्ष्य को भी हासिल नहीं किया गया है और 2016 के आखिर तक भारत-बांग्लादेश सीमा पर सिर्फ 97 सीमा चौकियां ही स्थापित की जा सकीं। समिति ने भारत-बांग्लादेश सीमा पर बाड़ लगाने की बेहद सुस्त गति पर भी चिंता व्यक्त की है, क्योंकि जुलाई 2015 से 17 महीनों के दौरान सिर्फ 21 किमी सीमा पर बाड़ लगाने का काम पूरा किया जा सका है।
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