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सरकार ने कहा- पहले भी की LOC पार, लेकिन इस बार की सर्जिकल स्ट्राइक अलग

संसदीय समिति को जानकारी देते हुए विदेश सचिव एस जयशंकर ने बताया कि पहली बार सुनियोजित तरीके से पीओके में भारतीय सेना ने कार्रवाई की।

By Rajesh KumarEdited By: Published: Tue, 18 Oct 2016 07:00 PM (IST)Updated: Wed, 19 Oct 2016 09:24 AM (IST)
सरकार ने कहा- पहले भी की LOC पार, लेकिन इस बार की सर्जिकल स्ट्राइक अलग

नई दिल्ली, प्रेट्र। सर्जिकल स्ट्राइक पर देश में राजनीतिक बयानबाजी हो रही है। कांग्रेस एक तरफ आरोप लगा रही है कि मौजूदा सरकार इसका फायदा उठाने की कोशिश कर रही है,जबकि यूपीए सरकार के दौरान भी सर्जिकल स्ट्राइक को अंजाम दिया गया था। इन सबके बीच विदेश सचिव एस. जयशंकर ने विदेश मामलों की संसदीय समिति को जानकारी दी कि सेना पहले भी नियंत्रण रेखा पार कर चुकी है। लेकिन यह पहली बार था कि सेना ने पाकिस्तान की धरती पर जाकर सुनियोजित तरीके से आतंकी कैंपों को ध्वस्त किया।

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एस जयशंकर ने बताया कि नियंत्रण रेखा पार पहले भी लक्षित और सीमित क्षमता वाले आतंक रोधी अभियान हुए हैं। उन्होंने कहा कि 29 सितंबर के सर्जिकल स्ट्राइक के बाद भविष्य में पाकिस्तान के साथ बातचीत का कैलेंडर अभी तैयार नहीं हुआ है। अभियान के तुरंत बाद पाकिस्तान सैन्य संचालन महानिदेशक को इस बारे में सूचना दी गई थी।

इससे पहले रक्षा मंत्री मनोहर पर्रीकर ने भी संप्रग सरकार के कार्यकाल में सर्जिकल स्ट्राइक के कांग्रेस के दावे को खारिज कर दिया था। उन्होंने कहा था कि उड़ी आतंकी हमले के बाद पहली बार सर्जिकल स्ट्राइक की गई। उनका कहना था कि पूर्व में कमांडरों ने स्थानीय स्तर पर अभियान किए। इनमें सरकार शामिल नहीं थी। करीब ढाई घंटे तक चली संसदीय समिति की बैठक में सेना उपप्रमुख ले. जन. बिपिन रावत ने भी नियंत्रण रेखा पार आतंकी लांच पैड पर हुई सर्जिकल स्ट्राइक का ब्योरा दिया।

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आतंकियों को हुए नुकसान के बारे पूछे जाने पर कहा कि सेना सर्जिकल स्ट्राइक के लिए गई थी न कि सुबूत इकट्ठा करने। सरकार के प्रतिनिधियों ने समिति को बताया कि स्ट्राइक का उद्देश्य पूरा हो गया है लेकिन पाकिस्तान को आशंका है कि भारत भविष्य में ऐसे ही स्ट्राइक करेगा। कांग्रेस के एक सदस्य ने जानना चाहा था कि क्या आगे भी ऐसी कार्रवाई होगी। बैठक में कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी मौजूद थे लेकिन उन्होंने कोई सवाल नहीं पूछा। इस दौरान रक्षा सचिव जी. मोहन कुमार और बीएसएफ के डीजी केके शर्मा भी मौजूद थे।

पिछले कुछ समय से देश के अंदर सर्जिकल स्ट्राइक को लेकर सवाल उठाए जा रहे थे और सबूत के तौर पर साक्ष्य मांगे जा रहे थे। सेना और सरकार ने सुरक्षा का हवाला देकर सबूत को सार्वजनिक करने से मना कर दिया था। वहीं 14 अक्टूबर को रक्षा मंत्रालय से जुड़ी संसद की स्थायी समिति को दी जाने वाली सर्जिकल स्ट्राइक की जानकारी के विषय को बदलकर सीमापार हमलों से सशस्त्र बलों के लिए इलेक्ट्रॉनिक मतदान सुविधा कर दिया था।

इस पर कांग्रेस की ओर से सख्त ऐतराज जताया गया था। समिति में कांग्रेस के सदस्य अंबिका सोनी और मधुसूदन मिस्त्री ने मांग कि है कि सर्जिकल स्ट्राइक के मसले को फिर से शामिल किया जाए। अम्बिका और मधुसूदन का कहना था कि अधिकारी 2004 से अब तक हुई सर्जिकल स्ट्राइक की जानकारी भी साझा करें।

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