अगर ऐसे रखी जाए ट्रैफिक पुलिस पर निगरानी, तो रुक जाएगा 10 हजार करोड़ का भ्रष्टाचार!
मोटर व्हीकल बिल 2017 (संशोधित) की जांच करने वाली संसदीय समिति ने सरकार से कहा है कि बिल में सुधार करने जरूरी हैं।
नई दिल्ली (प्रेट्र)। मोटर व्हीकल बिल 2017 (संशोधित) की जांच करने वाली संसदीय समिति ने सरकार से कहा है कि बिल में सुधार करने जरूरी हैं, तभी यह सार्थक हो सकेगा। सबसे तल्ख टिप्पणी ट्रैफिक पुलिस व आरटीओ में व्याप्त भ्रष्टाचार को लेकर की है। अधिकारियों व कर्मियों के शरीर पर कैमरे लगाने की व्यवस्था अगर सरकार करे तो दस हजार करोड़ का भ्रष्टाचार रुक जाएगा। समिति ने माना है कि वाहन के रजिस्ट्रेशन से लेकर आगे होने वाली तमाम प्रक्रिया के गोलमाल को देखा जाए तो सालाना 23 हजार करोड़ का भ्रष्टाचार है।
लोकसभा में पारित होने के बाद राज्यसभा में लटका है बिल
यह बिल सरकार ने पिछले सत्र में लोकसभा से पारित करा लिया था, लेकिन राज्यसभा में बहुमत से फैसला हुआ कि बिल की जांच 24 सदस्यों की समिति करेगी और अपने सुझाव देगी। बिल पर कई राज्यों ने पहले ही आपत्ति जताई है। विनय पी सहस्रबुद्धे की अगुआई वाली समिति ने कहा है कि राज्य बिल को लेकर जो शंका जता रहे हैं, वो निराधार हैं। समिति ने कहा है कि वाहनों के पंजीकरण का काम डीलरों के हवाले करने और नॉन प्रोडक्शन ऑफ व्हीकल आरटीओ ऑफिस के हवाले करने से प्रक्रिया और ज्यादा बेहतर हो सकेगी। हालांकि कुछ राज्यों की शंका है कि डीलर के पास पंजीकरण होना दुरुस्त नहीं रहेगा, लेकिन समिति का कहना है कि नियमों के उल्लंघन पर डीलर पर भारी जुर्माने का प्रावधान है। डीलर ऐसी हिमाकत नहीं करेंगे।
समिति ने सरकार से यह भी कहा है कि लंबी दूरी की बसों में शौचालय की व्यवस्था की जानी चाहिए। वाहनों की चोरी रोकने के लिए संजीदा कदम उठाने को लेकर समिति ने सरकार से बदलाव करने को कहा है, तो हादसे में घायलों के लिए पांच लाख का जुर्माना देने की सिफारिश की है। समिति ने कहा है कि अगर एक देश एक परमिट और एक टैक्स की अवधारणा पर राज्य सहमत हो जाएं तो न केवल राजस्व में वृद्धि होगी, बल्कि भ्रष्ट व्यवस्था पर अंकुश लग सकेगा। संशोधन में सड़क हादसे के लिए जिम्मेदार व्यक्ति की कम से कम सजा सात साल करने की सिफारिश की है। केंद्रीय सड़क व परिवहन मंत्री नितिन गडकरी का कहना है कि उन्हें बिल के जल्द पारित होने की उम्मीद है, जिससे सुधारों को कानून की शक्ल मिलेगी।
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