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संसदीय समिति ने एफएसएसएआइ से कहा, खाद्य सुरक्षा को गंभीरता से लें राज्य

समिति ने कहा कि खाद्य सुरक्षा कानूनों का उल्लंघन करने वालों को समय पर और उचित सजा देना जरूरी है। इसके साथ ही यह सुनिश्चित किया जाना भी जरूरी है कि खाद्य सुरक्षा के मामलों में कानून का उल्लंघन करने वालों के साथ कोई ढिलाई नहीं बरती जाए।

By Dhyanendra SinghEdited By: Published: Sat, 21 Nov 2020 10:12 PM (IST)Updated: Sat, 21 Nov 2020 10:12 PM (IST)
संसदीय समिति ने एफएसएसएआइ से कहा, खाद्य सुरक्षा को गंभीरता से लें राज्य
समिति ने कहा एफएसएसएआइ राज्यों व केंद्र शासित प्रदेशों पर दबाव बनाए

नई दिल्ली, प्रेट्र। एक संसदीय समिति ने एफएसएसएआइ से कहा है कि वह खाद्य सुरक्षा के मामलों में भ्रष्टाचार और अनैतिक आचरणों को गंभीरता से लेने के लिए राज्यों व केंद्र शासित प्रदेशों पर दबाव बनाए। खाद्य क्षेत्र के नियामक फूड सेफ्टी एंड स्टैंड‌र्ड्स अथॉरिटी ऑफ इंडिया (एफएसएसएआइ) को यह निर्देश देते हुए समिति ने कहा है कि खाद्य पदार्थो में मिलावट मामले लगातार बढ़ रहे हैं। स्वास्थ्य और परिवार कल्याण पर संसद की स्थायी समिति ने शनिवार को एफएसएसएआइ के कामकाज से संबंधित अपनी कार्रवाई रिपोर्ट पेश की।

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इस रिपोर्ट के तहत समिति ने एफएसएसएआइ से राज्यों व केंद्र-शासित प्रदेशों पर इस बात के लिए दबाव बनाने का आग्रह किया कि वे खाद्य सुरक्षा के मामलों में भ्रष्टाचार को गंभीरता से लें। समिति ने अनैतिक आचरण को रोकने के लिए एफएसएसएआइ द्वारा उठाए गए विभिन्न उपायों का उल्लेख किया और उम्मीद भी जताई कि भ्रष्ट आचरण पर कुछ हद तक काबू पाया जा सकेगा।

निगरानी तंत्र की कार्यशैली पर उठे सवाल 

रिपोर्ट में कहा गया है कि खाद्य पदार्थो में मिलावट के मामले लगातार बढ़ रहे हैं। ऐसे में कुछ कड़े कदम उठाने की जरूरत है। समिति ने खाद्य सुरक्षा निगरानी तंत्र की कार्यशैली पर सवाल उठाते हुए कहा कि देश में आजकल खाद्य पदार्थो में मिलावट की संख्या जिस हिसाब से बढ़ रही है, उसे देखते हुए राज्यों और केंद्र सरकार के पास निरस्त लाइसेंस की अच्छी-खासी संख्या होनी चाहिए थी। लेकिन मिलावट की घटना की संख्या के मुकाबले राज्यों और केंद्र के पास निरस्त लाइसेंसों की संख्या बहुत कम है। ऐसे में खाद्य सुरक्षा निगरानी तंत्र को लेकर आशंकाएं बेहद स्वाभाविक हैं।

समिति ने कहा कि खाद्य सुरक्षा कानूनों का उल्लंघन करने वालों को समय पर और उचित सजा देना जरूरी है। इसके साथ ही यह सुनिश्चित किया जाना भी जरूरी है कि खाद्य सुरक्षा के मामलों में कानून का उल्लंघन करने वालों के साथ कोई ढिलाई नहीं बरती जाए।


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