बच्चों व बुजुर्गों पर लापरवाही से संसदीय समिति नाराज, नौ साल से लटके पड़े मामले
समिति की रिपोर्ट में कहा गया है कि इससे स्पष्ट है कि सामाजिक जिम्मेदारियों के प्रति सरकार गंभीर नहीं है। अपने दिए आश्वासनों को पूरा करने की ओर मंत्रालय का ध्यान नहीं है।
नई दिल्ली, पीटीआइ। सामाजिक न्याय और सशक्तीकरण मामलों की संसदीय समिति ने बाल मजदूरी, भिखारियों की देखभाल और पुनर्वास, बुजुर्गों के लिए राष्ट्रीय नीति पर सरकार के रुख पर नाराजगी व्यक्त की है। समिति ने कहा है कि मंत्रालय ने 29 मामलों पर जो आश्वासन दिए हैं, वे पिछले नौ साल से लंबित पड़े हैं। किसी भी मामले में अपेक्षा के अनुरूप कार्य नहीं हुआ है।
समिति की रिपोर्ट में कहा गया है कि इससे स्पष्ट है कि सामाजिक जिम्मेदारियों के प्रति सरकार गंभीर नहीं है। अपने दिए आश्वासनों को पूरा करने की ओर मंत्रालय का ध्यान नहीं है। समिति ने कहा है कि महिला और बाल विकास मंत्रालय ने पिछले छह साल में बच्चों की दशा में सुधार के लिए कुछ खास नहीं किया। उनसे जुड़ी समस्याएं जस की तस हैं। इसी प्रकार से बुजुर्गों पर राष्ट्रीय नीति का मसला भी छह साल से लंबित है, जबकि भिखारियों से जुड़े मसले चिंता में डालने वाले हैं। उनके लिए भी कुछ खास नहीं किया गया। इसके अतिरिक्त अनुसूचित जाति और जनजाति वर्ग के लिए शिक्षा व्यवस्था में सुधार किया जाना था। शराब सेवन और नशीले पदार्थों के इस्तेमाल को रोकने के लिए भी कदम उठाए जाने थे, लेकिन उस दिशा में भी सरकार ने कुछ खास कार्य नहीं किया।
समिति ने कहा, संसदीय समितियों को दिए जाने वाले आश्वासनों को पूरा करने में सरकार के मंत्रालय गंभीर नहीं हैं। समिति ने निर्देश दिया है कि इन आश्वासनों की प्रगति पर नजर रखने और उनकी अद्यतन जानकारी देने के लिए एक खास अधिकारी की नियुक्ति की जाए। उस अधिकारी की जिम्मेदारी अन्य मंत्रालयों और विभागों से तालमेल बनाकर आश्वासन वाले कार्यों को गति प्रदान करने की भी होगी।