विपक्ष के तीखे तेवर से निपटने के लिए सत्ता पक्ष की अक्रामक तैयारी
सोमवार को हुई सर्वदलीय बैठक के दौरान विपक्ष ने अपने रवैये का साफ संकेत दे दिया।
जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। बुधवार से शुरू हो रहे संसद के शीतकालीन सत्र के दौरान सत्ता पक्ष और विपक्ष के बीच खींच-तान नई ऊंचाइयों तक पहुंच सकती है। सोमवार को हुई सर्वदलीय बैठक के दौरान विपक्ष ने अपने रवैये का साफ संकेत दे दिया।
इसने नोट बंदी के दौरान हो रही लोगों की समस्याओं के साथ ही कई अन्य मुद्दों पर भी सरकार को पुरजोर तरीके से घेरने की तैयारी की है। वहीं सरकार भी राष्ट्रहित से जुड़े इस मामले पर अपना रुख नरम करने वाली नहीं है।
लोकसभा अध्यक्ष सुमित्रा महाजन ने दो दिन बाद शुरू हो रहे संसद सत्र के दौरान काम-काज को सुचारू रूप से चलवाने के लिए सोमवार को सर्वदलीय बैठक बुलाई। बैठक के बाद कांग्रेस नेता गुलाम नबी आजाद ने कहा कि नोट बंदी की वजह से जिस तरह की समस्या लोगों को हो रही है उस पर उनकी पार्टी चुप रहने वाली नहीं है।
बैठक में शामिल अन्य विपक्षी दलों के रुख से भी साफ था कि वे इस मुद्दे पर सरकार को घेरने में कोई कसर नहीं छोड़ने वाली है। उधर, सरकार ने भी साफ कर दिया है कि काला धन और आतंकवाद के खिलाफ उठाए इस कदम को ले कर वह किसी तरह के दबाव में नहीं आएगी।
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16 नवंबर से शुरू हो रहा संसद का सत्र 16 दिसंबर तक चलेगा। इस दौरान विपक्ष की सभी पार्टियां इस मुद्दे पर सरकार को घेरने के लिए नियम 56 और 193 के तहत इस पर चर्चा की मांग करेगी। इसी तरह 'वन रैंक वन पेंशन' की मांग को ले कर पिछले दिनों एक पूर्व फौजी की आत्महत्या को भी कांग्रेस बड़ा मुद्दा बनाना चाहती है। मध्य प्रदेश में जेल तोड़ कर भागे सीमी कार्यकर्ताओं की मुठभेड़ और न्यूज चैनल एनडीटीवी पर प्रतिबंध को मीडिया पर आपातकाल बता कर कांग्रेस सरकार को निशाना बनाएगी।
अब मंगलवार को सरकार की ओर से भी सर्वदलीय बैठक बुलाई जाएगी, जिसमें विपक्षी दलों से सहयोग की गुजारिश की जाएगी। लेकिन सरकार ने यह भी तय कर लिया है कि वह नोट बंदी के मुद्दे पर खुद भी आक्रामक तेवर रखेगी।
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