माता-पिता ही दे रहे बच्चों को भीख मांगने का प्रशिक्षण, चल रहा रैकेट
राजस्थान की पर्यटन नगरी उदयपुर में पिछले तीन दिन में भिक्षावृत्ति करने वाले सौ से अधिक बच्चों को मुक्त कराया गया है।
उदयपुर, ब्यूरो। राजस्थान की पर्यटन नगरी उदयपुर में पिछले तीन दिन में भिक्षावृत्ति करने वाले सौ से अधिक बच्चों को मुक्त कराया गया है। बच्चों ने बताया कि उनसे उनके माता-पिता ही भिक्षावृत्ति करवा रहे हैं। इसके लिए माता-पिता ही उन्हें प्रशिक्षण देते हैं।
मानव तस्करी निरोधी यूनिट और चाइल्ड लाइन की संयुक्त कार्रवाई में उदयपुर के विभिन्न् स्थानों से भीख मांगने वाले बच्चों को मुक्त कराया गया था। बाल कल्याण समिति के सदस्य बीके गुप्ता ने बताया कि जब बच्चों से भिक्षावृत्ति को लेकर सवाल किए तो उन्होंने जो जानकारी दी, वह बेहद चौंकाने वाली रही। बच्चों ने बताया कि उनके माता-पिता ही उनसे भीख मंगवाते हैं।
भीख मांगने के तौर-तरीके भी उन्हीं के द्वारा सिखाए जाते हैं। इनमें से अधिकतर बच्चे माता-पिता के साथ ही भीख मांगते हैं। चाइल्ड लाइन के जिला समन्वयक नवनीत औदिच्य का कहना है कि भिक्षावृत्ति करने वाले बच्चों में सात से सत्रह साल के बच्चे शामिल हैं। एक सौ तीन बच्चों के माता-पिता और उनके अभिभावकों से बच्चों से भिक्षावृत्ति नहीं कराने के शपथ पत्र लिए गए हैं।
एक समाज पूरी तरह भिक्षावृत्ति में लगा
बाल कल्याण समिति के पदाधिकारियों के मुताबिक, शहर से नजदीक बडढांव में झुग्गी-झोपड़ियों में रहने वाले समाज विशेष ने तो भिक्षावृत्ति को पूरी तरह अपना रखा है। इस समाज के बच्चे हर शनिवार को शहर में भीख मांगने समूह में निकलते हैं और अलग-अलग क्षेत्रों में पहुंचते हैं। कई परिवारों ने सप्ताह का एक दिन भीख के लिए पेशे के रूप में अपना रखा है। यह बच्चे भीख के जरिये एक दिन में दो सौ से पांच सौ रुपए तक कमा लेते हैं। यह राशि उनके परिजन ले लेते हैं।
पर्यटक परेशान
राजस्थान में बच्चों की भिक्षावृत्ति को लेकर अभियान चलाया जा रहा है लेकिन पुलिस की नरमी से हालात में सुधार नहीं हो पाया है। उदयपुर में भीख मांगने वाले बच्चे धार्मिक स्थलों के साथ पर्यटन स्थलों पर ज्यादा पाए जाते हैं। इसके चलते पर्यटकों को परेशानी उठानी पड़ती है।
दो साल की सजा का प्रावधान
कानूनी प्रावधान है कि भिक्षावृत्ति करने पर दो साल की सजा हो सकती है, लेकिन अभिभावकों के खिलाफ कार्रवाई के लिए अभी कड़ा कानून नहीं बना है। बच्चों को छुड़ाते हैं। माता-पिता शपथ पत्र देकर भविष्य में बच्चों से ऐसा नहीं कराने की बात कहते हैं, लेकिन कुछ दिन बाद वे बच्चों को फिर से भीख मांगने भेज देते हैं।
बीके गुप्ता, सदस्य, बाल कल्याण समिति, उदयपुर