सुप्रीम कोर्ट में उठा सिंगल पैरेंट सैरोगेसी का मुद्दा
किराये की कोख के व्यवसायीकरण का विरोध कर रहे याचिकाकर्ता ने सुप्रीम कोर्ट में सिंगल पैरेंट सैरोगेसी पर चिंता जताते हुए इसे होने वाले बच्चे के मानसिक विकास के लिए बुरा बताया।
नई दिल्ली, माला दीक्षित। फिल्म निर्माता करण जौहर और अभिनेता तुषार कपूर भले ही बिना विवाह किये सैरोगेसी (किराये की कोख) के जरिये पिता बनने का सुख ले रहे हों लेकिन एक वर्ग ऐसा भी है जो सिंगल पैरेंट सैरोगेसी की बढ़ती प्रवृत्ति से चिंतित है।
मंगलवार को सुप्रीम कोर्ट में सिंगल पैरेंट सैरोगेसी का मुद्दा उठा। किराये की कोख के व्यवसायीकरण का विरोध कर रहे याचिकाकर्ता ने सुप्रीम कोर्ट में सिंगल पैरेंट सैरोगेसी पर चिंता जताते हुए इसे होने वाले बच्चे के मानसिक विकास के लिए बुरा बताया।
सुप्रीम कोर्ट में कई वर्षो से दो जनहित याचिकाएं लंबित हैं जिनमें किराए की कोख के व्यवसायीकरण पर रोक लगाने की मांग की गयी है। हालांकि इस बावत सरकार विधेयक भी ले आयी है जो फिलहाल संसद में लंबित है। उस पर इस समय संसद की स्थाई समिति विचार कर रही है।
मंगलवार को मामले पर सुनवाई के दौरान याचिकाकर्ता की ओर से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता शेखर नाफड़े ने सिंगल पैरेंट सैरोगेसी के बढ़ते प्रचलन पर चिंता जताई। उन्होंने कहा कि सैरोगेसी के व्यवसायीकरण को रोकने के लिए सरकार द्वारा लाए जा रहे बिल से वे सहमत और संतुष्ट हैं। सिंगल पैरेंट सैरोगेसी के मामले बढ़ गये हैं जो कि चिंता का विषय है। इससे होने वाले बच्चों की मानसिकता पर बुरा प्रभाव पड़ेगा। सिंगल पैरेंट सैरोगेसी में या तो बच्चे की मां होगी या पिता। उन्होने कहा कि ये भविष्य के लिए ठीक नहीं है। उनकी दलीलें सुनने के बाद पीठ ने उनसे कहा कि वे सालिसीटर जनरल के आफिस के जरिए अपनी मांग के बावत बिल पर विचार कर रही संसद की स्थाई समिति को ज्ञापन दें। कानून को लेकर मामला संसद में विचाराधीन होने पर कोर्ट ने मामले की सुनवाई छह जुलाई तक टाल दी।
सरकार के प्रस्तावित विधेयक के मुताबिक सिर्फ विवाहित दंपति ही बच्चे के लिए सैरोगेसी की प्रक्रिया अपना सकते हैं। यह भी शर्त है कि दंपति भारतीय नागरिक हो उनकी शादी को कम से कम पांच वर्ष हो चुके हों। इच्छुक दंपति में महिला की आयु 23 से 50 वर्ष और पुरुष की आयु 26 से 55 वर्ष के बीच होनी चाहिये। उनकी कोई जीवित संतान नहीं होनी चाहिये। हालांकि उसमें ऐसे बच्चे शामिल नहीं हैं जो कि मानसिक या शारीरिक रूप से अशक्त हों या जीवन को संकट में डालने वाली प्राणघातक बीमारी से ग्रसित हों। इसके अलावा इच्छुक दंपति में एक या दोनों की संतान पैदा करने की क्षमता नहीं होने का जिला मेडिकल बोर्ड का प्रमाणपत्र होना चाहिये।
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