Indian Railways: कोरोना संकट के चलते पैसेंजर ट्रेनों के बंद होने से अब पार्सल ट्रेनें बनेगी 'कामधेनु'
Indian Railways News रेलवे की आमदनी में पैसेंजर किराये की हिस्सेदारी मात्र 30 फीसद होती है जबकि 70 फीसद माल ढुलाई से।
सुरेंद्र प्रसाद सिंह, नई दिल्ली। वैश्विक महामारी कोविड-19 की चुनौतियों से जूझ रहे रेलवे ने अपने राजस्व में वृद्धि की प्रस्तावित रणनीति पर आगे बढ़ना शुरू कर दिया है। भारतीय रेलवे ने माल ढुलाई भाड़े में रियायत देकर अपनी आमदनी को बढ़ाने की योजना पर अमल करना शुरू कर दिया है। पैसेंजर ट्रेनों के बंद होने से जहां ज्यादातर गतिविधियां ठप पड़ी हुई हैं, वहीं आवश्यक वस्तुओं की आपूर्ति के लिए शुरू की गई पार्सल ट्रेनें रेलवे की 'कामधेनु' बन सकती हैं।
ट्रेनों के लिए पूरे यात्री नहीं मिल रहे, 13500 ट्रेनों के मुकाबले मात्र 115 जोड़ी ट्रेनें ही चल रही हैं
भारतीय रेलवे के पैसेंजर ट्रेनों के बंद हुए कई महीने हो चुके हैं, जिसके शुरू होने की फिलहाल कोई संभावना नहीं दिख रही है। 13500 ट्रेनों के मुकाबले मात्र 115 जोड़ी ट्रेनें ही चल रही हैं, जिनके लिए भी पूरे यात्री नहीं मिल पा रहे हैं। सिर्फ 34 जोड़ी ट्रेनें ही पूरी सवारी भरकर चल रही हैं। कुछ शहरों में सीमित लोकल ट्रेनों का संचालन हो रहा है।
कोरोना के चलते रेलवे का ताना बाना दुरुस्त रखने के लिए राजस्व जुटाने की रणनीति पर अमल शुरू
कोरोना संकट के चलते रेलवे का ताना बाना दुरुस्त रखने के लिए रेलवे के प्रबंध तंत्र ने राजस्व जुटाने की रणनीति पर अमल करना शुरू कर दिया है। इसके तहत माल ढुलाई को पिछले साल के मुकाबले 50 फीसद अधिक करने का लक्ष्य निर्धारित किया गया है। इसके लिए विभिन्न औद्योगिक व व्यापारिक संगठनों समेत अन्य पक्षकारों के साथ लगातार बैठकों का दौर जारी है।
माल भाड़े में रियायत देने का फैसला
इस दौरान मिले फीडबैक के आधार पर स्थानीय मंडल स्तर पर माल भाड़े में रियायत देने का फैसला किया गया है। यह अधिकार महाप्रबंधक स्तर के अफसरों को सौंपा गया है, जो रेलवे के हितों को ध्यान में रखते हुए ऐसे निर्णय ले सकते हैं। भाड़े में डिस्काउंट की सीमा 30 फीसद तक हो सकती है, लेकिन इस तरह के फैसले ढुलाई बढ़ाने के मकसद से लिया जाएगा।
रेल की कमायी में नई संभावनाएं पैदा कर रही हैं पार्सल ट्रेनें
लॉकडाउन के दौरान आवश्यक वस्तुओं की सप्लाई के लिए शुरुआत में लगभग एक सौ पार्सल ट्रेन चलाई गई, जो कमायी में नई संभावनाएं पैदा कर रही हैं। इन ट्रेनों से हो रही आमदनी को देखते हुए इनकी संख्या साढ़े चार हजार पहुंच गई है, जिन्हें आगे भी चलाने का फैसला ले लिया गया है। इन पार्सल ट्रेनों से खुदरा वस्तुओं की सप्लाई की जा रही है। इनमें मेडिकल उपकरण, दवाएं, खाद्य उत्पाद समेत ई-कामर्स से भेजी जाने वाली वस्तुएं प्रमुख हैं। यह सभी स्पेशल पार्सल ट्रेनों का संचालन टाइम टेबल के आधार पर किया जा रहा है।
रेलवे की आमदनी में 70 फीसद हिस्सेदारी माल ढुलाई से
लॉकडाउन के दौरान भी रेलवे ने खाद्यान्न व अन्य आवश्यक वस्तुओं की ढुलाई की गई, लेकिन लॉकडाउन के बाद औद्योगिक गतिविधियों के चालू होने के बाद रेलवे के व्यवसाय में तेजी आई है। रेलवे ट्रैक खाली होने की वजह से मालगाडि़यों की रफ्तार 23 किमी से बढ़कर 46 किमी प्रति घंटे हो गई है। तथ्य यह है कि रेलवे की आमदनी में पैसेंजर किराये की हिस्सेदारी मात्र 30 फीसद होती है, जबकि 70 फीसद माल ढुलाई से। इसी के मद्देनजर रेलवे ने परंपरागत माल ढुलाई के साथ पार्सल ट्रेनों का संचालन शुरू किया है।