मेडिकल क्षेत्र के लिए स्थायी हल देगी पानागढ़िया समिति
समिति में नीति आयोग के मुख्य कार्यकारी अधिकारी (सीईओ) अमिताभ कांत और प्रधानमंत्री के अतिरिक्त प्रधान सचिव पीके मिश्रा के अलावा स्वास्थ्य सचिव बीपी शर्मा भी शामिल हैं।
जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट के ताजा आदेश के बाद केंद्र सरकार ने मेडिकल शिक्षा और डाक्टरों पर निगरानी की स्थायी व्यवस्था का स्वरूप तय करने के काम को तेजी दे दी है। स्वास्थ्य मंत्रालय का कहना है कि यह योजना आयोग उपाध्यक्ष अरविंद पानागढि़या के नेतृत्व में गठित समिति की सिफारिशों के आधार पर ही अपना अगला कदम तय करेगा। हालांकि नई व्यवस्था कायम होने तक मेडिकल शिक्षा की गुणवत्ता के साथ ही पर्याप्त सीटें उपलब्ध करवाने की जिम्मेवारी जस्टिस लोढ़ा समिति की होगी। मौजूदा शैक्षणिक सत्र के दौरान 24 कालेजों की 2400 से ज्यादा सीटें मंजूरी के लिए लटकी हुई हैं।
केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय के वरिष्ठ सूत्रों के मुताबिक अरविंद पानागढि़या के नेतृत्व वाली समिति ने इस काम के लिए पिछले दिनों कई बैठकें की हैं। यह समिति प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के निर्देश पर बनी थी। इसमें नीति आयोग के मुख्य कार्यकारी अधिकारी (सीईओ) अमिताभ कांत और प्रधानमंत्री के अतिरिक्त प्रधान सचिव पीके मिश्रा के अलावा स्वास्थ्य सचिव बीपी शर्मा भी शामिल हैं। इसने अपनी हाल की बैठकों में एमसीआइ के अधिकारियों से भी बातचीत की है।
अधिकारी बताते हैं कि समिति रंजीत रायचौधरी समिति की सिफारिशों का भी अध्ययन कर रही है। रायचौधरी समिति का गठन इसी सरकार के दौरान किया गया था। इसने एक केंद्रीय कानून के जरिए राष्ट्रीय मेडिकल आयोग (एनएमसी) गठित करने का प्रस्ताव किया था। साथ ही इसके तहत चार स्वतंत्र बोर्ड भी गठित करने की सिफारिश की थी। इसके मुताबिक स्नातक मेडिकल शिक्षा और प्रशिक्षण बोर्ड, स्नातकोत्तर मेडिकल शिक्षा और प्रशिक्षण बोर्ड, नेशनल एसेसमेंट एंड एक्रीडेशन बोर्ड और नेशनल बोर्ड फार मेडिकल रजिस्ट्रेशन के रूप में सभी जिम्मेवारियां अलग-अलग संस्थानों को बांट दी जाएं। हालांकि अंतिम रूप से किसी नतीजे पर पहुंचने से पहले पानागढि़या समिति और भी कई पहलुओं पर विचार करेगी। सुप्रीम कोर्ट ने एमसीआइ की मौजूदा स्थिति से असंतोष जताते हुए निगरानी समिति तो गठित की है, लेकिन अपनी ओर से कोई सुझाव नहीं दिया है।
उधर, सुप्रीम कोर्ट की ओर से गठित जस्टिस आरएम लोढ़ा की अध्यक्षता वाली निगरानी समिति भी जल्दी ही अपना काम शुरू कर देगी। इसका गठन सुप्रीम कोर्ट ने मेडिकल काउंसिल आफ इंडिया (एमसीआइ) की निगरानी के लिए किया है। इसके सामने मेडिकल की राष्ट्रीय पात्रता सह प्रवेश परीक्षा (नीट) करवाने की जिम्मेवारी तो होगी ही, साथ ही इसे मेडिकल कालेजों की मान्यता और मंजूरी की मौजूदा व्यवस्था को भी दुरुस्त करने की जिम्मेवारी होगी। मौजूदा सत्र के दौरान 24 मेडिकल कालेजों की 2400 से ज्यादा सीटों पर दाखिला रुका हुआ है। एक ओर जहां देश में डाक्टरों की भारी कमी है, वहीं इन कालेजों में उपलब्ध भारी-भरकम आधारभूत ढांचे का किस तरह उपयोग किया जाए, यह जस्टिस लोढ़ा समिति को देखना होगा।
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