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मामा-भांजे की घोटालेबाजी पर पालनपुर का जैन समाज हैरान

नीरव के देश से बाहर भाग जाने की खबर आने के बाद से पालनपुर में ऐसे लोग नहीं मिल रहे जो उससे या फिर उसके मामा मेहुल से अपनी करीबी के बारे में बात करने के लिए तैयार हो।

By Manish NegiEdited By: Published: Mon, 19 Feb 2018 10:39 PM (IST)Updated: Tue, 20 Feb 2018 06:47 AM (IST)
मामा-भांजे की घोटालेबाजी पर पालनपुर का जैन समाज हैरान
मामा-भांजे की घोटालेबाजी पर पालनपुर का जैन समाज हैरान

नई दिल्ली, जेएनएन। गुजरात के पालनपुर के जैन समाज के लोग हीरा कारोबार में अपनी पहचान के साथ एक साख भी रखते हैं। उनकी साख मुंबई और सूरत से लेकर बेल्जियम के एंटवर्प शहर तक है। एटंवर्प के गुजराती मूल के हीरा कारोबारियों में एक बड़ी संख्या पालनपुर के जैनियों की है। नीरव मोदी परिवार की जड़ें भी पालनपुर में हैं। नीरव के नाम में मोदी लगा होने के कारण विरोधी दल के कुछ नेता भले ही उसे नरेंद्र मोदी से जोड़कर लोगों को गुमराह करने की कोशिश कर रहे हों, लेकिन सच यह है कि नीरव मोदी जैन है। उसके परिजन यहीं से सिंगापुर होते हिए एंटवर्प पहुंचे थे।

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नीरव मोदी के परिवार ने एंटवर्प में बसने के बाद भी पालनपुर से अपना संबंध बनाए रखा, लेकिन यहां के जैन कारोबारी समेत अन्य नीरव और उसके मामा को अच्छी निगाह से नहीं देखते थे। वे मामा-भांजा के बिजनेस माडल को शक की निगाह से ही नहीं देखते थे, बल्कि उनके साथ उधार का सौदा भी नहीं करते थे। बीते तीन-चार सालों से सूरत या फिर मुंबई के पालनपुर के हीरा कारोबारी नीरव और मेहुल को नकदी पर ही हीरे देते थे। ऐसा इसलिए था, क्योंकि ये दोनों उधार चुकता करने के मामले में बदनाम थे। नीरव-मेहुल का कारनामा सामने आने के बाद उनके साथ काम कर चुके कारोबारी हैरान नहीं। हां वे इससे जरूर चकित हैं कि आखिर बैंक वालों को कैसे नहीं पता चल पाया कि मामा-भांजा के तौर-तरीके ठीक नहीं?

देश-दुनिया के लोग भले ही नीरव को एक शर्मीले कारोबारी के तौर पर जानते रहे हों, लेकिन पालनपुर के जैन समाज की नजर में वह अकड़ू और घमंडी था। उसके मामा की भी ऐसी ही छवि थी और शायद इसी कारण उसे पप्पूभाई नाम से जाना जाता था। जैन समाज के अन्य लोगों की तरह नीरव भी शाकाहारी था। कहते हैं कि उसके दफ्तरों में भी मांसाहारी भोजन की अनुमति नहीं थी। पालनपुर के लोगों को यकीन नहीं हो रहा कि जैन समाज की मान्यताओं पर निष्ठा दिखाने वाले नीरव और मेहुल ऐसा काम करेंगे। नीरव की कारगुजारी का भंडाफोड़ होने के बाद पालनपुर का जैन समाज सन्न है। इस समाज के लोग नीरव के बारे में सीधे तौर पर कुछ कहने से बच रहे हैं। तेरापंथ संप्रदाय के पूर्व अध्यक्ष राजेश जैन ने अवश्य कहा है कि नीरव की हरकत ने देश को आर्थव्यवस्था को भंयकर नुकसान पहुंचाया है। उनके मुताबिक बैंक और सरकार सचेत होती तो कोई जनता की गाढ़ी कमाई लूटकर नहीं ले जाता। तेरापंथ जैन समाज का एक प्रमुख और समर्थ संप्रदाय है।

नीरव के देश से बाहर भाग जाने की खबर आने के बाद से पालनपुर में ऐसे लोग नहीं मिल रहे जो उससे या फिर उसके मामा मेहुल से अपनी करीबी के बारे में बात करने के लिए तैयार हो। नीरव मोदी का पालन-पोषण और शुरुआती पढ़ाई एंटवर्प में हुई, लेकिन जन्म भारत में हुआ। वह अपने माता-पिता की पहली संतान है और उन दिनों यह रिवाज था कि पहली संतान के जन्म के वक्त जैन समाज की महिलाएं मायके आ जाती थीं। एंटवर्प में पढ़ाई के बाद वह उच्च शिक्षा के लिए अमेरिका गया, लेकिन जल्द ही भारत अपने मामा मेहुल के पास लौट आया। यहां उसने पहले नाम कमाया और फिर उसे मिट्टी में भी मिला दिया। हीरा कारोबार पहले भी तमाम अनुचित तौर-तरीकों के लिए जाना जाता रहा है। एक समय इस कारोबार में कालेधन के साथ धोखाधड़ी का भी बोलबाला था, लेकिन नीरव की हरकत ने इस कारोबार को और संदिग्ध बनाने का काम किया है। इसकी आशंका बढ़ गई हैं कि अब नीरव की नीची हरकत के कारण बैंक अफसर अन्य हीरा कारोबारियों को भी संदेह की नजर से ही देखेंगे।


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