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Fact Check: पाकिस्तान की तरफ से कश्मीर में दुष्प्रचार के जरिए हिंसा भड़काने की कोशिश, यूं खुली पोल

विश्वास न्यूज की पड़ताल में यह दावा पाकिस्तान की तरफ से किया जा रहा दुष्प्रचार साबित होता है जिसकी मदद से जम्मू-कश्मीर में तनाव पैदा करने की कोशिश की जा रही है।

By Sanjay PokhriyalEdited By: Published: Tue, 13 Aug 2019 12:32 PM (IST)Updated: Tue, 13 Aug 2019 01:22 PM (IST)
Fact Check: पाकिस्तान की तरफ से कश्मीर में दुष्प्रचार के जरिए हिंसा भड़काने की कोशिश, यूं खुली पोल
Fact Check: पाकिस्तान की तरफ से कश्मीर में दुष्प्रचार के जरिए हिंसा भड़काने की कोशिश, यूं खुली पोल

नई दिल्‍ली [जागरण स्‍पेशल]। जम्मू-कश्मीर से आर्टिकल 370 को हटाए जाने के बाद पाकिस्तान की तरफ से किए जा रहे दुष्प्रचार का एक और मामला सामने आया है। पाकिस्तानी पत्रकार वाज एस खान के वेरिफाइड ट्विटर हैंडल से किए गए ट्वीट में कश्मीर में तैनात सुरक्षा बलों के बीच कथित मतभेद का दावा किया गया है। विश्वास न्यूज की पड़ताल में यह दावा पाकिस्तान की तरफ से किया जा रहा दुष्प्रचार साबित होता है, जिसकी मदद से जम्मू-कश्मीर में तनाव पैदा करने की कोशिश की जा रही है।

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क्या है वायरल पोस्ट में?
12 अगस्त को वाज एस खान के आधिकारिक ट्विटर हैंडल से किए गए ट्वीट में दावा किया गया है, 'कश्मीर में तैनात सुरक्षा बलों के बीच मतभेद उभर रहे हैं। एक मुस्लिम कश्मीरी पुलिसकर्मी ने सीआरपीएफ के पांच सुरक्षाबलों की गोली मारकर इसलिए हत्या कर दी क्योंकि कर्फ्यू पास नहीं होने की वजह से उन्होंने एक गर्भवती महिला को जाने से मना कर दिया था। हमले के बाद से स्थिति बदल रही है।' पड़ताल किए जाने तक इस फर्जी ट्वीट को करीब 2,000 से अधिक बार रिट्वीट किया जा चुका है।

पड़ताल
चूंकि ट्वीट में कश्मीर का जिक्र किया गया था, इसलिए हमने जम्मू-कश्मीर पुलिस के ट्विटर हैंडल को खंगाला, जहां आर्टिकल 370 को हटाए जाने के बाद से लगातार जमीनी स्थिति की जानकारी दी जा रही है, ताकि अफवाहों का खंडन किया जा सके। 12 अगस्त को कश्मीर के पुलिस महानिरीक्षक एस पी वानी की तरफ से दिए गए बयान के मुताबिक कश्मीर में सुरक्षा बलों के बीच मतभेद तो दूर, सामान्य हिंसा का भी कोई मामला सामने नहीं आया है।

वानी के दिए गए मीडिया बयान के मुताबिक, ‘कानून-व्यवस्था से जुड़े हुए मामूली और स्थानीय मामले सामने आए, जिसे पेशेवर तरीके से निपटा गया। इन मामलों में कुछ लोगों के घायल होने की खबर है और घाटी में सामान्य तौर पर स्थिति नॉर्मल है।’

ट्वीट में किया गया दावा सेंट्रल रिजर्व पुलिस फोर्स (CRPF) को लेकर था। मामले की संवेदनशीलता को देखते हुए सीआरपीएफ की तरफ से इस मामले का खंडन करते हुए स्पष्टीकरण जारी किया गया।

सीआरपीएफ ने कहा, ‘इस ट्वीट में दी गई दुर्भावनापूर्ण जानकारी पूरी तरह से आधारहीन और गलत है। हमेशा की तरह ही भारत के सभी सुरक्षाबल समन्वय के साथ और मिलकर काम करते हैं। राष्ट्रभक्ति और तिरंगा हमारे दिलों में बसता है, बेशक हमारी वर्दी का रंग अलग-अलग ही क्यों न हो।’

गृह मंत्रालय के प्रवक्ता की तरफ से CRPF के इस ट्वीट को रिट्वीट किया गया है, जो मंत्रालय के आधिकारिक रुख की पुष्टि करता है।

इसके बाद जब हमने न्यूज सर्च की मदद ली तो हमें वहां भी ऐसी कोई खबर नहीं मिली। यह पहली बार नहीं है, जब पाकिस्तान की तरफ से जम्मू-कश्मीर को लेकर दुष्प्रचार किया गया हो। आर्टिकल 370 के खात्मे के बाद से पाकिस्तान लगातार गलत वीडियो और फोटोज की मदद से प्रोपेगेंडा फैलाने में लगा हुआ है।

इससे पहले पाकिस्तान के एक मंत्री ने अपने ट्विटर हैंडल से गलत और फर्जी वीडियो जारी कर दुष्प्रचार किया था, जिसकी पड़ताल विश्वास न्यूज ने की थी।

निष्कर्ष: जम्मू-कश्मीर में सीआरपीएफ जवानों के बीच मतभेद के दावे को लेकर पाकिस्तानी पत्रकार का किया गया ट्वीट पाकिस्तान सरकार के प्रोपेगेंडा का हिस्सा है, जिसके तहत लगातार फर्जी वीडियो और फोटोज शेयर कर कश्मीर में हालात को खराब करने की साजिश रची जा रही है।

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