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पाकिस्तान प्रायोजित है खालिस्तान की मांग, भारत ही नहीं कनाडा को भी है इससे खतरा

मशहूर पत्रकार टैरी मिलेवस्की सीबीसी से रिटायर हो चुके हैं लेकिन प्रमुख विषयों पर वह अपने कार्यक्रम और लेख देते रहते हैं। मिलेवस्की की ताजा रिपोर्ट ओटावा की प्रतिष्ठित संस्था मैकडोनाल्ड लॉरिएर इंस्टीट्यूट ने प्रकाशित की है ।

By Dhyanendra SinghEdited By: Published: Fri, 18 Dec 2020 07:50 PM (IST)Updated: Fri, 18 Dec 2020 07:50 PM (IST)
पाकिस्तान प्रायोजित है खालिस्तान की मांग, भारत ही नहीं कनाडा को भी है इससे खतरा
पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान और कनाडा के प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो की फाइल फोटो

नई दिल्ली, आइएएनएस। कनाडा के एक प्रमुख पत्रकार ने कहा है कि खालिस्तान की मांग को पाकिस्तान अपने हितों के लिए हवा दे रहा है, यह न केवल भारत की राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए खतरनाक है बल्कि इससे कनाडा को भी खतरा है। टैरी मिलेवस्की कनाडा के सबसे लोकप्रिय न्यूज चैनल सीबीसी टीवी के लिए 52 देशों में 40 साल तक कार्य कर चुके हैं। उन्होंने अमेरिका में रोनाल्ड रीगन, एचडब्ल्यू बुश और बिल क्लिंटन के कार्यकालों में रिपोर्टिग की है। उनकी रिपोर्ट इसलिए भी मायने रखती है कि कनाडा के प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो ने कई मौकों पर कट्टरपंथी सिखों की मांग का समर्थन किया है।

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मिलेवस्की सीबीसी से रिटायर हो चुके हैं लेकिन प्रमुख विषयों पर वह अपने कार्यक्रम और लेख देते रहते हैं। मिलेवस्की की ताजा रिपोर्ट ओटावा की प्रतिष्ठित संस्था मैकडोनाल्ड लॉरिएर इंस्टीट्यूट ने प्रकाशित की है। इसमें बताया गया है कि पाकिस्तान ने किस प्रकार से खालिस्तानी आंदोलन को प्रतिस्थापित किया और इसके बाद इसे हवा दी। पाकिस्तान ने 1971 के भारत-पाक युद्ध में अपनी हार का बदला लेने के लिए सिखों को अपना हथियार बनाया। भारत ने पूर्वी पाकिस्तान में पाकिस्तानी सेना का नरसंहार रोकने के लिए वहां हस्तक्षेप किया था और उसी के बाद वह इलाका स्वतंत्र होकर बांग्लादेश कहलाया। पाकिस्तान इसका बदला भारत से लेना चाहता है। इसके लिए वह खालिस्तान की मांग को हवा देकर उसे भारत से अलग करना चाहता है। इतना ही नहीं खालिस्तान की मांग का समर्थन करने के पीछे पाकिस्तान की वजह यह भी है कि नया राष्ट्र बनने की स्थिति में भारत का कश्मीर से जमीनी संपर्क खत्म हो जाएगा। कश्मीर पाकिस्तान के लिए 1947 से ही प्रिय विषय बना हुआ है।

खालिस्तान की मांग से जुड़ी यह हकीकत कनाडा, ब्रिटेन और अमेरिका हैं जानते

मिलेवस्की ने कहा, खालिस्तान की मांग करने वाले 1984 में भारत में हुए सिख दंगों और उनमें हजारों सिखों के मारे जाने की बात तो कहते हैं लेकिन भारत के बंटवारे के समय 1947 में ढाई लाख सिखों की हत्या के तथ्य को भुला देना चाहते हैं। ये सिख पाकिस्तान में विधर्मी होने के कारण मुसलमानों ने मारे थे। मिलेवस्की की रिपोर्ट में दावा किया गया है खालिस्तान की मांग से जुड़ी यह हकीकत कनाडा, ब्रिटेन और अमेरिका जानते हैं। इन देशों में अच्छी संख्या में सिख धर्मावलंबी हैं। लेकिन इन सभी देशों को खालिस्तान की मांग से सतर्क रहने की जरूरत है।


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