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1990 की तरह कश्‍मीर में फिर नए आतंकी संगठन की तैयारी में पाकिस्तान

जहां एक ओर भारत कश्‍मीर से आतंकी चेहरों को खत्‍म करने में जुटा है वहीं खुफिया एजेंसियों ने पाक की ओर से घाटी में नये आतंकी संगठन को भेजने की संभावना जतायी है।

By Monika minalEdited By: Published: Sat, 20 May 2017 12:05 PM (IST)Updated: Sat, 20 May 2017 01:44 PM (IST)
1990 की तरह कश्‍मीर में फिर नए आतंकी संगठन की तैयारी में पाकिस्तान
1990 की तरह कश्‍मीर में फिर नए आतंकी संगठन की तैयारी में पाकिस्तान

नई दिल्‍ली (जेएनएन)। खुफिया एजेंसी द्वारा कश्‍मीर में नये आतंकी संगठन बनाये जाने की संभावना जतायी गयी है जिसमें पाक द्वारा आतंक के नए चेहरे का इस्‍तेमाल किया जा सकता है। पाकिस्‍तान ने 90 के दशक में ऐसा ही किया था और एक से कई आतंकी संगठन पैदा हो गए। 

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कश्‍मीर में नया आतंकी संगठन

कश्मीर में हिंसा और आतंक फैलाने के लिए इस बार पाकिस्तान पुराने नहीं बल्‍कि नये आतंकी संगठन को भेज सकता है। कश्मीर में स्थानीय आतंकवादियों और अलगाववादियों के बीच बढ़ रहे असंतोष को देखते हुए खुफिया एजेंसियों ने यह आशंका जतायी है। खुफिया एजेंसियों का कहना है कि सीमा पार से नए आतंकी संगठन की की योजना बनायी जा रही है जिनका फोकस हिज्बुल मुजाहिदीन के पूर्व कमांडर जाकिर मूसा पर होगा।

सोशल मीडिया पर छायी तस्‍वीरों का संकेत

खुफिया सूत्रों के अनुसार, पिछले दो सप्ताह से सामने आ रहे बयान और सोशल मीडिया पर तस्वीरें ऐसा संकेत दे रही हैं। इसमें आतंकी बुरहान वानी के उत्तराधिकारी जाकिर मूसा के बयान और कश्मीरी अलगाववादियों एवं यूनाइटेड जिहाद काउंसिल के चीफ सैयद सलाहुद्दीन की प्रतिक्रिया व सोशल मीडिया में छायी तस्वीरें शामिल हैं।

1990 में भी पाक ने किया था ऐसा

खुफिया सूत्रों ने टाइम्स ऑफ इडिया को बताया कि इस बात की संभावना है कि कश्मीर में पाकिस्‍तान अपनी 1990 के दशक वाली रणनीति को दोहराए जब केवल एक आतंकी संगठन, जम्मू-कश्मीर लिबरेशन फ्रंट (JKLF) की जगह कई नए आतंकी संगठनों ने ले ली थी और 1993-94 तक कई आतंकी संगठन अस्तित्व में आ गए थे।

कश्‍मीरी युवकों पर होगा फोकस

एक अधिकारी ने कहा, 'पाकिस्तान द्वारा कश्मीर में एक नए आतंकी संगठन को प्रोत्साहित किए जाने की आशंका काफी मजबूत नजर आ रही है। मूसा अलगाववादियों, हिज्बुल और यहां तक कि पाकिस्तान के खिलाफ भी बोल रहा है। उसका फोकस कश्मीरी युवाओं पर है। वह कश्मीर की आजादी के लिए इस्लामिक उदय की वकालत कर रहा है।'

सोशल मीडिया पर दिखे थे नकाबपोश

3-4 मई को सोशल मीडिया पर 9 ऐसे नकाबपोश आतंकवादियों की तस्वीरें पोस्ट की गई थीं जिनके हाथ में IS के झंडे से मिलता-जुलता काले रंग का झंडा था। हालांकि इस झंडे पर सर्फ इस्लामिक कलमा लिखा हुआ था और साथ ही उसपर AK-47 का निशान भी बना हुआ था। खुफिया एजेंसियों को लगता है कि ऐसा करने के पीछे स्थानीय आतंकवादियों की मंशा खुद को IS से अलग दिखाने की है। पाकिस्तान स्थित आतंकी संगठन लश्कर-ए-तैयबा और साथ ही पाक अधिकृत कश्मीर में स्थित हिज्बुल मुजाहिदीन के कमांडर सलाहुद्दीन ने अपने बयानों में इन तस्वीरों की निंदा की थी। उनका दावा था कि IS और उसके झंडे लहराने वालों से उनका कोई ताल्लुक नहीं है। उन्होंने कश्मीरी युवाओं से अपील की थी कि वे इससे प्रभावित न हों।

मूसा के ऑडियो में हुर्रियत को चेतावनी

12 मई को मूसा ने एक ऑडियो मेसेज जारी किया जिसमें उसने कहा कि अगर हुर्रियत नेता आतंकी संगठनों के इस्लाम के लिए 'संघर्ष' में हस्तक्षेप करेंगे तो उनके सिर काटकर श्रीनगर के लाल चौक पर टांग दिए जाएंगे। उसने दावा किया कि यह आंदोलन पूरी तरह इस्लामिक है जो शरिया और शहादत पर आधारित है। हिज्बुल ने मूसा के बयान से खुद को अलग करने में देर नहीं की। ऐसे में 15 मई को मूसा ने एक और ऑडियो मेसेज जारी किया जिसमें उसने खुद को हिज्बुल से खुद को अलग करने का ऐलान किया। उसने अल-कायदा के प्रति सम्मान जताया, पर IS का कोई जिक्र नहीं किया। उसने उन लोगों की भी आलोचना की जो 'आजादी की लड़ाई' के लिए पाकिस्तान से मदद चाहते हैं।

बुरहान के बाद मूसा पर है फोकस

एक खुफिया सूत्र ने बताया, 'भारत को शक है कि पाकिस्तान की एजेंसियां कश्मीर के संघर्ष को अब 'आजादी के लिए इस्लामिक उदय' की तरह पेश करना चाहती हैं। बुरहान वानी की हत्या के 10 महीने बाद अब पाकिस्तान का फोकस अब मूसा पर है।'

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