पाक ने विश्व के सबसे खूबसूरत जगहों में शुमार गिलगित-बाल्टिस्तान को बना दिया पिछड़ा क्षेत्र
चीन दबाव डाल रहा है कि पाकिस्तान गिलगित-बाल्टिस्तान को स्पष्ट कानूनी दर्जा दे क्योंकि भारत ने चीन-पाकिस्तान आर्थिक गलियारा (सीपीईसी) पर कड़ा ऐतराज जताया है।
नई दिल्ली, प्रेट्र। इतनी खूबसूरत जगह जहां बर्फ से ढंके पर्वतों की 32 चोटियां, विशाल ग्लेशियर, हरी-भरी घाटियां और मीठे पानी की झीलें हों उस गिलगित-बाल्टिस्तान को पाकिस्तानी ने सबसे उपेक्षित बना दिया है। विश्व की सबसे खूबसूरत जगहों में एक यहां सोना, चांदी और यूरेनियम के प्रचुर भंडार हैं, लेकिन उसने करीब सात दशक के अवैध कब्जे के दौरान इसको सबसे पिछड़ा और आर्थिक रूप से सबसे कमजोर क्षेत्र बना दिया।
पाकिस्तान दक्षिण एशिया का सर्वाधिक पिछड़ा क्षेत्र
तीन पाकिस्तानी विशेषज्ञों द्वारा लिखी पुस्तक, 'पाकिस्तान ऑक्यूपाइड कश्मीर- पॉलिटिक्स, पार्टीज एंड पर्सनालिटीज' में कहा गया है, 'पाकिस्तान सरकार ने यहां कुछ नहीं किया। इसे दक्षिण एशिया का सर्वाधिक पिछड़ा क्षेत्र बना दिया।' अन्य विशेषज्ञों ने कहा है कि पाकिस्तान ने यहां लोगों का दमन किया, क्योंकि यहां ज्यादातर शिया हैं। देश के अन्य हिस्सों की सुन्नी आबादी को यहां बसाने का काम किया गया।
पाक में लोगों के पास कानूनी अधिकार तक नहीं
रणनीतिक विशेषज्ञ तिलक देवाशेर बताते हैं कि पाकिस्तान यहां के लोगों का दमन करने में लगा है। लोगों के पास संवैधानिक एवं कानूनी अधिकार तक नहीं हैं।
क्षेत्र की एक प्रमुख राजनीतिक पार्टी बलवारिस्तान नेशनल फ्रंट (बीएनएफ) के नेता अब्दुल हामिद खान ने 14 मार्च 2016 को संयुक्त राष्ट्र के तत्कालीन प्रमुख बान की मून को एक पत्र लिखकर पूरा हाल बयान किया था कि, 'यहां मानविधकारों के हनन से बचाने के लिए कोई कानूनी, संवैधानिक, न्यायिक तंत्र तक नहीं है।'
बता दें कि 1947 में पाकिस्तान द्वारा कब्जा किए जाने से पहले यह क्षेत्र जम्मू-कश्मीर का ही हिस्सा था। पाकिस्तान ने 1963 में गिलगित-बाल्टिस्तान क्षेत्र का 5,180 वर्ग किमी हिस्सा चीन को दे दिया था।
पाक गिलगित-बाल्टिस्तान को कानूनी दर्जा दे
थिंक टैंक 'इंस्टीट्यूट ऑफ डिफेंस स्टडीज एंड एनालिसिस' द्वारा प्रकाशित पुस्तक में कहा गया है कि चीन दबाव डाल रहा है कि पाकिस्तान गिलगित-बाल्टिस्तान को स्पष्ट कानूनी दर्जा दे, क्योंकि भारत ने चीन-पाकिस्तान आर्थिक गलियारा (सीपीईसी) पर कड़ा ऐतराज जताया है। भारत का आरोप है कि यह गलियारा विवादित क्षेत्र को दो हिस्सों में बांटता है। सीपीईसी के पूरा होने पर इस क्षेत्र में चीन का नियंत्रण और बढ़ जाएगा।