एफएटीएफ की ग्रे सूची ने पाकिस्तान को लगाई बड़ी चपत, अबतक 2808 अरब रुपये का उठाना पड़ा नुकसान
पाकिस्तानी थिंक टैंक तबदलैब के अनुसार लगातार ग्रे सूची में शामिल होने के चलते इसके सकल घरेलू उत्पाद को 38 अरब डॉलर की कीमत का नुकसान उठाना पड़ा है। ये रकम 2021-22 के आम बजट में भारत सरकार द्वारा स्वास्थ्य क्षेत्र के लिए कुल आवंटित धन से भी ज्यादा है।
नई दिल्ली, जेएनएन। 38 अरब डॉलर यानी 2808 अरब रुपये। यह वह कीमत है जिसे लगातार एफएटीएफ की ग्रे सूची में बने रहने के चलते पड़ोसी देश पाकिस्तान को विभिन्न आर्थिक मदों में चुकानी पड़ी है। इस नुकसान का अंदाजा आप ऐसे लगा सकते हैं कि ये रकम 2021-22 के आम बजट में भारत सरकार द्वारा स्वास्थ्य क्षेत्र के लिए कुल आवंटित धन से भी ज्यादा है। अब सोचिए, पाई-पाई को मोहताज पाकिस्तान की अर्थव्यवस्था को अगर ये पैसा मिलता तो उसका कितना कल्याण होता। खैर, जाको प्रभु दारुण दुख दीन्हा, ताकी मति पहिले हर लीन्हा। आतंकवाद को धन मुहैया कराकर आतंकी संगठनों को पालने-पोसने से गुरेज न करने के चलते अगले जून तक इस देश को फिर एफएटीएफ की ग्रे सूची में डाल दिया गया है। इस्लामाबाद स्थित पाकिस्तानी थिंक टैंक तबदलैब के अनुसार लगातार ग्रे सूची में शामिल होने के चलते इसके सकल घरेलू उत्पाद को 38 अरब डॉलर की कीमत का नुकसान उठाना पड़ा है।
विभिन्न क्षेत्रों में नुकसान
ग्रे लिस्ट में लगातार बने रहने से पाकिस्तान की जीडीपी को समग्र रूप से तो नुकसान पहुंचा ही है, वहां की खपत में साल वार सर्वाधिक छह अरब डालर कीकमी आई है। निर्यात भी चार अरब डॉलर तक गिरा है। प्रत्यक्ष विदेशी निवेश पर भी असर पड़ा है।
कब कब हुआ शामिल
’ 2008- एफएटीएफ की ग्रे सूची में शामिल
’ 2009- ग्रे सूची से बाहर हुआ
’ 2012- फिर सूची में शामिल हुआ
’ 2013- सूची में अगले मूल्यांकन तक बरकरार रहा
’ 2014- अगले मूल्यांकन तक स्थिति यथावत रही
’ 2015- ग्रे सूची से बाहर हुआ
’ 2018- ग्रे सूची में शामिल हुआ
’ 2019- अगले मूल्यांकन तक ग्रे सूची में शामिल हुआ
बाहर रहने का दिखा फायदा
अध्ययन के अनुसार, पाकिस्तान के ग्रे लिस्ट से बाहर रहना वहां की अर्थव्यवस्था पर सकारात्मक संकेत दिखाता है। तभी 2017 और 2018 में सकल घरेलू उत्पाद में कमी नहीं दिखी। 2015 में पाकिस्तान इस सूची से बाहर निकला था, जिसका ही असर बाद के इन दो वर्षो में दिखा है। शोध बताता है कि 2018 में पाकिस्तान की जीडीपी में आंशिक रूप से 15 करोड़ डॉलर की वृद्धि दिखी थी, लेकिन फिर से ग्रे सूची में शामिल होने पर साल के पहले छह महीनों में मिला लाभ नुकसान में बदल गया। 2019 में देश को 10.31 अरब डॉलर का नुकसान हुआ। 2008 से 2019 के अब तक के कुल 12 साल में 38 अरब डॉलर की चपत लग चुकी है।