पाकिस्तान में हिंदू महिलाओं को नए विवाह कानून से सुरक्षा मिलने की उम्मीद
नए हिंदू विवाह अधिनियम से पाकिस्तानी अल्पसंख्यक हिंदू महिलाओं को सुरक्षा मिलने की उम्मीद जगी है।
इस्लामाबाद (एजेंसी)। पाकिस्तान की रहने वाली सपना गोबिया कुछ हफ्ते से अपनी शादी की तैयारियों में व्यस्त है। उनकी शादी पारंपरिक ढंग से तो होगी ही, साथ ही अब सपना को हिंदू विवाह कानून के तहत सरकारी प्रमाण पत्र भी लेना होगा। इस नए हिंदू विवाह अधिनियम से पाकिस्तान की अल्पसंख्यक हिंदू महिलाओं को सुरक्षा मिलने की उम्मीद है।
25 साल की सपना की उन लाखों पाकिस्तानी अल्पसंख्यक हिंदू महिलाओं में से एक है जिन्हें अब हिंदू विवाह अधिनियम 2017 के तहत अपनी शादी का प्रमाण पत्र लेने का अधिकार होगा। अधिनियम पारित होने के बाद 19 मार्च, 2017 को यह नया कानून अस्तित्व में आया था।
सपना बताती हैं, 'हम अल्पसंख्यक लड़कियों को शादी को लेकर हमेशा डर बना रहता है कि कहीं कोई अपहरण, विश्वासघात और धर्मांतरण ना कर ले। इस नए कानून के तहत अब हमारी शादी कानूनी रूप से सरकारी प्राधिकार के साथ पंजीकृत होगी। अब कोई हमारे विवाह को झूठा नहीं ठहरा सकेगा। सपना ने दक्षिण पाकिस्तान के धाराकी कस्बे में स्थित सरकारी कॉलेज से अंग्रेजी साहित्य में ग्रेजुएशन किया है। सपना को उम्मीद है कि पाकिस्तान के नए हिंदू विवाह कानून से हिंदू महिलाओं के अपहरण की घटनाओं को रोकने में मदद मिलेगी। इससे अल्पसंख्यक महिलाओं का धर्मांतरण भी रुकेगा।
भारतीय कानून से ऐसे है अलग
- पाकिस्तान में हिंदू विवाह अधिनियम वहां के हिंदू समुदाय पर लागू होता है, जबकि भारत में हिंदू मैरिज एक्ट हिंदुओं के अलावा जैन, बौद्ध और सिख समुदाय पर भी लागू होता है।
- पाकिस्तानी कानून के मुताबिक शादी के 15 दिनों के भीतर इसका रजिस्ट्रेशन कराना होगा। भारतीय कानून में ऐसा प्रावधान नहीं है। इस बारे में राज्य सरकारें कानून बना सकती हैं।
- पाकिस्तान में शादी के लिए हिंदू जोड़े की न्यूनतम उम्र 18 साल रखी गई है। भारत में लड़के की न्यूनतम उम्र 21 साल और लड़की की 18 साल निर्धारित है।
- पाकिस्तानी कानून के मुताबिक, अगर पति-पत्नी एक साल या उससे अधिक समय से अलग रह रहे हैं और साथ नहीं रहना चाहते, तो शादी को रद कर सकते हैं। भारतीय कानून में कम से कम दो साल अलग रहने की शर्त है।
- पाकिस्तान में हिंदू विधवा को पति की मृत्यु के छह महीने बाद फिर से शादी का अधिकार होगा। भारत में विधवा पुनर्विवाह के लिए कोई समय सीमा तय नहीं है।
आपको बता दें कि 1947 में विभाजन के बाद से पाकिस्तान एक मुस्लिमों का एक अलग देश बना था। हिंदू विवाह के लिए यहां अभी तक कोई कानन नहीं था, लेकिन नए कानून से हिंदू अल्पसंख्यकों को निश्चित रूप से इसका लाभ मिलेगा। एक पाकिस्तानी हिंदू समुदाय 'पाकिस्तान काउंसिल ऑफ मेघवार' के चैयरमैन अर्जुन दास बताते हैं, 'हमारी विवाहित बेटियों और बहनों का स्थानीय गैर हिंदुओं द्वारा अपहरण कर लिया जाता था और फिर उन्हें ईस्लाम कबूलने के लिए मजबूर किया जाता था।'
यह भी पढ़ें: हिंदी और इतिहास पढ़ानेवाले दो शिक्षकों की अजब प्यार की गजब कहानी
यह भी पढ़ें: पाकिस्तान में हिंदू विवाह अधिनियम पर सीनेट की मुहर