दिखा दिया फिर दोमुंहा रंग, पाकिस्तान ने करतारपुर साहिब गुरुद्वारे की जमीन हड़पी
करतारपुर कॉरिडोर बनाने की परियोजना पर विगत गुरुवार को भारत-पाकिस्तान की पहली बैठक में भारतीय प्रतिनिधिमंडल ने सिख धर्मस्थल पर बेलगाम अतिक्रमण का कड़ा विरोध किया था।
नई दिल्ली, प्रेट्र। भारतीय अफसरों के मुताबिक पाकिस्तान ने करतारपुर साहिब गुरुद्वारे की जमीन चुपके से हड़प ली है। ऐसा उसने तीर्थयात्रियों की सुविधा के लिए कॉरिडोर विकसित करने के नाम पर किया है। अपनी दोमुंही बातों को जाहिर करते हुए पाकिस्तान ने करतारपुर कॉरिडोर से संबंधित लगभग सभी भारतीय प्रस्तावों पर आपत्ति जताई है।
पंजाब के गुरुदासपुर को पाकिस्तान में करतारपुर स्थित सिख धर्मस्थल के लिए कॉरिडोर बनाने की परियोजना पर विगत गुरुवार को भारत-पाकिस्तान की पहली बैठक में भारतीय प्रतिनिधिमंडल ने पवित्र सिख धर्मस्थल की जमीन पर बेलगाम अतिक्रमण का कड़ा विरोध किया था। साथ ही कहा कि यह भारत में गुरुनानक देव के श्रद्धालुओं की भावनाओं को आहत करेगा।
बैठक में शामिल होने वाले एक भारतीय अफसर ने बताया कि गुरुवार को अटारी में हुई पहली बैठक में पाकिस्तान झूठे वादे करने की अपनी पुरानी असलियत पर आ गया। कोरे बड़े वादे करने और असलियत में कुछ भी नहीं करने की पाकिस्तान की हकीकत फिर सामने आ गई।
करतारपुर साहिब कॉरिडोर पर उसने दो तरह की बातें की हैं। लेकिन अटारी की बैठक में उसका असली रूप सामने आ गया। अधिकारी ने बताया कि गुरुद्वारे की जमीन को पाकिस्तान सरकार ने कॉरिडोर विकसित करने के नाम पर चोरी-छिपे हथिया लिया है। यह बात जाहिर होते ही भारत ने पवित्र गुरुद्वारे की इस जमीन को तत्काल गुरुद्वारे को सौंपने की मांग की है। चूंकि भारत में इस मुद्दे पर लोगों के विचार बहुत तल्ख हैं।
ध्यान रहे कि महाराणा रणजीत सिंह और अन्य ने सैकड़ों साल पहले यह जमीन करतारपुर साहिब को दान कर दी थी। लेकिन इसी जमीन पर पाकिस्तान में अब अवैध कब्जे हैं। पहली बैठक में करतारपुर समझौते की अवधि पाकिस्तान ने सिर्फ दो साल के लिए रखने की इच्छा जताई। जबकि भारत लंबे समय से यह स्पष्ट कर चुका है कि इसे अरसे तक कायम रखने के लिए वह इस प्रोजेक्ट के लिए सीमा पर 190 करोड़ रुपये खर्च कर रहा है।
वहीं भारत इस बात के गंभीर प्रयास कर रहा है कि गुरुनानक देव के भक्त भारतीय तीर्थयात्री आसानी से करतारपुर साहिब पहुंच सकें। उन्होंने बताया कि पाकिस्तान सरकार की ओर से इस मामले में बड़ी-बड़ी बातें की गईं, लेकिन भारत से बातचीत के दौरान हर बात से मुकर गया। पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान ने जो भी दावे किए थे, वह सब खोखले साबित हो गए। पाकिस्तान की भारतीय तीर्थयात्रियों को कोई भी सुविधा देने में कोई रुचि नहीं है।