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जासूसी के आरोप में निर्वासित अमेरिकी नागरिक को पाक ने किया गिरफ्तार

पाकिस्तान ने क्रेग बैरेट नाम के एक अमेरिकी नागरिक को गिरफ्तार किया है। बैरेट पर जासूसी करने का आरोप है।

By kishor joshiEdited By: Published: Sun, 07 Aug 2016 02:11 PM (IST)Updated: Sun, 07 Aug 2016 03:30 PM (IST)
जासूसी के आरोप में निर्वासित अमेरिकी नागरिक को पाक ने किया गिरफ्तार

इस्लामाबाद। पाकिस्तान ने क्रेग बैरेट नाम के एक अमेरिकी नागरिक को गिरफ्तार किया है। महत्वपूर्ण बात यह है कि बैरेट को कुछ वर्ष पहले भी पाकिस्तान ने जासूसी के आरोप में ब्लैकलिस्ट किया था।

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उसे शनिवार शाम को इस्लामाबाद से गिरफ्तार किया गया। बैरेट को 2011 में भी फतेह जंग एरिया से बेहद गोपनीय सैन्य अनुसंधान की जानकारी जुटाने के आरोप में गिरफ्तार किया गया था। फतेह जंग पाकिस्तान के उन इलाकों में से एक है जहां पाकिस्तान की परमाणु ऊर्जा संबधी कार्यक्रम संचालित होते हैं। पाकिस्तानी अखबार ‘द डॉन’ के अनुसार, 33 साल के क्रेग बैरेट को पांच साल पहले भी इस्लामाबाद के नजदीक एक परमाणु फैसिलिटी की जासूसी के आरोप में अरेस्ट किया गया था। जिसके बाद उसे निर्वासित कर दिया गया था।

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एक अंग्रेजी अखबार के मुताबिक, बैरेट मामले में ढील बरतने के आरोप में कई पाकिस्तानी अधिकारियों को निलंबित भी किया गया है। संघीय जांच एजेंसी (एफआई) ने इस मामले में हॉस्टन दूतावास के कर्मचारियों के खिलाफ एफआईआर भी दर्ज कर ली है। फिलहाल बैरेट को जांच के लिए 3 दिन की हिरासत में ले लिया गया है।

पाकिस्तानी आंतरिक मामलों के मंत्रालय के प्रवक्ता सरफराज हुसैन ने बताया, "यदि किसी को ब्लैकलिस्ट किया गया है तो यह मतलब होता है कि मसला बहुत गंभीर है।" 'डान' के अनुसार बैरेट के पास पाकिस्तान में प्रवेश करने के यात्रा संबंधी दस्तावेज फर्जी थे। एफआईए ने कहा है बैरेट को बेनजीर भुट्टो इंटरनेशनल एयरपोर्ट, इस्लामाबाद/रावलपिंडी में एक एफआईए सब इंस्पेक्टर और उसके बेटे की मदद से प्रवेश दिलाया गया था। सरफराज हुसैन ने बताया कि उसका वीजा हॉस्टन स्थित पाकिस्तानी दूतावास से जारी हुआ और उसके साथ सैयदा अल्ताफ नाम की पाकिस्तानी महिला भी थी। बैरेट सैयदा को पत्नी बताता है।

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बैरेट की गिरफ्तारी से जनवरी 2011 की याद ताजा हो गई है जब एक रेमंड डेविस नाम के एक अमेरिकी नागरिक ने लाहौर में दो लोगों की गोली मारकर हत्या कर दी थी। डेविस सीआईए का कॉन्ट्रेक्टर था। इस घटना के बाद दोनों देशों के बीच गंभीर टकराव की स्थिति उत्पन्न हो गयी थी। तब अमेरिका ने डेविस की गिरफ्तारी का विरोध करते हुए कहा था कि उसे राजनयिक प्रतिरक्षा हासिल है, क्योंकि वह लाहौर स्थित अमेरिकी दूतावास का कर्मचारी था। इसके तीन महीने बाद मई 2011 में उसे रिहा कर दिया गया।

डेविस को पाकिस्तान और इस्लामी देश के ‘ब्लड मनी लॉ’कानून के तहत रिहा किया गया था। जिसके मुताबिक, अगर मारे गए व्यक्ति का परिवार आरोपी से पैसा लेकर समझौता कर लेता है तो सरकार या अदालत उसे रिहा कर सकती है।

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