पद्मश्री पाने वालों में कई हैं गुमनाम नायक, लावारिस शवों का अंतिम संस्कार करने वाले मुहम्मद शरीफ भी शामिल
औपचारिक शिक्षा नहीं लेने के बावजूद पौधों की विविध किस्मों के विशाल ज्ञान के कारण वन की विश्वकोष उपाधि से प्रख्यात कर्नाटक की 72 वर्षीय तुलसी को इस पुरस्कार से नवाजा गया है।
नई दिल्ली, प्रेट्र। चंडीगढ़ स्थित पीजीआइ अस्पताल के बाहर मरीजों और उनके साथ आए लोगों को नि:शुल्क भोजन कराने वाले जगदीश लाल आहूजा, 25,000 से अधिक लावारिस शवों का अंतिम संस्कार करने वाले फैजाबाद के मुहम्मद शरीफ, मुस्लिम भजन गायक मुन्ना मास्टर और असम में हाथियों के चिकित्सक कुशल कंवर सरमा उन गुमनाम नायकों में शामिल हैं जिन्हें इस साल पद्मश्री से सम्मानित किया गया है।
सम्मान पाने वालों में जम्मू-कश्मीर के दिव्यांग सामाजिक कार्यकर्ता जावेद अहमद टाक भी शामिल हैं जो दो दशक से दिव्यांग बच्चों के लिए काम कर रहे हैं। वह अनंतनाग और पुलवामा के 40 गांवों में 100 से अधिक बच्चों को नि:शुल्क शिक्षा और अन्य सहायता मुहैया करा रहे हैं।
72 वर्षीय तुलसी गौड़ा को भी पुरस्कार से नवाजा गया
औपचारिक शिक्षा नहीं लेने के बावजूद पौधों की विविध किस्मों के विशाल ज्ञान के कारण 'वन की विश्वकोष' उपाधि से प्रख्यात कर्नाटक की 72 वर्षीय तुलसी गौड़ा को भी इस पुरस्कार से नवाजा गया है। पिछले चार दशक से पूर्वोत्तर राज्यों के दूरदराज के इलाकों में शिक्षा और पाठन संस्कृति को प्रोत्साहित कर रहे और 'अंकल मूसा' के नाम से विख्यात अरुणाचल प्रदेश के सत्यनारायण मुंदायूर, 1984 भोपाल गैस त्रासदी के पीड़ितों की खातिर लड़ाई लड़ने वाले अब्दुल जब्बार उर्फ 'भोपाल की आवाज' (मरणोपरांत) और राजस्थान में स्वच्छता के क्षेत्र में काम करने वाली दलित सामाजिक कार्यकर्ता ऊषा चौमार को पद्मश्री से सम्मानित किया गया है।
गांधीवादी राधा मोहन को भी पद्श्री सम्मान
सूखाग्रस्त हिवरे बाजार में भूजल में सुधार करने के लिए अहमदनगर (महाराष्ट्र) के प्रख्यात पोपाटाराव पवार, गरीबों को किफायती शिक्षा देने में मदद करने वाले कर्नाटक के 64 वर्षीय सामाजिक कार्यकर्ता हारेकला हाजब्बा, दूरस्थ सुंदरबन में मरीजों का उपचार करने वाले बंगाल के चिकित्सक अरुणोदय मंडल, केवल जैविक तकनीक के प्रयोग से ओडिशा में बंजर भूमि को वन क्षेत्र में तब्दील करने वाले गांधीवादी राधा मोहन और उनकी पुत्री साबरमती को भी पद्मश्री से नवाजा गया है।
आदिवासी किसान ट्रिनिटि साइऊ को भी मिला पद्मश्री सम्मान
हल्दी की खेती संबंधी मुहिम चलाने वाले मेघालय के आदिवासी किसान ट्रिनिटि साइऊ, असम की बराक घाटी में कैंसर मरीजों का उपचार करने वाले चेन्नई के चिकित्सक रवि कन्नन, तमिलनाडु में चार दशक से अधिक समय से 14,000 से अधिक दिव्यांग लोगों के पुनर्वास में मदद करने वाले दिव्यांग सामाजिक कार्यकर्ता एस. रामाकृष्णन को भी यह पुरस्कार दिया गया।
इनके अलावा सरकार ने राजस्थान में 50,000 पौधे लगाने वाले 68 वर्षीय पर्यावरणविद् सुंदरम वर्मा, राज्य के मुस्लिम भजन गायक मुन्ना मास्टर, पिछले 35 साल से लोगों का नि:शुल्क उपचार कर रहे उत्तराखंड के 81 वर्षीय चिकित्सक योगी ऐरन, कृषि-जैव विविधता संरक्षण के क्षेत्र में योगदान के लिए विश्वविख्यात आदिवासी महिला राहीबाई सोमा पोपेरे को भी पद्मश्री से पुरस्कृत किया गया है।