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अर्थव्यवस्था को नोटबंदी के असर से उबारने को पैकेज की डोज

सूत्रों के अनुसार नोटबंदी के फैसले का असर वित्त वर्ष 2016-17 की तीसरी तिमाही (अक्टूबर-दिसंबर) के सकल घरेलू उत्पाद के आंकड़ों पर पड़ना तय है।

By Sachin BajpaiEdited By: Published: Sun, 27 Nov 2016 07:47 PM (IST)Updated: Sun, 27 Nov 2016 07:57 PM (IST)
अर्थव्यवस्था को नोटबंदी के असर से उबारने को पैकेज की डोज

जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली । नोटबंदी के बाद कमजोर पड़ी मांग को उठाने और रोजगार के अवसर बढ़ाने के लिए केंद्र एक विशेष पैकेज देने पर विचार कर रहा है। इस पैकेज का स्वरूप कैसा होगा अभी यह तो स्पष्ट नहीं है लेकिन इसके जरिए सार्वजनिक व्यय बढ़ाने पर जोर दिया जाएगा।

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सूत्रों के अनुसार नोटबंदी के फैसले का असर वित्त वर्ष 2016-17 की तीसरी तिमाही (अक्टूबर-दिसंबर) के सकल घरेलू उत्पाद के आंकड़ों पर पड़ना तय है। नोटबंदी से निजी उपभोग व्यय में कमी आयी है और कुछ कंपनियों ने अपने उत्पादन में भी कटौती की घोषणा की है। इन सभी कारकों के चलते तीसरी तिमाही में जीडीपी की वृद्धि घटकर छह प्रतिशत से भी नीचे आ सकती है। साथ ही चौथी तिमाही पर भी इसका असर देखने को मिल सकता है क्योंकि उत्पादन घटने से संगठित और असंगठित क्षेत्र में लगे लोगों की आय पर नोटबंदी के फैसले का नकारात्मक असर पड़ सकता है।

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ऐसी स्थिति में चालू वित्त वर्ष में 7 से 7.5 प्रतिशत विकास दर के लक्ष्य को हासिल करना मुश्किल होगा। सूत्रों का कहना है कि अर्थव्यवस्था को नोटबंदी के असर से उबारने तथा कृषि और असंगठित क्षेत्र की स्थिति बेहतर करने खासकर ग्रामीण क्षेत्रों में उपभोग बढ़ाने के लिए सरकार स्टिमुलस पैकेज का ऐलान कर सकती है। इसके तहत सरकार का पूरा जोर सार्वजनिक व्यय बढ़ाने पर होगा।

उल्लेखनीय है कि सितंबर 2008 की वैश्रि्वक मंदी की मार से भारतीय अर्थव्यवस्था को बचाने के लिए तत्कालीन संप्रग सरकार ने राजकोषीय पैकेज दिया था। उस समय सरकार ने ढांचागत क्षेत्र में व्यय बढ़ाने के लिए न सिर्फ 20,000 करोड़ रुपये अतिरिक्त योजनागत आवंटन किया बल्कि सेनवेट की दर में भी कटौती की थी जिससे विभिन्न उत्पाद सस्ते हुए और मांग बढ़ी।

हालांकि वित्त मंत्री अरुण जेटली का कहना है कि 500 रुपये और 1000 रुपये के पुराने नोट बंद करने के सरकार के फैसले का अर्थव्यवस्था पर सकारात्मक असर पड़ेगा। उनकी दलील है कि नोटबंदी के बाद बैंकों के पास पर्याप्त लिक्विडिटी होगी जिसे वे ढांचागत क्षेत्र, विनिर्माण और कृषि क्षेत्र में उधार दे सकेंगे। आने वाले दिनों में ब्याज दरों में भी कमी आने के आसार हैं।

चालू वित्त वर्ष में केंद्र सरकार का बजट 19,78,060 है। सूत्रों का कहना है कि अगले वित्त वर्ष का बजट 22 से 23 लाख करोड़ रुपये का हो सकता है। सरकार निजी उपभोग व्यय को बढ़ाने के साथ-साथ सार्वजनिक व्यय में वृद्धि पर जोर देगी। असल में सरकार की पूरी कोशिश सार्वजनिक व्यय बढ़ाने पर है। चालू वित्त वर्ष की पहली छमाही में आम बजट में आवंटित योजनागत राशि में से 58.7 प्रतिशत खर्च हो चुकी है जो एक रिकार्ड है। इससे पहले किसी भी वित्त वर्ष मंे खर्च में इतनी तेजी देखने को नहीं मिली।


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