प्रवासी भारतीयों को दोहरी नागरिकता और मताधिकार की अपील
सुप्रीमकोर्ट में मंगलवार को एक याचिका दाखिल हुई है जिसमें प्रवासी भारतीयों को दोहरी नागरिकता और मत देने का अधिकार दिए जाने की मांग की गई है। विदेशी नागरिकता ले चुके भारतीय मूल के निवासियों के हक की मांग वाली यह याचिका वरिष्ठ पत्रकार एस. वेंकट नारायण ने दाखिल की
नई दिल्ली जागरण ब्यूरो। सुप्रीमकोर्ट में मंगलवार को एक याचिका दाखिल हुई है जिसमें प्रवासी भारतीयों को दोहरी नागरिकता और मत देने का अधिकार दिए जाने की मांग की गई है। विदेशी नागरिकता ले चुके भारतीय मूल के निवासियों के हक की मांग वाली यह याचिका वरिष्ठ पत्रकार एस. वेंकट नारायण ने दाखिल की है।
हालांकि याचिका पर अभी सुनवाई की कोई तिथि तय नहीं है लेकिन बुधवार से शुरू हो रहे प्रवासी भारतीय सम्मेलन को देखते हुए याचिका महत्वपूर्ण है। क्योंकि इस सम्मेलन में सैकड़ों प्रवासी भारतीयों के आने की उम्मीद है।
नारायण ने अपने वकील जी. वेंकटेश राव के जरिए दाखिल की गई याचिका में नागरिकता अधिनियम के उन प्रावधानों को निरस्त करने की मांग की है जो विदेशी नागरिकता ले चुके भारतीय मूल के लोगों की दोहरी नागरिकता और मताधिकार के आड़े आ रहे हैं। याचिका में कहा गया है कि भारतीय संविधान का अनुच्छेद 8 भारतीय मूल के लोगों और उनके वंशजों को दोहरी नागरिकता और राष्ट्रीयता की बात कहता है। ऐसे में उन्हें इस अधिकार से वंचित रखना उनके साथ भेदभाव करने के समान है।
कहा गया है कि संसद कानून बनाकर नागरिकों के बीच भेदभाव नहीं कर सकती। संसद नागरिकता कानून में कोई ऐसा संशोधन नहीं कर सकती जो संविधान के अनुच्छेद 8 के खिलाफ हो। याचिका में नागरिकता संशोधन कानून 2004 की धारा 7बी (2)(एफ) और धारा 10 को असंवैधानिक घोषित कर निरस्त किये जाने की मांग की गई है। इन धाराओं के जरिए मूल कानून की धारा 11 व 12 हटा दी गई थीं।
कहा गया है कि करीब 70 देशों में दोहरी नागरिकता का प्रावधान है। ये देश विदेशों में रह रहे अपने मूल निवासियों को अपनी संपत्ति मानते है। एक सर्वे रिपोर्ट के मुताबिक करीब 115 देश विदेशों में रह रहे अपने नागरिकों को वहीं से मतदान करने की अनुमति देते हैं। प्रवासियों के अधिकारों की मांग करते हुए याचिका में और भी बहुत से आंकड़े दिए गए हैं।