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मध्यप्रदेश में लचर शिक्षा व्यवस्था, 67,902 स्कूल में नहीं बिजली और पानी

मध्यप्रदेश में 67902 स्कूल ऐसे है जहां बच्चों के लिए बुनियादी सुविधाओं की कमी है। ना तो यहां पानी है और ना ही बिजली।

By Ayushi TyagiEdited By: Published: Fri, 22 Nov 2019 08:41 AM (IST)Updated: Fri, 22 Nov 2019 08:41 AM (IST)
मध्यप्रदेश में लचर शिक्षा व्यवस्था,   67,902  स्कूल में नहीं बिजली और पानी
मध्यप्रदेश में लचर शिक्षा व्यवस्था, 67,902 स्कूल में नहीं बिजली और पानी

 भोपाल, एएनआइ। मध्यप्रदेश की राजधानी भोपाल के सरोटीपुरा के एक प्राथमिक स्कूल ना बिजली है और ना ही पानी का कनेक्शन है। हालांकि, यह अकेला ऐसा स्कूल नहीं है क्योंकि राज्य में ऐसे 67,902 स्कूल मौजूद हैं, जिनमें बुनियादी सुविधाओं की कमी है।

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प्राथमिक विद्यालय के एक शिक्षक अनूप सिंह ने मीडिया को बताया कि यहां बिजली या पानी की कोई व्यवस्था नहीं है। इतना ही नहीं कक्षा पहली से लेकर पांचवी तक के बच्चों को पढ़ाने के लिए एक ही कमरा है। ऐसे में बच्चों को पढ़ाना बहुत ही मुश्किल है। हम एक ही कमरे में दीवार के विभिन्न किनारों पर बोर्ड लगाते हैं जो हमारे पास हैं और हम उनका अध्ययन करते हैं। आश्वासन मिला लेकिन प्रशासन की ओर से कोई मदद नहीं मिली है।

आधिकारिक आंकड़े बताते हैं कि 855 स्कूल हैं जो बिना बिजली और अन्य बुनियादी सुविधाओं के भोपाल राज्य की राजधानी में काम करते हैं, जबकि छिंदवाड़ा जिले में मुख्यमंत्री कमलनाथ का घर है, 2,620 स्कूल इसी तरह काम कर रहे हैं। यह सब दक्षिण कोरिया में शिक्षा प्रणाली को लागू करने की राज्य सरकार की योजना के कारण हो रहा है, जिसके कारण करीब 130 अधिकारियों ने दक्षिण कोरिया का दौरा किया।

शिक्षा मंत्री, प्रभुराम चौधरी, जो खुद उस प्रतिनिधिमंडल का हिस्सा रहे हैं, जिन्होंने दक्षिण कोरिया का दौरा किया, ने कहा कि कमलनाथ सरकार राज्य में शिक्षा क्षेत्र की समस्याओं को हल करने के लिए प्रतिबद्ध है। उन्होंने आगे कहा कि मध्य प्रदेश सरकार ने राज्य के कुछ प्राथमिक स्कूलों के विद्युतीकरण के लिए आवंटन किया था। यह दुखद है कि शिक्षा क्षेत्र की बेहतरी के लिए काम हमारी सरकारों द्वारा राज्य में नहीं किया गया , लेकिन हम अब कोशिश कर रहे हैं इस अंतर को खत्म करने की। राज्य में स्थिति को सुधारने में समय लगेगा क्योंकि हमारी सरकार ने शिक्षा क्षेत्र को बहुत खराब स्थिति में सौंप दिया है। हम इस दिशा में काम कर रहे हैं।


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