इसरो की बैटरी टेक्नोलॉजी खरीदना चाहती हैं 130 कंपनियां
इस तकनीक को इसरो के विक्रम साराभाई स्पेस सेंटर (वीएसएससी) ने विकसित किया है। इसका सफलतापूर्वक अंतरिक्ष अभियानों में इस्तेमाल किया जा चुका है।
तिरुअनंतपुरम [प्रेट्र]। भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) की लिथियम-आयन बैटरी तकनीक को खरीदने की दौड़ में 130 से ज्यादा कंपनियां शामिल हो गई हैं। इस तकनीक को इसरो के विक्रम साराभाई स्पेस सेंटर (वीएसएससी) ने विकसित किया है। इसका सफलतापूर्वक अंतरिक्ष अभियानों में इस्तेमाल किया जा चुका है।
लिथियम-आयन बैटरी की तकनीक उद्योग जगत को हस्तांतरित करने की इसरो की पहल के तहत वीएसएससी ने संभावित आवेदकों के लिए एक आवेदन - पूर्व सम्मेलन का आयोजन किया है। वीएसएससी ने बताया कि इसरो ने इस संबंध में योग्यता आवेदन जून में मंगाए थे, जिसमें 130 से अधिक कंपनियों ने अपनी रुचि दिखाई है। सम्मेलन में इन कंपनियों के करीब 250 शीर्ष तकनीकी अधिकारी शामिल हो रहे हैं। इस सम्मेलन में तकनीकी हस्तांतरण की विभिन्न प्रक्रियाओं पर विमर्श होगा।
वीएसएससी के डायरेक्टर एस. सोमनाथ ने कहा कि यह इसरो की नीति है कि समाज के फायदे के लिए काम आ सकने वाली तकनीकों को घरेलू उद्योग को हस्तांतरित किया जाए। लिथियम-आयन बैटरी की इस तकनीक की मदद से कंपनियां जरूरत के हिसाब से विभिन्न आकार और क्षमता वाली बैटरी बना सकेंगी। वर्तमान समय में ज्यादातर इलेक्ट्रॉनिक गैजेट में लिथियम-आयन बैटरी का इस्तेमाल होता है। ऑटोमोटिव और एयरोस्पेस सेक्टर में भी इसका इस्तेमाल बढ़ रहा है।