Move to Jagran APP

आंदोलन की आड़ में सुरक्षा एजेंसियों की नजर से बच गए बाकी आतंकी

बुरहान वानी की मौत के बाद जो प्रदर्शन हुआ है उसके चलते बाकी आतंकी फिलहाल सुरक्षा एजेंसियों की नजर से छिप गए हैं।

By Rajesh KumarEdited By: Published: Sat, 23 Jul 2016 09:43 PM (IST)Updated: Sat, 23 Jul 2016 09:58 PM (IST)
आंदोलन की आड़ में सुरक्षा एजेंसियों की नजर से बच गए बाकी आतंकी

जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। कश्मीर में हिंसा का अपना पुराना खेल दोबारा शुरू करने को बेकरार पाकिस्तान की नई रणनीति को समझने में भारतीय सुरक्षा एजेंसियों को इस बार खासी दिक्कत का सामना करना पड़ रहा है। कश्मीर में आतंकी संगठन हिजबुल-मुजाहिद्दीन को पाकिस्तान नए सिरे से बढ़ावा देने में जुटा है।

loksabha election banner

वह आतंकी बुरहान वानी को तुरुप का इक्का समझ रहा था। उसे इसका इल्म नहीं था कि वह इतनी जल्दी भारतीय सुरक्षा एजेंसियों का शिकार हो जाएगा। यही वजह है कि वानी की मौत के बाद बड़ा आंदोलन शुरू कर भारतीय सुरक्षा बलों का ध्यान बांट दिया गया है। इससे वानी के गिरोह के अन्य आतंकियों के खिलाफ कार्रवाई प्रभावित हुई है।

सूत्रों के मुताबिक, मौजूदा मौसम आतंकियों के खिलाफ कार्रवाई के लिए सबसे माकूल था। लेकिन सुरक्षा बलों को फिलहाल बैकफुट पर आना पड़ा है। सुरक्षा बलों की कार्रवाई में बड़ी संख्या में आम लोग हताहत हुए हैं। इसका सबसे बड़ा नुकसान यह हुआ है कि जिन आतंकियों के खिलाफ कार्रवाई हो सकती थी, वे सुरक्षा एजेंसियों की नजर से छिप गए हैं।

कश्मीर में छिपे विदेशी समर्थक आतंकियों के खिलाफ पिछले अप्रैल-मई से कार्रवाई चल रही है। 22 अप्रैल को कुपवाड़ा में चार आतंकी मारे गए थे जबकि 7 मई को तीन आतंकी मारे गए। इनमें दो हिजबुल का क्षेत्रीय प्रमुख था। इससे पाकिस्तान बौखलाया हुआ था। वानी की मौत और उसके बाद आम लोगों के हताहत होने के बाद पाकिस्तान को कश्मीर मुद्दा उछालने का मौका मिल गया है।

पाक की नई रणनीतिः
सूत्रों के मुताबिक, वानी के आतंकी बनने और उसके सोशल मीडिया पर सक्रिय होने के बाद तकरीबन 150 कश्मीरी युवाओं के हथियार उठाने का अंदेशा है। ये सब पाकिस्तान की तरफ से कश्मीर में आतंक की नई पौध लगाने की रणनीति के शिकार हैं। पाक की यह रणनीति काफी पुरानी है।

दिसंबर, 2014 में भारतीय सेना ने ऊरी सेक्टर में छह आतंकियों को मार गिराया था। उनसे जो कागजात हासिल हुए थे, वे पाकिस्तान के इस नापाक मंसूबे को जाहिर करते हैं। अंतरराष्ट्रीय स्तर पर आतंकवाद के खिलाफ चल रहे अभियान के बाद पाकिस्तान बहुत सोच-समझकर कश्मीरी युवाओं को आतंकी बनाने की कोशिश कर रहा है।

चुनौती पहले से अलगः
भारतीय एजेंसियों के सूत्र मानते हैं कि कश्मीर में आतंकवाद से निपटने की चुनौती आज से पांच-सात वर्ष पहले से काफी अलग है। सुरक्षा एजेंसियों को न सिर्फ विदेशी आतंकियों की तरफ से होने वाली वारदातों को रोकना है बल्कि इंटरनेट, मोबाइल फोन और सोशल मीडिया के जरिए आतंकी प्रचार-प्रसार और अफवाहों को फैलने से रोकना भी है।


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.