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अंतरराष्‍ट्रीय योग दिवस: दिव्‍यांगता नहीं रोक सकी राह, बगैर हाथ-पैरों के ही सिखा रहा योग

मध्य प्रदेश के इंदौर में पंचकुइयां स्थित युग पुरुष धाम संस्था में रोज सुबह सात से आठ बजे तक 17 साल का अस्थि बाधित किशोर देता है योग प्रशिक्षण।

By Monika MinalEdited By: Published: Fri, 21 Jun 2019 11:22 AM (IST)Updated: Fri, 21 Jun 2019 11:32 AM (IST)
अंतरराष्‍ट्रीय योग दिवस:  दिव्‍यांगता नहीं रोक सकी राह, बगैर हाथ-पैरों के ही सिखा रहा योग
अंतरराष्‍ट्रीय योग दिवस: दिव्‍यांगता नहीं रोक सकी राह, बगैर हाथ-पैरों के ही सिखा रहा योग

इंदौर, राज्‍य ब्‍यूरो। मन के हारे हार है मन के जीते जीत... इसे चरितार्थ कर रहा है 17 साल का अमर। मात्र ढाई फीट की कद, पैर नदारद और तो और हाथ के नाम पर भी सिर्फ दो अंगुलियां। लेकिन जो भी है उसे ही उसने जिंदगी की जंग जीतने का हथियार बना लिया है। वह इन दो अंगुलियों में छड़ी पकड़कर खुद तो योगासन करता ही है, अपनी तरह के विशेष बच्चों को इसका प्रशिक्षण भी देता है।

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छह वर्षों से प्रतिदिन कर रहा योग

मध्य प्रदेश के इंदौर में पंचकुइयां स्थित युग पुरुष धाम संस्था में रोज सुबह सात से आठ बजे तक अमर भैया की योग कक्षा लगती है। अमर योग के प्रति बेहद समर्पित है। वह पांच-छह वर्षों से प्रतिदिन योगासन कर रहा है। शीर्षासन की मुद्रा में वह लगातार 10 मिनट तक स्थिर रह सकता है। उसकी शीर्षासन में निपुणता को देखते हुए संस्था की प्राचार्य ने उसे वज्रासन, पद्मासन, ताड़ासन, भ्रामरी प्राणायाम आदि आसन करना सिखाए। आसन सीखने के बाद वह प्रतिदिन इनका अभ्यास करने लगा। अमर को देखकर संस्था के अन्य विशेष बच्चे भी योग करने लगे। उन्हें सही तरीका नहीं आने से वे पहले सिर्फ हाथ ऊपर-नीचे चलाते थे। फिर अमर ने उनकी रोज एक घंटा क्लास लेना शुरू की।

अनाथ है अमर

अब संस्था में रहने वाले 50 विशेष और अस्थिबाधित बच्चे रोज एक घंटा योग सीखते हैं। मालूम हो, अमर अनाथ है। उसे पांच साल की उम्र में कोई संस्था के बाहर छोड़ गया था। तब से वह संस्था में ही रह रहा है।

बगल में लकड़ियां दबाकर करता है योग

दरअसल, अविकसित हाथ और बिना पैरों के योग करना असंभव लगता है, लेकिन अमर अपनी बगल में लकड़ियां दबाकर हाथों को ऊपर-नीचे, आगे-पीछे करता है। बच्चों को भी इसी तरह योगासन कराता है। पैरों की जगह कमर का उपयोग करता है। कमर की मदद से पैरों के आसन कराता है। अमर के साथ-साथ संस्था का पूरा स्टाफ व्यायाम करता है। व्यायाम के बाद सभी बच्चे ध्यान लगाते हैं।

बढ़ती है एकाग्रता

संस्था की प्राचार्य डॉ. अनिता शर्मा के मुताबिक, अमर संस्था का आज्ञाकारी छात्र है। वह बहुत छोटी उम्र से संस्था में रह रहा है। योग से विशेष बच्चों में एकाग्रता बढ़ती है। कई बार विशेष बच्चे हिंसक रहते हैं, लेकिन योग से उनके व्यवहार में काफी परिवर्तन आता है।

आरती और घंटे की ध्वनि के साथ आसन

पहले ही यहां योग दिवस 21 जून को संस्था के सभी विशेष बच्चे और स्टाफ ने मिलकर आरती और घंटे की ध्वनि पर योगासन की योजना बना ली थी। प्राचार्य ने बताया कि लाउड स्पीकर पर गुरुजी की आरती के साथ बच्चों ने आसन का अभ्यास किया। विशेष बच्चों को आरती की धूप से सकारात्मक ऊर्जा मिलती है। इसके माध्यम से उनका मनोवैज्ञानिक विकास करने की कोशिश की जा रही है।

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