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जैविक उत्पादों से लगेगा उर्वरक सब्सिडी पर अंकुश, किसानों को कम लागत में मिलेगा लाभ

पिछले दो वर्षो के मुकाबले उर्वरक सब्सिडी तेजी से बढ़ी है। सरकारी आंकडों के मुताबिक वर्ष 2019-20 में उर्वरकों पर सब्सिडी की रकम लगभग 80 हजार करोड़ रुपये हो जाएगी।

By Dhyanendra SinghEdited By: Published: Sun, 02 Feb 2020 09:37 PM (IST)Updated: Sun, 02 Feb 2020 09:38 PM (IST)
जैविक उत्पादों से लगेगा उर्वरक सब्सिडी पर अंकुश, किसानों को कम लागत में मिलेगा लाभ
जैविक उत्पादों से लगेगा उर्वरक सब्सिडी पर अंकुश, किसानों को कम लागत में मिलेगा लाभ

जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। सरकार ने जैविक उत्पादों को बढावा देकर एक तीर से कई निशाने साधने की कोशिश की है। जहां एक ओर जैविक उत्पादों की बढ़ी वैश्विक मांग से किसानों को कम लागत में लाभ मिल सकेगा वहीं अत्यधिक रासायनिक खाद व दवाओं के प्रयोग पर अंकुश भी लगेगा। इससे न केवल भूमि उर्वरा क्षमता को बचाया जाएगा वरन सरकार पर सब्सिडी का बोझ भी घटेगा।

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जैविक खेती को प्रोत्साहित करने पर बजट में जोर दिया गया है। जीरो बजट की प्राकृतिक खेती को बढ़ावा देने के लिए पोर्टल ऑन लाइन राष्ट्रीय जैविक उत्पादन बाजार को मजबूती देने की योजना है।

उर्वरक सब्सिडी शिखर की ओर

गत दो वर्षो के मुकाबले उर्वरक सब्सिडी तेजी से बढ़ी है। सरकारी आंकडों के मुताबिक वर्ष 2019-20 में उर्वरकों पर सब्सिडी की रकम लगभग 80 हजार करोड़ रुपये हो जाएगी। यह स्थिति तक होगी जब यूरिया उत्पादन में कमी के आसार है।

इस वर्ष 138.28 लाख मीट्रिक टन यूरिया उत्पादन की उम्मीद है जबकि वर्ष 2018-19 में यूरिया का उत्पादन 240 लाख मीट्रिक टन था। हालांकि सरकार के सब्सिडी का गलत प्रयोग रोकने के लिए बिक्री व्यवस्था में कई सुधार किए है लेकिन इससे असरकार लाभ नहीं मिल पा रहा। विशेषज्ञों का भी मानना है कि किसानों में जब तक उर्वरकों को लेकर मोह कम नहीं होगा तब तक इस का खामियाजा भुगतना ही पडेगा। जिसका निदान जैविक खेती में संभव है।


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