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CAG की रिपोर्ट में अहम खुलासा, सेना की गोला-बारूद की जरूरतें पूरी नहीं कर पा रहे आयुध कारखानें

CAG ने अपनी रिपोर्ट में साफ तौर पर कहा है कि 31 मार्च 2018 तक आयुध फैक्टि्रयां सेना की प्रमुख मांगों को पूरा नहीं कर सकी थीं।

By Dhyanendra SinghEdited By: Published: Sat, 07 Dec 2019 12:07 AM (IST)Updated: Sat, 07 Dec 2019 12:11 AM (IST)
CAG की रिपोर्ट में अहम खुलासा, सेना की गोला-बारूद की जरूरतें पूरी नहीं कर पा रहे आयुध कारखानें
CAG की रिपोर्ट में अहम खुलासा, सेना की गोला-बारूद की जरूरतें पूरी नहीं कर पा रहे आयुध कारखानें

नई दिल्ली, आइएएनएस। देश के आयुध कारखानें सेना की अहम गोला-बारूद की जरूरतों को पूरा नहीं कर पा रहे हैं। इससे सेना की परिचालन संबंधी तैयारियां प्रभावित हो रही हैं। आयुध कारखाने अपने 80 फीसद उत्पाद सेना को सप्लाई करते हैं। संसद में पेश रक्षा सेवाओं पर नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक (CAG) की रिपोर्ट से यह जानकारी सामने आई है।

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कैग ने कहा है कि आयुध फैक्टि्रयां आधे से भी कम यानी 49 फीसद सामग्रियों में उत्पादन के लक्ष्य को हासिल कर पाती हैं। यही नहीं, 2016-17 की तुलना में 2017-18 में आयुध कारखानों के निर्यात में भी 39 फीसद की गिरावट दर्ज की गई है।

ऑडिट रिपोर्ट को भी किया गया शामिल

कैग ने अपनी रिपोर्ट में साफ तौर पर कहा है कि 31 मार्च, 2018 तक आयुध फैक्टि्रयां सेना की प्रमुख मांगों को पूरा नहीं कर सकी थीं। रिपोर्ट में आयुध कारखाना संगठन के वित्तीय लेन-देन के ऑडिट रिपोर्ट को भी शामिल किया गया है। यह संगठन रक्षा मंत्रालय के रक्षा उत्पाद के अंतर्गत आता है।

रिपोर्ट के मुताबिक आयुध कारखाना बोर्ड को साल 2017-18 में राजस्व व्यय और पूंजीगत व्यय के लिए क्रमश: 14,793 करोड़ रुपये और 804 करोड़ रुपये का बजटीय अनुदान मिला था। उपरोक्त साल में बोर्ड ने 14,251 करोड़ रुपये की सामग्रियां सप्लाई की।

खाली फ्यूज के उत्पादन में सबसे ज्यादा कमी

कैग ने कहा कि आयुध फैक्टि्रयां गोला-बारूद को सुरक्षित और विश्वसनीय तरीके से छोड़े जाने के लिए जरूरी अहम खाली और भरे हुए फ्यूज का उत्पादन भी पूरी क्षमता के साथ नहीं कर पा रही हैं। सामग्रियों की कमी और गुणवत्ता की समस्या के चलते आठ तरह के खाली फ्यूज के उत्पादन में सबसे ज्यादा कमी दर्ज की गई है। फ्यूज की कमी के चलते सेना के 403 करोड़ से ज्यादा के गोला-बारूद बेकार पड़े हैं। खराब फ्यूज के चलते 18 बड़े हादसे भी हुए हैं। 2011 से लागू ई-प्रोक्योरमेंट प्रणाली का भी सही तरीके से पालन नहीं किया जा रहा है।


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