नोटबंदी की बरसी पर देश में काला दिवस मनाएगा विपक्ष
विपक्ष की 18 पार्टियां 8 नवंबर को सरकार की आर्थिक नीति के विरोध में सड़क पर उतरेंगी..
जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। अर्थव्यवस्था में आयी नरमी पर सरकार की राजनीतिक घेराबंदी के लिए विपक्ष ने नोटबंदी की पहली बरसी को काला दिवस के रुप में मनाने का ऐलान किया है। 8 नवंबर को कांग्रेस समेत विपक्ष की 18 पार्टियां एनडीए सरकार की आर्थिक नीतियों के विरोध में पूरे देश में सड़क पर उतरेंगी। विपक्षी दलों के मुताबिक यह साबित हो गया है कि नोटबंदी एक गलत फैसला था जिसने अर्थव्यवस्था को ध्वस्त कर देश में नौकरियों का गहरा संकट पैदा कर दिया है।
नोटबंदी की पहली बरसी पर सरकार के खिलाफ विरोध प्रदर्शन का ऐलान कांग्रेस नेता गुलाम नबी आजाद, तृणमूल नेता डेरेक ओब्रायन और जदयू के बागी नेता शरद यादव ने संयुक्त प्रेस कांफ्रेंस में किया। आजाद ने कहा कि सभी 18 पार्टियां इस बात से सहमत हैं कि नोटबंदी देश के साथ एक बहुत बड़ा धोखा था और इसके खिलाफ मुखर विरोध जाहिर किया जाना चाहिए। इसीलिए विपक्ष की सभी पार्टियां अपने राजनीतिक प्रभाव वाले सूबों में नोटबंदी के खिलाफ काला दिवस मनाएंगी। हालांकि इस विरोध का आयोजन संयुक्त रुप से नहीं होगा। आजाद ने कहा कि पार्टियां विरोध प्रदर्शन का तौर-तरीका अपने हिसाब से तय करेंगी मगर इसमें कोई शक नहीं कि सरकार के खिलाफ सभी विपक्षी सड़क पर उतरेंगे।
जीडीपी में आयी गिरावट को चिंताजनक करार देते हुए आजाद ने कहा कि पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने नोटबंदी के तत्काल बाद जीडीपी में 2 फीसद गिरावट की आशंका जतायी थी तो विपक्ष का उपहास किया गया। मगर जीडीपी की मौजूदा खराब हालत विपक्ष की आशंका को सही साबित करती है और हमें यह कहने में कोई गुरेज नहीं कि नोटबंदी एनडीए सरकार की भयानक आर्थिक भूल है। आजाद ने कहा कि कालाधन खत्म करने, जाली नोट के सफाए और आतंकवाद पर लगाम के तीन तर्को के साथ सरकार ने नोटबंदी को जायज ठहराया था। मगर 99 फीसद से अधिक नोट बैंकों में जमा हो जाने से साफ हो गया कि सरकार कोई कालाधन नहीं पकड़ पायी। आतंकवाद और जाली नोट इन दोनेां मोर्चो पर भी नोटबंदी का कोई असर नहीं हुआ।
आजाद और डेरेक ओब्रायन ने कहा कि देश की 70 साल की अर्थव्यवस्था की इमारत को प्रधानमंत्री के आपाधापी में लिए एक फैसले ने ध्वस्त कर दिया है। आजाद ने कहा कि दुनिया में यह भी एक रिकार्ड होगा कि प्रधानमंत्री के स्तर पर लिये गए फैसले में एक महीने के भीतर ही 135 बदलाव करना पड़ा। उनका कहना था कि देश की जीडीपी के साथ नौजवानों को बेकारी की हालत में इस फैसले का खामियाजा भुगतना पड़ रहा है।
यह भी पढ़ेंः राष्ट्रगान के दौरान खड़े रहना देशक्ति की परीक्षा नहीं हो सकती: ओवैसी
यह भी पढ़ेंः सुप्रीम कोर्ट ने ताज महल के पास बन रही पार्किंग को ढहाने का दिया आदेश