राम जन्मभूमि केस के मुद्दई हाशिम अंसारी का विरोधी भी करते थे सम्मान
रामजन्म भूमि मामले में पक्षकार के अलावा हाशिम अंसारी देश में हमेशा अमन- चैन के पैरोकार थे। जिसके कारण विरोधी भी इनका सम्मान करते थे।
नई दिल्ली [संजीव तिवारी]। रामजन्म भूमि मामले में मुस्लिम पक्ष के पैरोकार रहे हाशिम अंसारी का बुधवार को इंतकाल हो गया। अंसारी देश में हमेशा अमन- चैन के पैरोकार थे। जिसके कारण विरोधी भी इनका सम्मान करते थे। अंसारी हमेशा हिन्दू- मुस्लिम एकता के पक्षधर थे। हिन्दुअों के त्यौहार पर हाशिम साहब साधु-संतों अौर हिंदू धर्मानुयायियों को बधाई देना नहीं भूलते थे, वहीं हिंदू साधु-संत मुस्लिम त्यौहारों पर उनके घर जाकर बधाई देते थे।
अभी कुछ दिन पहले ईद के मौके पर अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष महंत ज्ञानदास खुद हाशिम अंसारी आवास पर गए थे । इस मौके पर उन्होंने अपने हाथों से मिठाई खिलाकर हाशिम अंसारी को ईद की मुबारकबाद दी। आपको बता दें कि हासिम अंसारी और महंत ज्ञानदास के बीच पुराना दोस्ताना रहा है, लेकिन बीते कुछ दिनों से हाशिम अंसारी का स्वास्थ्य खराब होने और चलने फिरने में असमर्थ होने के कारण इस बार ईद की बधाई देने के लिए खुद ज्ञानदास उनके आवास पर पहुंचे थे।
हाशिम अंसारी से मिलने उनके आवास पर पहुंचे महंत ज्ञानदास से मुलाकात के दौरान हाशिम अंसारी ने कहा कि महंत ज्ञानदास ने हमेशा से फिरकापरस्त ताकतों के खिलाफ लड़ाई लड़ी है और आगे भी लड़ते रहेंगे। हम पहले भी साथ रहे हैं और अभी भी साथ रहेंगे। रामजन्म भूमि मामले को लेकर महंत ज्ञान दास जो भी प्रयास करेंगे हम मिलकर उन का साथ देंगे।
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अयोध्या में महंत ज्ञानदास और हाशिम अंसारी के बीच इस मुलाकात ने अयोध्या की गंगा-जमुनी तहजीब की तस्वीर पेश की और दोनों ही लोगों ने इस मुलाकात में अपनी पुरानी दोस्ती हर पुराने प्रयासों को याद किया।
'हिंदुओं से भाईचारा, खानपान'
कुछ दिन पहले हाशिम अंसारी ने कहा था कि मैं सन 1949 से मुकदमें की पैरवी कर रहा हूं। लेकिन आज तक किसी हिंदू ने मुझे एक लफ्ज़ गलत नहीं कहा। हमारा उनसे भाई चारा है। वो हमको दावत देते हैं। मै उनके यहां परिवार के साथ दावत खाने जाता हूं।
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हाशिम अंसारी कहा करते थे कि स्थानीय हिंदू साधु-संतों से उनके रिश्ते कभी खराब नहीं हुए। मैं जब भी उनके घर गया, हमेशा अड़ोस-पड़ोस के हिंदू युवक चचा-चचा कहते हुए उनसे बात करते हुए मिले।
विवाद अपनी जगह, दोस्ती अपनी जगह
विवादित स्थल के दूसरे प्रमुख दावेदारों में निर्मोही अखाड़ा के राम केवल दास और दिगंबर अखाड़ा के राम चंद्र परमहंस से हाशिम की अंत तक गहरी दोस्ती रही। परमहंस और हाशिम तो अक्सर एक ही रिक्शे या कार में बैठकर मुकदमें की पैरवी के लिए अदालत जाते थे और साथ ही चाय-नाश्ता करते थे।
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