ब्रिक्स देशों के बीच सामाजिक सुरक्षा समझौते लिए बनी राय, इससे कर्मियों को दोतरफा कटौती से मिलेगी मुक्ति
ब्रिक्स देशों के बीच होने वाले समझौते से इन देशों-भारत चीन रूस ब्राजील और दक्षिण अफ्रीका में कार्य करने वालों को फायदा होगा। इससे उन्हें दोतरफा कटौती से मुक्ति मिल जाएगी। इतना ही नहीं अन्य विकसित देशों के कर्मी भी इस समझौते से लाभान्वित हो सकेंगे।
नई दिल्ली, प्रेट्र। ब्रिक्स देशों में भी नौकरीपेशा लोगों के लिए सामाजिक सुरक्षा का ढांचा तैयार होना चाहिए, जो उन्हें रोजगार जाने के दौर में जीवन जीने के न्यूनतम साधन लगातार मुहैया कराए। इस बात की सहमति ब्रिक्स देशों के प्रतिनिधियों की बातचीत में बनी।
सामाजिक सुरक्षा समझौता उन अंतरराष्ट्रीय कर्मियों की मदद भी करेगा जो अपनी कमाई का फायदा अपने देश को मुहैया कराते हैं या वे अपनी कमाई का बड़ा हिस्सा परिवार को भेजते हैं। इस समझौते के चलते वे अपनी कमाई से होने वाली दोतरफा कटौतियों से मुक्त हो जाएंगे। मौजूदा वक्त में ऐसे कर्मियों से, जिस देश में वे कार्यरत हैं वहां पर सामाजिक सुरक्षा योजनाओं के लिए धन की कटौती होती है। इसके बाद उस देश में भी धन काटा जाता है, जहां वे उसे भेजते हैं। ब्रिक्स देशों के बीच होने वाले समझौते से इन देशों-भारत, चीन, रूस, ब्राजील और दक्षिण अफ्रीका में कार्य करने वालों को फायदा होगा। इससे उन्हें दोतरफा कटौती से मुक्ति मिल जाएगी। इतना ही नहीं अन्य विकसित देशों के कर्मी भी इस समझौते से लाभान्वित हो सकेंगे, जिनके देश में सामाजिक सुरक्षा का ढांचा मौजूद है। इससे ब्रिक्स देशों को दुनिया भर से प्रतिभाएं आकर्षित करने का मौका मिलेगा।
वर्चुअल बैठक में समझौते के बिंदुओं पर किए गए विचार
ब्रिक्स के सदस्य देशों के प्रतिनिधियों की 11 और 12 मई को नई दिल्ली में हुई वर्चुअल बैठक में समझौते के बिंदुओं पर विचार किया गया। बैठक की अध्यक्षता केंद्र सरकार की श्रम सचिव अपूर्वा चंद्रा ने की। ब्रिक्स के एंप्लॉयमेंट वर्किग ग्रुप की यह पहली बैठक थी। इसमें ब्रिक्स देशों के बीच सामाजिक सुरक्षा समझौता करने, श्रमिकों को काम उपलब्ध कराने के लिए उचित स्थान बनाने और महिलाओं के लिए काम के अवसर बढ़ाने जैसे बिंदुओं पर विचार किया गया। उल्लेखनीय है कि चालू वर्ष में भारत के पास ब्रिक्स की अध्यक्षता की जिम्मेदारी है।