बस्तर के जंगलों में नक्सलियों को घेरने के लिए ऑपरेशन मानसून का ब्लूप्रिंट तैयार
बीते तीन साल से बरसात के मौसम में नक्सल मोर्चे पर फोर्स को मिलती रही बड़ी कामयाबी पहली बार ऑपरेशन मानसून में महिला कमांडो भी उतरेंगी जंगल में।
अनिल मिश्रा, जगदलपुर। बस्तर के जंगलों में नक्सलियों के खिलाफ ऑपरेशन मानसून की तैयारी जोरों से की जा रही है। आंतरिक सुरक्षा सलाहकार के विजय कुमार के साथ हुई बैठकों के बाद यह तय किया गया है कि नक्सल मोर्चे पर आंध्र प्रदेश की ग्रेहाउंड्स की तर्ज पर जवानों का विशेष दस्ता तैनात किया जाएगा। ऑपरेशन मानसून के लिए जंगलवार में दक्ष जवानों को तैयार रहने के लिए कहा गया है। पहली बार महिला कमांडो भी ऑपरेशन मानसून में भाग लेंगी। दंतेवाड़ा में नक्सलियों से लड़ने के लिए महिला डीआरजी (डिस्ट्रिक्ट रिजर्व गार्ड) की टुकड़ी बनाई गई है। महिला कमांडो नक्सल मोर्चे पर अहम लड़ाई लड़ रही हैं।
अब बरसात में जंगल में उतरने के लिए भी ये तैयार हैं। कांकेर स्थित जंगलवार कालेज के निदेशक ब्रिगेडियर बीके पोनवार कहते हैं कि बरसात में फोर्स की सफलता की गुंजाइश कई गुना बढ़ जाती है। नक्सली अपने कैंपों में आराम कर रहे होते हैं। उन्हें उम्मीद नहीं होती कि ऐसे मौसम में फोर्स उनकी मांद में पहुंच जाएगी। ब्रिगेडियर पोनवार ने बताया कि बरसात में उफनते नदी-नालों को पार करने की तकनीक ट्र्रेंनग में आने वाले सभी जवानों को सिखाई जाती है। बस्तर में 20 हजार से ज्यादा जवानों को जंगलवार की विशेष ट्रेनिंग दी गई है। इन्हीं में से सबसे युवा यानी 18 से 24 साल के जवानों को ऑपरेशन मानसून में उतारा जाएगा।
दंतेवाड़ा के एसपी डॉ. अभिषेक पल्लव ने बताया कि ऑपरेशन मानसून का ब्लूप्रिंट तैयार है। बड़े लीडर लंबे वक्त से अंडरग्राउंड हैं। उनकी तलाश की योजना बनाई गई है। इस बार ऑपरेशन मानसून में देवा, विनोद, चैतू आदि बड़े लीडर्स को टारगेट में रखा गया है। ऑपरेशन में डीआरजी, एसटीएफ व कोबरा की टीमें शामिल होंगी।
बरसात में ऑपरेशन की विशेष तैयारी : बरसात के मौसम में वायरल संक्रमण, मलेरिया, सर्पदंश आदि का खतरा होता है। हालांकि ब्रिगेडियर पोनवार कहते हैं कि शारिरिक क्षमता बेहतर हो तो बीमारी आएगी ही नहीं। हम जवानों को इतना ट्रेंड करते हैं कि वे मौसम का मुकाबला कर पाएं। ऑपरेशन मानसून के लिए रेनकोट, जूते आदि का इंतजाम किया गया है। उफनते पहाड़ी नालों को पार करने के लिए जवान अपने साथ रस्से लेकर जाएंगे।
दो साल में मारे गए 91 नक्सली : पहले बरसात में फोर्स कैंपों में रहती थी और नक्सलियों को वारदात करने का मौका मिल जाता था। 2017 में पहली बार ऑपरेशन मानसून लांच किया गया। पहले साल 51 मुठभेड़ हुईं जिनमें 13 नक्सली मारे गए। उनके 68 हथियार भी मिले। 2018 में 40 मुठभेड़ हुईं जिनमें 50 नक्सली ढेर हुए। उनके 68 हथियार भी बरामद किए गए। 2019 में चुनावों में फोर्स उलझी रही फिर भी 34 मुठभेड़ हुईं। हालांकि कोई खास सफलता नहीं मिली थी।
बरसात में फोर्स को अलर्ट रहने के निर्देश दिए गए हैं। हमारा उद्देश्य अंदरूनी इलाकों में विकास कर नक्सलवाद का खात्मा करना है। ऑपरेशन मानसून की तैयारी पूरी है।
-सुंदरराज पी, आइजी बस्तर
बीते तीन साल से बरसात के मौसम में नक्सल मोर्चे पर फोर्स को मिलती रही बड़ी कामयाबी, पहली बार ऑपरेशन मानसून में महिला कमांडो भी उतरेंगी जंगल में।