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DATA STORY: सुप्रीम कोर्ट और हाईकोर्ट के 1,113 जजों में महज 80 हैं महिला जज

न्यायपालिका में पुरुष जजों की तुलना में महिला जज कम हैं। संसद के मानसून सत्र में कानून मंत्री ने सुप्रीम कोर्ट और हाईकोर्ट में महिला जजों की संख्या के बारे में जानकारी दी।

By Vineet SharanEdited By: Published: Fri, 18 Sep 2020 12:58 PM (IST)Updated: Fri, 18 Sep 2020 12:59 PM (IST)
DATA STORY: सुप्रीम कोर्ट और हाईकोर्ट के 1,113 जजों में महज 80 हैं महिला जज
DATA STORY: सुप्रीम कोर्ट और हाईकोर्ट के 1,113 जजों में महज 80 हैं महिला जज

नई दिल्ली, अनुराग मिश्र/पीयूष अग्रवाल। न्यायपालिका में पुरुष जजों की तुलना में महिला जजों की संख्या काफी कम है। संसद के मानसून सत्र में कानून मंत्री रविशंकर प्रसाद ने सुप्रीम कोर्ट और देश के विभिन्न हाईकोर्ट में महिला जजों की संख्या के बारे में जानकारी दी। उच्च न्यायालयों और सुप्रीम कोर्ट को मिलाकर कुल 1,113 न्यायाधीश हैं, जिनमें केवल 80 महिला जज हैं, जो प्रतिशत के हिसाब से महज 7.2% है। इन 80 महिला जजों में भी सिर्फ दो सुप्रीम कोर्ट में हैं और बाकी 78 जज विभिन्न उच्च न्यायालयों में हैं। कुल न्यायाधीशों में 34 सुप्रीम कोर्ट के हैं।

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पंजाब और हरियाणा हाई कोर्ट में सबसे अधिक महिला जज

जिन 26 कोर्ट के डेटा शेयर किए गए हैं, उनमें सबसे अधिक महिला जज (85 में से 11) पंजाब और हरियाणा हाईकोर्ट में हैं। इसके बाद मद्रास हाईकोर्ट में 75 में से 9 महिला जज हैं। मुंबई और दिल्ली हाईकोर्ट में 8 महिला जज हैं। छह हाईकोर्ट मणिपुर, मेघालय, पटना, तेलंगाना, उत्तराखंड, त्रिपुरा में कोई महिला जज नहीं है। 6 अन्य हाईकोर्ट में एक-एक महिला जज है।

अधीनस्थ न्यायालयों में महिला जजों का केंद्रीय डाटाबेस नहीं

कानून मंत्री रविशंकर प्रसाद ने अपने जवाब में कहा कि ट्रिब्यूनल में महिला न्यायाधीशों का विवरण केंद्र द्वारा नहीं रखा जाता है, क्योंकि वे सरकार के विभिन्न मंत्रालयों/विभागों द्वारा प्रशासित किए जाते हैं। वहीं, अधीनस्थ न्यायपालिका में महिला जजों की जानकारी का कोई केंद्रीय डाटाबेस नहीं है, क्योंकि विषय उच्च न्यायालयों और राज्य सरकारों के अधिकार क्षेत्र में आता है। सरकार ने कहा कि उच्च न्यायालय के न्यायाधीशों की नियुक्ति भारत के संविधान के अनुच्छेद 217 और 224 के तहत की जाती है, जो महिलाओं सहित किसी भी जाति, व्यक्ति या वर्ग के लिए आरक्षण प्रदान नहीं करते हैं। सरकार, हालांकि उच्च न्यायालयों के मुख्य न्यायाधीशों से अनुरोध करती रही है कि न्यायाधीशों की नियुक्ति के लिए प्रस्ताव भेजते समय अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति, अन्य पिछड़ा वर्ग, अल्पसंख्यकों और महिलाओं से संबंधित उपयुक्त उम्मीदवारों पर विचार किया जाए।  


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