Move to Jagran APP

डेढ़ लाख किसानों ने एक जमीन पर मांगा दो बार फसल बीमा क्लेम, जांच में हुआ खुलासा

मध्य प्रदेश में फसल बीमा का लाभ दो बार लेने की कोशिश का मामला सामने आया है। मामला प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना से संबंधित है। इसमें करीब डेढ़ लाख किसानों ने एक जमीन पर दो बैंकों से फसल बीमा करवा लिया।

By Arun kumar SinghEdited By: Published: Wed, 27 Jan 2021 05:44 PM (IST)Updated: Wed, 27 Jan 2021 07:30 PM (IST)
डेढ़ लाख किसानों ने एक जमीन पर मांगा दो बार फसल बीमा क्लेम, जांच में हुआ खुलासा
ध्य प्रदेश में फसल बीमा का लाभ दो बार लेने की कोशिश

वैभव श्रीधर, भोपाल। मध्यप्रदेश में फसल बीमा का दो बार लाभ लेने की कोशिश का मामला सामने आया है। यह प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना से जुड़ा है। इसमें डेढ़ लाख किसानों ने एक जमीन पर दो बैंकों से ऋण लिया और फसल बीमा भी करवा लिया। इतना ही नहीं जब फसल को नुकसान हुआ तो क्लेम (दावा) भी दोनों जगह कर दिया। एक बैंक से दावा राशि भी मिल गई पर दूसरे बैंक से क्लेम नहीं मिला तो कई किसानों ने सीएम हेल्पलाइन में शिकायत कर दी। मामला किसानों से जुड़ा होने की वजह से कृषि विभाग ने विस्तृत पड़ताल की तो इस गड़बड़ी का राजफाश हुआ और फिर एक दावे को निरस्त करने की कार्रवाई की गई।

prime article banner

सीएम हेल्पलाइन में हुई शिकायत

योजना में फसल नुकसान होने पर भी दावा राशि नहीं मिलने की शिकायत सीएम हेल्पलाइन में शाजापुर के राम सिंह ने दर्ज कराई थी। सीएम हेल्पलाइन से मामला वस्तुस्थिति की जानकारी के लिए कृषि विभाग पहुंचा और जब पड़ताल हुई तो राजफाश हुआ कि संबंधित किसान को 36810 रुपये का बीमा यूनियन बैंक से मिल चुका है और वह जिला सहकारी केंद्रीय बैंक से बीमा क्लेम मांग रहा है। जबकि, प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना में प्रविधान है कि एक भूमि पर एक ही बैंक से बीमा कराया जा सकता है। इसी तरह का मामला राजगढ़ के बाबूलाल चौरिसया का सामने आया। उन्होंने भी बैंक ऑफ इंडिया से 45,000 रुपये का क्लेम मिला पर उन्होंने जिला सहकारी बैंक से दावा राशि नहीं मिलने की शिकायत कर दी। कृषि विभाग ने जब बीमा कंपनी से ऐसे किसानों की जानकारी मांगी तो पता लगा कि प्रदेशभर में करीब डेढ़ लाख किसान हैं, जिन्होंने एक ही जमीन पर दो जगह से बीमा कराया है।

पड़ताल में हुआ राजफाश और फिर एक दावे को किया गया निरस्त

कृषि विभाग के अपर संचालक बीएम सहारे ने बताया कि प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना के दिशानिर्देशों में स्पष्ट प्रावधान है कि एक जमीन पर दो बार बीमा नहीं हो सकता है। किसानों ने बैंकों को पहले से बीमा करवाने की जानकारी नहीं दी, जो गलत था। पड़ताल में स्थिति स्पष्ट होने के बाद नियमानुसार एक दावा निरस्त करने की कार्रवाई की गई है। गौरतलब है कि इस योजना के तहत मध्यप्रदेश में वर्ष 2019 और वर्ष 2020 के लिए लगभग आठ हजार करोड़ रुपये का बीमा क्लेम दिया जा चुका है।

सहकारी बैंक से कर्ज लेने पर अनिवार्य होता है बीमा कराना

प्रदेश में सहकारी बैंक अपना ऋण सुरक्षित करने के लिए फसल बीमा अनिवार्य रूप से करवाते हैं। किसानों को ऋण देने के साथ ही उनका प्रीमियम इसी राशि में से काटकर बीमा कंपनी को जमा कराया दिया जाता है। जो ऋण नहीं लेते उन किसानों को लिए यह स्वैच्छिक है। जानकारों के मुताबिक इस मामले में किसानों से किसी अन्य राष्ट्रीयकृत बैंक से ऋण लिया लेकिन बीमा करवाने की बात छुपाई। जब फसल को नुकसान पहुंचता है तो बीमा कंपनी से क्लेम मिलता है। किसानों को एक बैंक से क्लेम भी मिला लेकिन दूसरी बैंक से क्लेम मांगना गलत था, इसलिए पड़ताल में यह बात उजागर हो गई।


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.