Onam 2022: केरल के इस अहम पर्व को 10 दिनों तक मनाने की परंपरा, फूलों की रंगोली में सज रही छवि खिलाड़ियों की
Onam 2022 त्योहार आते ही इसी उद्देश्य से हैं कि हर कोई अपनी परंपराओं को यादकर उन्हें दोहराकर संपन्नता और खुशियों से भर जाए। 10 दिन तक चलने वाले पर्व ओणम का आज आखिरी दिन है। इस अवसर पर केरल के प्रो. वशिष्ठ भी कुछ ऐसा ही कर रहे हैं...
आरती तिवारी। मलयालय सौर कलैंडर के अनुसार शुरू हो चुका है नया साल। जिसे ओणम के रूप में मनाया जाता है। केरल के इस अहम पर्व को 10 दिनों तक मनाने की परंपरा है। जिसके हर दिन भिन्न-भिन्न प्रकार की परंपराएं और रीति-रिवाज पूरे किए जाते हैं। भगवान विष्णु के वामन अवतार की पूजा के साथ आरंभ होने वाले इस पर्व में मशहूर नौका दौड़ होती है, नए-नए पकवान बनते हैं और दसवें दिन राजा बलि के आगमन की तैयारी चलती रहती है।
कुल-मिलाकर पूरे 10 दिन चहुंओर खूब उमंग रहती है। धन-धान्य और फसलों को समर्पित रौनक भरे इस अवसर पर फूलों की रंगोली का भी अपना महत्व रहता है। इसे पकलम या पुष्पकालीन भी कहा जाता है। कहते हैं कि इस पर्व के आखिरी यानी दसवें दिन राजा बलि अपनी प्रजा की हाल-खबर लेने आते हैं, इसलिए स्वागत में फूलों की रंगोली व कालीन बनाई जाती है।
मान्यताएं तो भावनाओं को जोडऩे का जरिया है, मगर असल जीवन में देश की तरक्की का रास्ता तय करने वाले हमारे कुछ खिलाड़ी ऐसे हैं, जो वर्ष भर मेहनत करते हैं और फिर अंतरराष्ट्रीय स्तर पर देश का नाम रोशन कर हर भारतीय को गर्व करने और उत्सव मनाने का मौका देते हैं। इसी लिहाज से ओणम के पकलम रिवाज को नया रंग दिया है केरल के मालाबार क्रिश्चियन कॉलेज, कालीकट में इतिहास के प्रोफेसर एम. सी. वशिष्ठ ने।
दरअसल, प्रोफेसर वशिष्ठ ने अपनी एक पूर्व विद्यार्थी की मदद से एक ऐसी पुष्पकालीन तैयार की है जिसमें कोई आम डिजाइन नहीं बल्कि देश का नाम रोशन करने वाली ओलिंपिंक पदक विजेता खिलाड़ी पी.वी. सिंधु और साक्षी मलिक की तस्वीरें उकेरी हैं। इस विशिष्ट रंगोली का उद्देश्य देश की नारी शक्ति के प्रति सम्मान दर्शाना है। यह रंगोली प्रोफेसर वशिष्ठ की विद्यार्थी रेहाना गोपकुमार के कालीकट स्थित घर पर तैयार की गई है।
तीन घंटे में तैयार हुई अपने आप में अनूठी यह रंगोली न सिर्फ शिक्षक-विद्यार्थी के बीच तालमेल और सहयोग की भावना का प्रदर्शन करती है साथ ही मुख्य रूप से खेल जगत में महिला खिलाडिय़ों को अधिक से अधिक सम्मान देने की दृष्टि से भी अहम स्थान रखती है। जो बताती है कि यदि हमारे देश की नारी शक्ति को सही मौका मिले तो वे हर पटल पर तिरंगा लहरा सकती हैं।