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सोमवार को सुप्रीम कोर्ट पर रहेंगी निगाहें, कई अहम मामलों में आएंगे फैसले

शीतकालीन अवकाश के बाद सोमवार से शीर्ष अदालत नागरिकता संशोधन कानून और अनुच्छेद-370 की समाप्ति को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर सुनवाई होगी।

By Manish PandeyEdited By: Published: Sun, 05 Jan 2020 09:20 PM (IST)Updated: Sun, 05 Jan 2020 09:20 PM (IST)
सोमवार को सुप्रीम कोर्ट पर रहेंगी निगाहें, कई अहम मामलों में आएंगे फैसले
सोमवार को सुप्रीम कोर्ट पर रहेंगी निगाहें, कई अहम मामलों में आएंगे फैसले

नई दिल्ली, प्रेट्र। शीतकालीन अवकाश के बाद सोमवार को जब सुप्रीम कोर्ट में कामकाज शुरू होगा तो सभी की निगाहें उस पर लगी होंगी, क्योंकि नागरिकता संशोधन कानून (सीएए) और जम्मू-कश्मीर में अनुच्छेद-370 की समाप्ति को चुनौती देने वाली याचिकाएं उसके समक्ष होंगी। आसार इसी के हैं कि 2020 सुप्रीम कोर्ट के लिए अत्यंत व्यस्तता वाला होगा। इसी साल शीर्ष अदालत को सबरीमाला मंदिर में हर आयु की महिलाओं के प्रवेश के मामले पर विचार के लिए संविधान पीठ का भी गठन करना है।

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शीर्ष अदालत एससी-एसटी वर्ग को प्रमोशन में आरक्षण देने में क्रीमी लेयर की अवधारणा के बेहद महत्वपूर्ण मसले पर फैसला सुनाएगी। दिसंबर 2019 में केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट से अपील की थी कि वह एससी-एसटी समुदाय में आरक्षण के लाभ से क्रीमी लेयर को बाहर रखने के 2018 के अपने फैसले को समीक्षा के लिए सात जजों की बेंच के हवाले करे।

एक अन्य अहम मामला प्रदूषण का है। इस विषय पर अदालत समय-समय पर तमाम आदेश-निर्देश जारी करती रही है। 21 जनवरी को एनवी रमना की अगुआई वाली संविधान पीठ उन तमाम याचिकाओं पर सुनवाई फिर से शुरू करेगी जिनमें अनुच्छेद-370 समाप्त करने के केंद्र सरकार के फैसले को चुनौती दी गई है। इस मामले में अदालत 12 दिसंबर को यह संकेत दे चुकी है कि इसे सात जजों की बेंच के हवाले किया जा सकता है। ऐसी ही कुछ याचिकाएं जम्मू-कश्मीर में कानून एवं व्यवस्था कायम रखने के लिए लगाई गईं पाबंदियों के खिलाफ भी दायर की गई हैं। इन पर सुनवाई करते हुए अदालत ने गत वर्ष 27 नवंबर को फैसला सुरक्षित रख लिया था।

22 जनवरी को मुख्य न्यायाधीश एसए बोबडे की अध्यक्षता वाली पीठ नागरिकता संशोधन कानून की संवैधानिकता को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर सुनवाई करेगी। संशोधित कानून में 31 दिसंबर 2014 या उसके पहले पाकिस्तान, बांग्लादेश, अफगानिस्तान से उत्पीड़न और धार्मिक भेदभाव के कारण भारत आने वाले ¨हदू, सिख, बौद्ध, ईसाई, जैन और पारसी समुदाय के लोगों को नागरिकता देने का प्रावधान किया गया है। इस मामले में 18 दिसंबर को सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार को नोटिस जारी कर जवाब मांगा था, लेकिन इस कानून पर रोक लगाने से इन्कार कर दिया था।


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