ओमिक्रान हो सकता है जानलेवा, एक्सपर्ट्स से जानिए; कहां-कैसे प्रभाव डालता है वायरस और बचाव के उपाय
दिल्ली मेडिकल काउंसिल की साइंफिक कमेटी के चेयरमैन डॉक्टर नरेंद्र सैनी के मुताबिक कोरोना के ओमिक्रोन वैरिएंट को हल्के में नहीं लेना चाहिए। अमेरिका में बड़ी संख्या में लोग इसी वायरस के चलते अस्पताल में भर्ती हो रहे हैं।
नई दिल्ली, जेएनएन। भारत सहित पूरी दुनिया में एक बार फिर से कोरोना संक्रमण तेजी से फैल रहा है। ओमिक्रान वायरस को डेल्टा वायरस से कम घातक माना जा रहा है। लेकिन विशेषज्ञों की मानें तो लोगों को इस वायरस के प्रति भी बेहद सतर्क रहने की जरूरत है। लापरवाही बरतने पर ओमिक्रान वायरस से भी जान जाने का खतरा है। भारत सरकार की ओर से जारी किए गए आंकड़ों के मुताबिक, अब तक 149 देशों में कुल मिलाकर लगभग 5.52 लाख ओमिक्रान वायरस के संक्रमण के मामले सामने आए हैं और 115 मौतें हुई हैं। भारत में पिछले 24 घंटों में 2,64,202 नए मामले सामने आए। भारत में अब तक कुल सक्रिय मरीजों की संख्या 12,72,073 हो चुकी है। इनमें अब तक 5,753 ओमिक्रान के मामले सामने आ चुके हैं।
वैक्सीन जरूर लगवाएं, ये कहती है स्टडी
हाल ही में न्यूयॉर्क शहर में किए गए एक अध्ययन के मुताबिक, जिन लोगों को कोरोना की दोनों वैक्सीन लगी है उनमें संक्रमण का खतरा उन लोगों की तुलना में कम है जिन्हें वैक्सीन नहीं लगी है। न्यूयॉर्क सिटी ने मई 2021 से अब तक के सक्रिय मामलों के विश्लेषण में पाया कि पूरी तरह से टीकाकृत आबादी में गैर-टीकाकृत आबादी की तुलना में कोरोना के साथ अस्पताल में भर्ती होने की संभावना 90.2% से 95.7% कम थी।
आईर्आइटी कानपुर के प्रोफेसर मणींद्र अग्रवाल ने इसके घातक होने को लेकर चेतावनी जारी की है। प्रो.मणींद्र अग्रवाल ने कहा कि जिन लोगों ने अभी तक वैक्सीन नहीं लगवाई है, या मास्क पहनना बंद कर दिया है या फिर कोविड प्रोटोकॉल के किसी भी नियम को नहीं मान रहे है उनको ज्यादा सतर्क रहने की आवश्यकता है। साथ ही जिन लोगों की इम्युनिटी कमजोर है और जिनकी नेचुरल इम्यूनिटी नहीं बन पा रही है उनको कोरोना के नए वैरिएंट ओमिक्रॉन से बहुत ज्यादा खतरा हो सकता है।
डब्ल्यूएचओ ने दी है चेतावनी
विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) प्रमुख टेड्रोस अढानम घेब्रेयेसस का कहना है कि इसको कम लक्षण वाली श्रेणी में नहीं कहा जा सकता है। उन्होंने साफतौर पर कहा कि ओमिक्रोन से संक्रमित लोग अस्पताल में भर्ती हो रहे हैं और इसकी वजह से मौत भी हो रही हैं, जैसे पहले भी हुई हैं। उन्होंने कहा कि अब तक वैश्विक आबादी के केवल 50 फीसदी लोगों को ही कोविड का टीका लगाया जा सका है, वहीं 9 प्रतिशत लोगों को सिर्फ एक डोज लगी है, जबकि 41 प्रतिशत लोग अब भी वायरस के लिए संवेदनशील हैं। जहां तक इसकी सुनामी की बात है तो ये काफी जल्द और काफी बड़ी है। इसके लिए हमें अपने स्वास्थ्य सेवा को जल्द से जल्द पूरी दुनिया में बेहतर करना होगा। अस्पताल पहले से ही मरीजों से भरे हुए हैं।
डब्ल्यूएचओ के मारिया वॉन केरखोव के मुताबिक, पूरी दुनिया में ओमिक्रोन वायरस के संक्रमण के चलते बड़ी संख्या में लोग अस्पताल में भर्ती हो रहे हैं। अगर इस वायरस को हमने गंभीरता से नहीं लिया तो पूरी दुनिया एक बड़ी मुश्किल में पड़ सकती है। उन्होंने कहा कि पब्लिक प्लेसेस पर जरूरत पड़ने पर ही जाएं। ड्यूरेशन को कम से कम रखें। डबल मास्किंग और सोशल डिस्टेंसिंग को फॉलो करें। डॉ. केरखोव के अनुसार इस बात के सबूत बढ़ रहे हैं कि ओमिक्रोन प्रतिरक्षा शक्ति को चकमा दे सकता है। डेल्टा की तुलना में ओमिक्रोन से संक्रमण से कम गंभीर होने के कुछ साक्ष्य मिले हैं लेकिन इसे हल्की बीमारी मानना एक गलती होगी।
आकाश हेल्थकेयर के स्लीप मेडिसिन तथ रेस्पिरेटरी- सीनियर कंसल्टेंट डॉ अक्षय बुद्धराजा ने ओमिक्रोन की भयावहता पर अपनी राय देते हुए कहा, "जो लोग कोविड से संक्रमित हो चुके हैं या जो लोग वैक्सीन की दोनों डोज लगवा चुके हैं वे भी ओमिक्रोन से संक्रमित हो सकते हैं। हालांकि, उनमे लक्षण हल्के दिख सकते हैं या वे संक्रमित तो हो सकते हैं लेकिन उनमे लक्षण नहीं भी दिख सकते हैं।
हल्के में न लें ओमिक्रोन को
दिल्ली मेडिकल काउंसिल की साइंफिक कमेटी के चेयरमैन डॉक्टर नरेंद्र सैनी के मुताबिक कोरोना के ओमिक्रोन वैरिएंट को हल्के में नहीं लेना चाहिए। अमेरिका में बड़ी संख्या में लोग इसी वायरस के चलते अस्पताल में भर्ती हो रहे हैं। ओमिक्रॉन वैरिएंट वायरस का संक्रमण गले से शुरू होता है। लेकिन जिन लोगों की प्रतिरोधक क्षमता कमजोर होती है उनमें ये संक्रमण बाकी शरीर में भी फैल जाता है जिससे मौत भी हो सकती है। जिन लोगों को अब तक वैक्सीन नहीं लगी है उनमें संक्रमण का खतरा ज्यादा है। 18 साल से कम के ज्यादातर युवाओं को अब तक वैक्सीन नहीं लगी है। ऐसे में बेहद सावधानी बरतने की जरूरत है। साथ ही कोविड प्रोटोकॉल का पूरी तरह से पालन करने की जरूतर है। अगर आपको वेक्सीन की दोनों डोज लगी है तो ऐसा नहीं है की आपको वायरस का संक्रमण नहीं होगा। आपको भी वायरस का संक्रमण होगा लेकिन आपकी प्रतिरोधक क्षमता अच्छी होने के कारण घर पर ही इलाज से आप ठीक हो सकेंगे। जिन लोगों की प्रतिरोधक क्षमता कमजोर है वो और लोगों के लिए बड़ी मुश्किल खड़ी कर सकते हैं। ऐसे लोगों के शरीर में वायरस काफी समय तक रहता है। ऐसे में वायरस के रूप में बदलाव होता है। अगला बदला हुआ वायरस कितना घातक होगा ये फिलहाल कहना मुश्किल है। ऐसे में जिन लोगों को संक्रमण हा या जिनकी प्रतिरोधक क्षमता कम हो उन्हें आइसोलेशन में ही रहना चाहिए।
फेडरेशन ऑफ ऑल इंडिया मेडिकल एसोसिएशन के राष्ट्रीय अध्यक्ष डॉक्टर मनीष प्रभाकर कहते हैं कि ओमिक्रॉन एक वायरस है। ऐसे में इसके संक्रमण को हल्के में लेना खतरनाक हो सकता है। ये सच है कि इसके संक्रमण से होने वाली मौतें कोरोना के डेल्टा वेरिएंट से होने वाली मौतों से कहीं कम हैं। पर कुछ लोगों की जान इस वायरस से भी गई है। अगर इसका संक्रमण बहुत अधिक बढ़ता है तो ओमिक्रोन वायरस के संक्रमण से मरने वालों की संख्या भी बढ़ेगी। हालांकि ये मौतें डेल्टा वैरिएंट की तुलना में काफी कम होंगी। भारत में बड़े पैमाने पर किए चुके वैक्सीनेशन का परिणाम है कि अब तक हालात बहुत खराब नहीं हुए हैं। जिन लोगों को वैक्सीन लगी है वो मामूली लक्षणों के साथ कुछ दिनों में ठीक हो जा रहे हैं। लेकिन जिन्हें वैक्सीन नहीं लगी है उन्हें संक्रमण होने पर अस्तपाल में भर्ती करना पड़ सकता है।
ऐसे करता है कोरोना वायरस लिवर पर वार
रिसर्च में शोधकर्ताओं ने पाया है कि कोरोना वायरस लिवर में मौजूद महत्वपूर्ण एंजाइम्स की मात्रा बढ़ा देता है। इन एंजाइम्स का नाम एलेनिन एमिनोट्रांस्फरेज (ALT) और एस्परटेट एमिनोट्रांस्फरेज (AST) है। रिसर्च के मुताबिक कोरोना के 15 से 53 फीसदी मरीजों में इन लिवर एंजाइम्स को अधिक मात्रा में पाया गया। वायरस का कोई भी वैरिएंट, चाहे वो डेल्टा हो या ओमिक्रॉन, लिवर के मुख्य सेल्स (कोशिकाओं) पर नकारात्मक प्रभाव डालता है।
सावधान रहें, ऑर्गन पर डालता है असर
लेडी हार्डिंग की वरिष्ठ चिकित्सा अधिकारी समीक्षा जैन का कहना है कि ओमिक्रॉन भी एक वायरस है। इससे सावधान रहने की जरूरत है। इसका इन्फेक्शन बढ़ने पर मौत भी हो रही है। हालांकि जिन लोगों को वैक्सीन लगी है बिना अस्पताल जाए जल्दी ठीक हो जा रहे हैं। पर जिन्हें वैक्सीन नहीं लगी है उन्हें इंफेक्शन होने पर अस्पताल में भर्ती करना पर रहा है। कुछ को तो आईसीयू की भी जरुरत पड़ रही हैं। अमेरिका सहित कई देशों में ऐसा देखा गया है कि कुछ मामलों में मरीज में मल्टी ऑर्गन फेलियोर की स्थिति हो जाती है। नाक या शरीर के अंदर से खून आने के कुछ मामले भी दर्ज किए गए है। ऐसे लोग जीने सांस की दिक्कत है या जिनके फेफड़ो में इन्फेक्शन है उन्हें ज्यादा सावधान रहने की जरूरत है। किडनी, लिवर, बीपी, सुगर और मोटापे के मरीजों को भी सावधान रहना चाहिए।
ये कहती है रिसर्च
यूरोपियन हार्ट जर्नल में प्रकाशित एक नई स्टडी बताती है कि वायरस का इंफेक्शन अपना असर छोड़ जाता है, फिर भले ही मरीजों में इसके लक्षण ना दिखते हों स्टडी के मुताबिक हल्का संक्रमण भी शरीर के अंगों को डैमेज कर सकता है। स्टडी के लिए 45 से 74 साल की उम्र के कुल 443 लोगों की बड़े पैमाने पर जांच की गई। स्टडी में शामिल किए गए संक्रमितों में हल्के या किसी तरह के लक्षण नहीं थे और स्टडी का रिजल्ट बताता है कि संक्रमितों के अंदर संक्रमित ना होने वाले लोगों के मुकाबले मीडियम टर्म ऑर्गेन डैमेज देखा गया।
यूरोपियन हार्ट जर्नल में छपी इस स्टडी के मुताबिक लंग फंक्शन टेस्ट में फेफड़े का वॉल्यूम तीन प्रतिशत घटा पाया गया और एयर-वे से जुड़ी दिक्कतें भी देखी गईं। हल्के लक्षण और कम लक्षण वाले संक्रमितों पर हुई स्टडी में संक्रमण के दिल पर पड़ने वाले असर को भी देखा गया। हार्ट की पम्पिंग पावर में औसतन 1 से 2 प्रतिशत की कमी दर्ज की गई जबकि खून में प्रोटीन का स्तर 41 प्रतिशत तक बढ़ पाया गया, जो कि हार्ट पर पड़ने वाले तनाव के बारे में बताता है।
रिसर्च में वैज्ञानिकों को फिक्र बढ़ाने वाली एक और बात पता चली है और वो है पैरों की नसों में खून के थक्के ज्यादा बनना। स्टडी के नतीजों के मुताबिक हल्के या कम लक्षण वाले लोगों में दो से तीन गुना ज्यादा बार लेग वीन थ्रोम्बोसिस यानी पैरों की नसों में खून के थक्के बनते देखे गए हैं. पैर की नसों में खून का थक्का जमने से हुआ ब्लाकेज बेहद खतरनाक हो सकता है क्योंकि कई बार यह थक्का टूट कर फेफड़े की नली में रुकावट पैदा कर देता है जो मरीज के लिए जानलेवा हो जाता है।
ये आ रहे है लक्षण
गले में परेशानी
पहले लक्षणों में स्क्रैची थ्रोट है। इसमें गला अंदर से छिल जाता है। वहीं डेल्टा वैरिएंट में गले में खराश की प्रॉब्लम होने लगती है। डिसकवरी हेल्थ, साउथ अफ्रीका के चीफ एग्जीक्यूटिव रयान रोच ने बताया कि नाक बंद होना, सूखी खांसी और पीठ में नीचे की तरफ दर्द की समस्या ओमिक्रोन पीड़ित को हो रही है।
आवाज में दिखेगा असर
आपकी आवाज फटी-फटी या गला बैठा हुआ भी महसूस हो सकता है।
कफ
दोनों वैक्सीन लगवा चुके लोगों में कफ एक प्रमुख लक्षण के तौर पर उभरकर सामने आया है। वहीं नाक का बहना भी एक प्रमुख संकेत है।
थकान
कई लोगों में इसकी वजह से थकान की दिक्कत हो रही है।
मांसपेशियों में दर्द
मांसपेशियों में खिंचाव और दर्द भी इसके लक्षणों में से एक है। जिन लोगों को ओमिक्रोन हुआ उनमें से पचास फीसद लोगों में यह लक्षण देखा गया।
ये भी है लक्षण
बहती नाक, बंद नाक, सिर दर्द, थकान, छींक आना, रात में पसीना और शरीर में दर्द होना जैसे ओमिक्रोन के अन्य शुरुआती लक्षण हैं।
फरवरी में आ सकता है पीक
वाशिंगटन के इंस्टीट्यूट फॉर हेल्थ मैट्रिक्स एंड एविल्यूशन के निदेशक डॉक्टर क्रिस्टोफर के मुताबिक भारत में कोरोना की इस लहर का पीक फरवरी में आ सकता है। पीक आने पर एक दिन में 5 लाख केस आ सकते हैं। हालांकि डेल्टा की तुलना में ओमिक्रॉन कम घातक है।
हर देश में पहुंच चुका है ओमिक्रोन वैरिएंट
उन्होंने कहा कि जिन देशों में जीनोम सीक्वेंसिंग की तकनीक अच्छी है, ऐसे सभी देशों में ओमिक्रोन वैरिएंट के होने की पुष्टि हो चुकी है। संभावना इसी बात की है कि यह दुनिया के हर देश में पहुंच चुका है। बता दें कि ब्रिटेन और अमेरिका में ओमिक्रॉन की वजह से रोज लाखों की संख्या में कोरोना मरीज सामने आ रहे हैं। इसके अलावा और भी कई देशों में हालात बहुत गंभीर हो गए हैं।
प्रधानमंत्री ने किया आगाह
प्रधानमंत्री ने भी देश के लोगों को ओमिक्रोन वायरस से सावधान रहने के लिए कहा है। उन्होंने ट्वीट करके कहा कि ऑमिक्रोन को लेकर पहले जो संशय की स्थिति थी, वो अब धीरे-धीरे साफ हो रही है। पहले जो वैरिएंट थे, उनकी अपेक्षा में कई गुना अधिक तेज़ी से ऑमिक्रोन वैरिएंट आम लोगों को संक्रमित कर रहा है। उन्होंने कहा कि हमें सतर्क रहना है, सावधान रहना है लेकिन Panic की स्थिति ना आए, इसका भी ध्यान रखना है। हमें ये देखना होगा कि त्योहारों के इस मौसम में लोगों की और प्रशासन की एलर्टनेस कहीं से भी कम नहीं पड़े। उन्होंने कहा कि हम 130 करोड़ भारत के लोग, अपने प्रयासों से कोरोना से जीतकर अवश्य निकलेंगे।
ओमिक्रोन क्या है और यह चिंताजनक क्यों है?
यह सार्स-कोव-2 का एक नया वेरिएंट (संस्करण) है जिसका पता 24 नवंबर 2021 को दक्षिण अफ्रीका में चला जहां इसे बी.1.1.1.529 या ओमिक्रोन (अल्फा,बीटा,डेल्टा आदि जैसे ग्रीक अक्षरों पर आधारित) नाम दिया गया है। यह वेरिएंट बहुत बड़ी संख्या में उत्परिवर्तन (म्यूटेशन) दिखाता है। विश्व स्वास्थ्य संगठन ने ओमिक्रॉन को एक चिंताजनक वेरिएंट (वीओसी) घोषित किया है।
ओमिक्रोन की टेस्टिंग कैसे होती है?
द सार्स-कोव-2 वेरिएंट के निदान का सबसे स्वीकृत और आमतौर पर इस्तेमाल किया जाने वाला तरीका आरटी-पीसीआर विधि है। यह विधि वायरस की उपस्थिति की पुष्टि करने के लिए वायरस में स्पाइक (एस) और न्यूक्लियोकैप्सिड (एन) आदि जैसे विशिष्ट जीन का पता लगाती है। हालांकि, ओमिक्रॉन के मामले में, चूंकि स्पाइक एस जीन बहुत अधिक उत्परिवर्तित होता है, कुछ प्राइमर ऐसे होते हैं जिससे एस जीन की अनुपस्थिति का संकेत मिलता है (जिसे एस जीन ड्रॉप आउट कहा जाता है)। यह विशेष एस जीन ड्रॉप आउटअन्य वायरल जीन का पता लगाने के साथ-साथ ओमाइक्रोन की नैदानिक विशेषता का भी पता लगाने में भी उपयोग किया जा सकता है। हालांकि, ओमिक्रॉन वेरिएंट की अंतिम तौर पर पुष्टि के लिए जीनोम सिक्वेंसिंग की आवश्यकता होती है।
क्या सावधानियां बरतनी चाहिए?
इससे बचने के लिए बरती जाने वाली सावधानियां और उपाय पहले की तरह ही है। ठीक तरीके से मास्क लगाना आवश्यक है, टीके की दोनों खुराकें लें (यदि अभी तक टीकाकरण नहीं किया गया है), एक व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति के बीच की दूरी (सामाजिक दूरी) बनाए रखें और जहां तक संभव हो घरों को अधिक से अधिक हवादार बनाए रखें। एहतियात और कोविड प्रोटोकॉल का पालन करें
पारस हॉस्पिटल, गुरुग्राम के पल्मोनोलॉजी - सीनियर कंसल्टेंट और डिपार्टमेंट हेड डॉ अरुणेश कुमार ने कहा , "कोविड-19 का नया वैरियंट, Omicron, कई कारणों से दहशत फैला रहा है। यह एक नया वायरस है जिसके बारे में जानकारी अभी बहुत कम है। वैज्ञानिक अभी भी इस पर रिसर्च कर रहे हैं। लोग सोशल मीडिया पर खबरों से प्रभावित हो रहे हैं और सही दृष्टिकोण अपनाने के बजाय ऊटपटांग चीजें कर रहे हैं। उन्हें स्थिति से डरना नहीं चाहिए। नई दवाओं के संक्रमण और उसके फैलाव को रोकने के लिए हमें हर समय कोविड के उचित सावधानी वाले नियमों का पालन करना चाहिए। सावधानी ही बचाव है, सतर्क रहें, मास्क पहनें, सभी कोविड प्रोटोकॉल का पालन करें और ऐसे मुश्किल समय में एकजुट रहें।
क्या ओमिक्रोन के लक्षण दूसरे वेरिएंट की तुलना में जल्दी दिखने लगते हैं?
ओमिक्रॉन को लेकर रिसर्च अभी भी जारी है और एक्सपर्ट्स का मानना है कि ओमिक्रॉन के लक्षण कोविड-19 के अन्य वेरिएंट्स की तुलना जल्दी दिख सकते हैं। यूके के हेल्दी सेक्रेटरी साजिद जावेद ने कहा, "यूके स्वास्थ्य सुरक्षा एजेंसी के हालिया विश्लेषण से पता चलता है कि डेल्टा संस्करण की तुलना में ओमिक्रॉन के लिए संक्रमण और संक्रामकता के बीच की खिड़की छोटी हो सकती है।" इसके अलावा, ओमिक्रॉन की कम ऊष्मायन अवधि की संभावना को संस्करण के तेज़ी से बढ़ने के पीछे के कारणों में से एक माना जा रहा है।
मुझे कोरोना हो चुका है, क्या अब ओमिक्रोन भी हो सकता है?
बिल्कुल हो सकता है, क्योंकि जो कंफर्म ओमिक्रोन केस मिले हैं उनमें वो लोग भी हैं जिन्हें दो-दो बार कोरोना हो चुका है।