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ओह! तो इस कारण भी ट्रेनें होती हैं लेट, रेल मंत्रालय को एक बड़ी खामी पकड़ में आई

ट्रेनों की लेटलतीफी दूर करने के प्रयासों में जुटे रेल मंत्रालय को इसके पीछे अपनी एक बड़ी खामी पकड़ में आई है।

By Bhupendra SinghEdited By: Published: Thu, 12 Jul 2018 09:51 PM (IST)Updated: Fri, 13 Jul 2018 06:56 AM (IST)
ओह! तो इस कारण भी ट्रेनें होती हैं लेट, रेल मंत्रालय को एक बड़ी खामी पकड़ में आई
ओह! तो इस कारण भी ट्रेनें होती हैं लेट, रेल मंत्रालय को एक बड़ी खामी पकड़ में आई

नई दिल्ली[संजय सिंह ]। ट्रेनों की लेटलतीफी दूर करने के प्रयासों में जुटे रेल मंत्रालय को इसके पीछे अपनी एक बड़ी खामी पकड़ में आई है। यह है लोको पायलटों को रास्ते का प्रशिक्षण (रोड ट्रेनिंग) देने के अलग-अलग नियम-कायदों का होना। रोड ट्रेनिंग के लिए हर जोन और डिवीजन ने अपने नियम बना रखे हैं। इससे लंबी दूरी की कोई ट्रेन जब एक जोन की सीमा से दूसरे जोन की सीमा में प्रवेश करती है तो कंट्रोल के साथ कम्यूनिकेशन संबंधी दिक्कतें पैदा होती हैं जो अंतत: ट्रेन के लेट होने का कारण बनती हैं। रेलवे बोर्ड में नए सदस्य, यातायात ने इस गड़बड़ी को पकड़ा है और इसमें सुधार का निर्णय लिया है। इसके लिए पूरे देश में ड्राइवरों को रोड ट्रेनिंग देने के एक समान नियम लागू किए जाएंगे।

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इस संबंध में सभी जोनों के महाप्रबंधकों को निर्देश जारी कर दिए गए हैं। रेलवे की तकनीकी शब्दावली में कोई लोको पायलट जिस रास्ते पर अक्सर ट्रेन चलाता है, उसे रोड कहते हैं। लोको पायलट को कोई ट्रेन सौंपने से पहले रास्ते से परिचित कराने के लिए रोड ट्रेनिंग कराई जाती है। इसमें उसे ट्रेन के रास्ते में पड़ने वाली एक-एक चीज का बारीक ज्ञान, अभ्यास और अनुभव कराया जाता है।

पूरे देश में लागू होने वाले नए एकसमान सामान्य इलाकों में रोड ट्रेनिंग नियमों के अनुसार किसी भी लोको पायलट और असिस्टेंट लोको पायलट को रोड की ट्रेनिंग के लिए कम से कम तीन फेरे (अप व डाउन) लगवाया जाना जरूरी होगा। इनमें एक ट्रिप रात की होगी। परंतु घाट सेक्शन तथा ऑटोमैटिक सिगनलिंग वाले रूटों पर फेरों की संख्या कम से कम दूनी अर्थात छह होगी। यदि सेक्शन में एक से अधिक लाइन उपलब्ध है तो प्रत्येक लाइन पर कम से कम एक फेरा कराना आवश्यक होगा।

इतना ही नहीं, यदि किसी लोको पायलट ने छुट्टी आदि के कारण लंबे समय से ट्रेन संचालन नहीं किया है तो उसे दुबारा ट्रेन की ड्यूटी सौंपने से पहले नए सिरे से रोड ट्रेनिंग देनी होगी। तीन से छह महीने तक की गैर हाजिरी की दशा में उससे सामान्य क्षेत्रों में एक फेरा, जबकि घाट व ऑटोमैटिक क्षेत्रों में तीन फेरे लगवाए जाएंगे। छह माह से दो वर्ष तक की अनुपस्थिति के बाद लोको पायलट को क्रमश: दो और तीन ट्रिप तथा दो वर्ष से भी ज्यादा अवधि की छुट्टी के बाद ट्रेन सौंपने से पहले क्रमश: तीन और छह अथवा कंट्रोलिंग आफीसर की सलाह के अनुसार इससे भी ज्यादा फेरे लगवाकर रोड के बारे में पुन: प्रशिक्षित किया जाएगा।

रेलवे बोर्ड ने इस तरह के सभी प्रशिक्षणों का पूरा रिकार्ड रखने और उसे क्रू मैनेजमेंट सिस्टम का हिस्सा बनाने के निर्देश भी महाप्रबंधकों को दिए हैं।


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