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अब अफसर करेंगे बुंदेलखंड पैकेज की निगरानी

नई दिल्ली [हरिकिशन शर्मा]। संप्रग सरकार ने कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी के पसंदीदा बुंदेलखंड पैकेज की निगरानी से सांसदों की छुट्टी कर दी है। योजना आयोग ने 12वीं पंचवर्षीय योजना के दौरान इस पैकेज के तहत परियोजनाओं की मंजूरी और निगरानी के लिए गठित समिति में बुंदेलखंड क्षेत्र के सांसदों को जगह नहीं दी है। आया

By Edited By: Published: Wed, 12 Mar 2014 07:29 PM (IST)Updated: Wed, 12 Mar 2014 07:33 PM (IST)
अब अफसर करेंगे बुंदेलखंड पैकेज की निगरानी

नई दिल्ली [हरिकिशन शर्मा]। संप्रग सरकार ने कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी के पसंदीदा बुंदेलखंड पैकेज की निगरानी से सांसदों की छुट्टी कर दी है। योजना आयोग ने 12वीं पंचवर्षीय योजना के दौरान इस पैकेज के तहत परियोजनाओं की मंजूरी और निगरानी के लिए गठित समिति में बुंदेलखंड क्षेत्र के सांसदों को जगह नहीं दी है। आयोग ने पैकेज की निगरानी का जिम्मा केंद्र और राज्यों के अधिकारियों को सौंपा है।

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आयोग के एक अधिकारी ने कहा कि 12वीं पंचवर्षीय योजना में बुंदेलखंड पैकेज के लिए 4400 करोड़ रुपये धनराशि बैकवर्ड रीजन ग्रांट फंड से आयेगी। इस फंड से बिहार, ओडिशा तथा अन्य प्रदेशों के पिछड़े क्षेत्रों के लिए भी धनराशि दी गई है, इसलिए बुंदेलखंड पैकेज की निगरानी के लिए आयोग ने अलग से कोई समिति नहीं बनाई है। आयोग ने जो अधिकारप्राप्त समिति बनाई है, वह सभी राज्यों में विशेष पैकेज के तहत परियोजनाओं की मंजूरी और निगरानी का काम देखेगी। इसमें केंद्र और राज्यों के अधिकारी शामिल होंगे।

उल्लेखनीय है कि 11वीं पंचवर्षीय योजना के दौरान योजना आयोग के उपाध्यक्ष मोंटेक सिंह अहलूवालिया की अध्यक्षता में बुंदेलखंड क्षेत्र के सांसदों की एक समिति बनी थी जो इस पैकेज के क्रियान्वयन की निगरानी कर रही थी। इस समिति की योजना भवन में बैठक भी हुई। इसके बाद अहलूवालिया ने पैकेज के क्रियान्वयन का जायजा लेने के लिए खुद बुंदेलखंड का दौरा किया था।

निगरानी समिति के सदस्य रहे हमीरपुर से संसद सदस्य विजय बहादुर सिंह का कहना है कि सरकार बुंदेलखंड पैकेज के बारे में जनप्रतिनिधियों को अंधेरे में रखना चाहती है। केंद्र ने एक साल से अधिक समय होने के बाद भी पैकेज की निगरानी के लिए जनप्रतिनिधियों की बैठक नहीं बुलाई है। जो बैठक हुई थी, उसकी मिनट्स भी आयोग ने सांसदों को नहीं भेजी। बुंदेलखंड निगरानी समिति में यूपी और मध्य प्रदेश के करीब आधा दर्जन संसद सदस्य शामिल थे।


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