ग्रामीण और दूरदराज क्षेत्रों के बच्चों को समाचार पत्रों के जरिए पढ़ाने का दिया प्रस्ताव
बैठक में मंत्रालय के सामने परीक्षाओं के तरीकों को लेकर भी चर्चा हुई। जिसमें क्वेश्चन बैंक आधारित सिस्टम को अपनाने पर जोर दिया गया। जिस पर मंत्रालय ने अपनी सहमति दी है।
नई दिल्ली, जागरण ब्यूरो। कोरोना संकट काल में घरों में बैठे स्कूली बच्चों को पढ़ाने के लिए सरकार वैसे तो सभी जरूरी कदम उठा रही है, लेकिन ग्रामीण क्षेत्रों के बच्चों तक उसकी पहुंच अभी भी अधूरी है। शिक्षा मंत्रालय की संसदीय मामलों की स्थाई समिति ने सोमवार को इस मुद्दे को प्रमुखता से उठाया। साथ ही सुझाव दिया है कि ग्रामीण और दूर-दराज क्षेत्रों के बच्चों को पढ़ाने के लिए समाचार पत्रों की मदद ली जाए।
शिक्षा मंत्रालय की संसदीय मामलों की स्थाई समिति ने दिया सुझाव
समिति का कहना था कि इस संकट काल में भी गांव-गांव तक समाचार पत्र पहुंच रहे है, ऐसे में छात्रों तक उसके जरिए अध्ययन सामाग्री पहुंचायी जाए। शिक्षा मंत्रालय से जुड़ी इस स्थाई समिति की बैठक भाजपा के वरिष्ठ सांसद डा विनय सहत्रबुद्धे की अगुवाई में हुई। जिसके कुल 30 सदस्यों मे से करीब 17 इस बैठक में पहुंचे थे।
कोरोना संकट काल में छात्रों की पढ़ाई के तरीके जाने
संसद भवन परिसर में हुई इस बैठक में मंत्रालय के सामने परीक्षाओं के तरीकों को लेकर भी चर्चा हुई। जिसमें क्वेश्चन बैंक आधारित सिस्टम को अपनाने पर जोर दिया गया। जिसे पर मंत्रालय ने अपनी सहमति दी है। साथ ही समाचार पत्रों के जरिए दूर-दराज और ग्रामीण क्षेत्रों के बच्चों तक पहुंचने के सुझाव पर भी अपनी सहमति जताई है। समिति के सदस्यों ने इस दौरान मंत्रालय से सबसे ज्यादा सवाल कोरोना संकट काल में छात्रों को पढ़ाई को लेकर ही किए। साथ ही जानना चाहा कि वह इन तक पहुंचने के लिए कौन-कौन से तरीके अपना रहे है। मंत्रालय ने इसे लेकर सदस्यों को सारी जानकारी दी, जिसमें टीवी, रेडियो और ऑनलाइन माध्यमों का जिक्र किया है।