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आपत्तिजनक खबर छापने को लेकर इस न्यूज पोर्टल और संपादक के खिलाफ चलेगा मानहानि का मुकदमा

आपत्तिजनक खबर छापने वाले न्यूज पोर्टल वायर के संपादक और पत्रकार के खिलाफ मानहानि का मुकदमा चलेगा।

By Manish PandeyEdited By: Published: Tue, 27 Aug 2019 09:13 PM (IST)Updated: Tue, 27 Aug 2019 09:43 PM (IST)
आपत्तिजनक खबर छापने को लेकर इस न्यूज पोर्टल और संपादक के खिलाफ चलेगा मानहानि का मुकदमा
आपत्तिजनक खबर छापने को लेकर इस न्यूज पोर्टल और संपादक के खिलाफ चलेगा मानहानि का मुकदमा

जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। गृहमंत्री अमित शाह के बेटे जय शाह के खिलाफ आपत्तिजनक खबर छापने वाले न्यूज पोर्टल, वायर के संपादक और पत्रकार के खिलाफ मानहानि का मुकदमा चलेगा। मानहानि के केस को निरस्त करने के लिए सुप्रीम कोर्ट में दाखिल की गई याचिका को आरोपियों ने वापस ले लिया है। खबर छापने के तरीके पर तीखी प्रतिक्रिया जाहिर करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने आगाह किया कि मीडिया को 'पीत पत्रकारिता' से बचना चाहिए। कोर्ट ने कहा कि मीडिया को स्वतंत्रता है लेकिन यह इकतरफा नहीं होना चाहिए।

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लगभग डेढ़ साल तक सुप्रीम कोर्ट में लंबित रहने के बाद मानहानि के केस को निरस्त करने वाली याचिका को जस्टिस अरुण मिश्रा की बेंच ने वापस लेने की अनुमति तो दे दी, लेकिन तीखी नाराजगी जताने से नहीं चूकी। बेंच में जस्टिस बीआर शाह और जस्टिस एमआर गवई भी शामिल थे। जय शाह को स्पष्टीकरण के लिए केवल चार-पांच घंटे का समय देने और बिना स्पष्टीकरण के ही खबर छाप देने पर सवाल उठाते हुए अदालत ने पूछा कि यह किस तरह की पत्रकारिता है। न्यायपालिका के बारे में कुछ न्यूज पोर्टल पर छपने वाली खबरों का हवाला देते हुए सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि इससे हम भी पीडि़त रहे हैं। अदालत ने कहा कि वे इस मामले का स्वत: संज्ञान लेते हुए निपटा सकते हैं। लेकिन अंतत उसने याचिका को वापस लेने की अनुमति दे दी।

सुप्रीम कोर्ट बार-बार स्पष्टीकरण के लिए केवल चार-पांच घंटे का समय दिये जाने पर आपत्ति जताता रहा। याचिकाकर्ता के वकील कपिल सिब्बल और सालिसीटर जनरल के बीच तीखी बहस के बीच सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि इस तरह की पत्रकारिता संस्थाओं का बहुत ज्यादा नुकसान कर चुकी है। सुप्रीम कोर्ट का कहना था कि इस मामले में पहले ही काफी समय बीत चुका है, इसीलिए ट्रायल को जल्द-से-जल्द मामले की सुनवाई पूरी करनी चाहिए।

क्या है पूरा मामला
वायर ने गुजरात चुनाव के पहले 2014 में मोदी सरकार बनने के बाद जय शाह की एक कंपनी में कई गुना ज्यादा लेन-देन की खबर प्रकाशित की थी। खबर को इस तरह पेश किया गया था कि जय शाह की कंपनी को सरकार बनने के बाद अनुचित लाभ मिला हो। जय शाह ने खबर छापने वाले न्यूज पोर्टल, उसके संस्थापक संपादकों, प्रबंध संपादक, लोक संपादक, खबर लिखने वाली पत्रकार के खिलाफ अदालत में मानहानि का केस दर्ज किया था। अदालत में शुरूआती सुनवाई में आरोपों को सही पाते हुए केस चलाने का फैसला किया था। लेकिन इससे बचने के लिए सभी आरोपियों ने अहमदाबाद हाईकोर्ट में केस को रद्द की गुहार लगाई थी। अहमदाबाद हाईकोर्ट में मानहानि के आरोपों को सही मानते हुए केस चलाने की इजाजत दे दी थी। हाईकोर्ट के इस फैसले के खिलाफ सभी आरोपी सुप्रीम कोर्ट पहुंचे थे। लेकिन अब याचिका वापस लेने के बाद उनके खिलाफ निचली अदालत में सुनवाई शुरू होने का रास्ता साफ हो गया है।


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