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धरा रह गया शपथ ग्रहण को सिलवाया नया सूट

केंद्रीय मंत्रिमंडल में हुए फेरबदल में प्रदेश काग्रेस अध्यक्ष व राज्यसभा सदस्य प्रदीप कुमार बलमुचू अंतिम वक्त में चूक गए। उन्हें मंत्रिमंडल में जगह नहीं मिली। लंबे अरसे से यह कयास लगाया जा रहा था कि सुबोधकात सहाय को हटाकर बलमुचू को झारखंड कोटे से मंत्री बनाया जाएगा।

By Edited By: Published: Mon, 29 Oct 2012 08:15 AM (IST)Updated: Mon, 29 Oct 2012 08:16 AM (IST)
धरा रह गया शपथ ग्रहण को सिलवाया नया सूट

राची [प्रदीप सिंह]। केंद्रीय मंत्रिमंडल में हुए फेरबदल में प्रदेश काग्रेस अध्यक्ष व राज्यसभा सदस्य प्रदीप कुमार बलमुचू अंतिम वक्त में चूक गए। उन्हें मंत्रिमंडल में जगह नहीं मिली। लंबे अरसे से यह कयास लगाया जा रहा था कि सुबोधकात सहाय को हटाकर बलमुचू को झारखंड कोटे से मंत्री बनाया जाएगा। शनिवार को सहाय के इस्तीफा सौंपने के बाद बलमुचू का मंत्री बनना तय माना जा रहा था। शपथ ग्रहण के लिए उन्होंने नया शूट भी सिलवा लिया था, लेकिन सारी तैयारी धरी रह गई। बलमुचू के मंत्री नहीं बनने की वजह काग्रेस महामंत्री राहुल गाधी का वीटो माना जा रहा है।

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काग्रेस महासचिव राहुल गाधी ने 25-26 सितंबर के झारखंड दौरे में प्रदेश काग्रेस का आतरिक विवाद खुद अपनी आखों से देखा था। बोकारो में बंद हॉल में जब पार्टी की विस्तारित कार्यसमिति की बैठक हुई तो उन्होंने स्पष्ट कह दिया कि झारखंड में काग्रेस की स्थिति बहुत कमजोर है। जाहिर है उनका गुस्सा संगठन के ऊंचे पदों पर जमे नेताओं के प्रति था।

राहुल गाधी के कान तक यह बात पहुंची कि कई नेताओं को बोलने का मौका नहीं मिला तो उन्होंने खास तौर पर प्रदेश प्रभारी शकील अहमद को फिर से राची भेजा। शकील अहमद ने दिनभर बैठक की। इस दौरान राहुल गाधी को संबोधित लिफाफे उन्हें सौंपे गए। जिसका आशय था कि अरसे से पदों पर कब्जा जमाए काग्रेसियों के कारण संगठन जड़ता की स्थिति में है। इसे उबारने के लिए कमान नए और अपेक्षाकृत युवा हाथों में देनी होगी। प्रदेश अध्यक्ष प्रदीप बलमुचू की सरेआम शिकायत से भी उनके खिलाफ माहौल बना।

आलाकमान के ध्यान में यह भी गया कि घूम-फिरकर अहम पद चंद नेताओं के हाथ में ही आते हैं जिससे प्रतिबद्ध कार्यकर्ताओं का बड़ा समूह निष्क्रिय हो गया है। बताते हैं कि बलमुचू का नाम नए मंत्रियों की सूची में था, लेकिन अंतिम समय में आलाकमान ने फैसला बदल दिया। इस निर्णय में राहुल गाधी के हस्तक्षेप को अहम माना जा रहा है। इससे बलमुचू समर्थक खासे मायूस हैं। शपथग्रहण के लिए बलमुचू ने नया शूट सिलवाया था। राची से उनके निजी सचिव बॉब आननफानन में सूट सिलवाकर प्लेन से दिल्ली ले गए थे, लेकिन सारी तैयारी धरी रह गई। इससे समर्थकों में मायूसी छा गई। ज्यादातर ने अपने मोबाइल बंद कर लिए। बलमुचू का पत्ता कटने से प्रदेश काग्रेस का एक खेमा उत्साहित भी दिखा। झारखंड कोटे से केंद्र में मंत्री बनने की होड़ में राज्यसभा सदस्य धीरज प्रसाद साहू भी थे, लेकिन उनके अरमानों पर भी पानी फिर गया। साहू ने वैश्य मतदाताओं का हवाला देकर मंत्रिमंडल में अपने लिए जगह की गुहार लगाई थी। कई नेता उनकी पैरवी में भी लगे थे।

कहा जा रहा है कि साहू की राह में कई रोड़े थे। 2010 के राज्यसभा की सीबीआइ जाच का आदेश दिया गया है। साहू 2010 में ही राज्यसभा के लिए चुने गए थे। काग्रेस के विश्रामपुर के विधायक सह पूर्व सासद चंद्रशेखर दूबे ने ही इनकेखिलाफ पैसे बाटने का आरोप सरेआम लगाया था। भविष्य में किसी प्रकार की असहज स्थिति पैदा न हो, इसे देखते हुए साहू के नाम पर विचार टाल दिया गया।

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