लाभ बढ़ाने के लिए रेलवे की नई योजना, राजधानी में सेकंड एसी की जगह लेंगे थर्ड एसी कोच
रेलवे सेकंड एसी के डिब्बों की संख्या घट सकती है, जबकि थर्ड एसी के कोच बढ़ाए जा सकते हैं।
नई दिल्ली, (जागरण ब्यूरो)। राजधानी ट्रेनों में फ्लेक्सी किरायों को उदार बनाने के लिए सेकंड एसी के डिब्बों की संख्या घट सकती है, जबकि थर्ड एसी के कोच बढ़ाए जा सकते हैं। रेल मंत्रालय इस संबंध में गंभीरतापूर्वक विचार कर रहा है।
रेलवे बोर्ड के एक उच्च अधिकारी के अनुसार 'राजधानी ट्रेनों में सेकंड एसी से रेलवे को सबसे कम, जबकि थर्ड एसी से सबसे ज्यादा कमाई होती है। लिहाजा यदि सेकंड एसी के कोच कम कर थर्ड एसी के कोच बढ़ा दिए जाएं तो कमाई में इजाफा हो सकता है। हम इस दिशा में विचार कर रहे हैं। इसके लिए हमें थर्ड एसी के ज्यादा कोच की आवश्यकता होगी। चूंकि कोच फैक्टि्रयों का उत्पादन बढ़ गया है, लिहाजा अब यह संभव है।'
आम तौर पर राजधानी ट्रेनों में सेकंड एसी के तीन से लेकर पांच तक कोच लगाए जाते हैं। इस समय लगभग 44 राजधानी ट्रेनें चल रही हैं। यदि प्रत्येक राजधानी के चार सेकंड एसी कोच हटा दिए जाएं तो कुल 160 कोच हटेंगे और इनकी जगह इतने ही थर्ड एसी के कोच लगेंगे। मरम्मत और रखरखाव के लिए 40 स्पेयर कोच का इंतजाम और करना होगा। इस तरह राजधानी ट्रेनों के लिए थर्ड एसी के 200 अतिरिक्त कोच की आवश्यकता पड़ेगी। चूंकि उत्पादन इकाइयों को पहले ही थर्ड एसी कोच का उत्पादन बढ़ाने को कहा जा चुका है, इसलिए राजधानी ट्रेनों के लिए थर्ड एसी बोगियों की अतिरिक्त जरूरत को आसानी से पूरा किया जा सकता है।
राजधानी ट्रेनों से कमाई का मुद्दा फ्लेक्सी किरायों के कारण चर्चा में है। फ्लेक्सी किरायों से रेलवे को वित्तीय रूप से तो फायदा हो रहा है, लेकिन छवि को भारी नुकसान पहुंचा है। पिछले वित्त वर्ष के दौरान फ्लेक्सी किरायों की बदौलत रेलवे को 862 करोड़ रुपये की अतिरिक्त आमदनी हुई है। रेलवे इसे छोड़ना नहीं चाहता, लेकिन साथ ही उसे अपनी छवि सुधारने की भी चिंता है। ऐसे में रेल प्रशासन कोई बीच का रास्ता निकालने की तरकीब तलाश रहा है। राजधानी ट्रेनों में सेकंड एसी के मुकाबले थर्ड एसी का अनुपात बढ़ाने का उपाय ऐसी ही एक तरकीब है। इससे राजधानी ट्रेनों में लागू मौजूदा फ्लेक्सी किरायों को उदार बनाने में आसानी होगी। इन्हें हमसफर ट्रेनों की तर्ज पर निर्धारित किया जा सकता है। हमसफर ट्रेनों में केवल बाद की पचास फीसद बर्थ पर फ्लेक्सी किराया लागू होता हैं। जबकि शुरू की पचास फीसद बर्थ सामान्य किराये पर आवंटित होती हैं।
फ्लेक्सी किरायों के तहत प्रत्येक दस फीसद सीट/बर्थ की बुकिंग के बाद किराये में दस फीसद बढ़ोतरी होती है जिससे आखिर में किराया डेढ़ गुना तक हो जाता है। राजधानी ट्रेनों में फ्लेक्सी किराया तत्काल बुकिंग के बाद शुरू से ही लागू हो जाता है और पचास फीसद बुकिंग होते ही डेढ़ गुना हो जाता है और आखिर तक इतना ही रहता है।