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एनएसए अजित डोभाल थे म्यांमार ऑपरेशन के सूत्रधार

म्यांमार में उग्रवादियों के खिलाफ सेना के ऑपरेशन ने सेना के साथ साथ देश के लोगों में भी उत्साह का संचार किया है। पिछले कुछ सालों से भारत को एक 'सॉफ्ट कंट्री' के रूप में देखा जाने लगा था।भारतीय सेना के इस ऑपरेशन ने पूरे विश्व को यह संकेत दिया

By Sudhir JhaEdited By: Published: Wed, 10 Jun 2015 09:48 AM (IST)Updated: Wed, 10 Jun 2015 10:52 AM (IST)
एनएसए अजित डोभाल थे म्यांमार ऑपरेशन के सूत्रधार

नई दिल्ली। म्यांमार में उग्रवादियों के खिलाफ सेना के ऑपरेशन ने सेना के साथ साथ देश के लोगों में भी उत्साह का संचार किया है। पिछले कुछ सालों से भारत को एक 'सॉफ्ट कंट्री' के रूप में देखा जाने लगा था।भारतीय सेना के इस ऑपरेशन ने पूरे विश्व को यह संकेत दिया है कि अब हम छोड़ने वाले नहीं हैं, अब हम उग्रवादियों और आतंकियों को खदेड़कर मारेंगे। इस ऑपरेशन के सूत्रधार थे राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजित डोभाल। अजित डोभाल को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के साथ बांग्लादेश के दौरे पर जाना था लेकिन अपनी योजना बदल डोभाल मणिपुर पहुंच गए। मणिपुर में 4 जून को उग्रवादियों के हमले में सेना के 18 जवान शहीद हो गए थे।

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गौरतलब है कि डोभाल को इस तरह के ऑपरेशन का विशेषज्ञ माना जाता है। मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक पिछले कुछ दिनों तक डोभाल मणिपुर में रहे। इस दौरान उन्होंने सेना और इंटेलिजेंस एजेसियों से मिली सूचनाओं पर नजर रखी। इसी के बाद ही भारतीय सेना ने म्यांमार बॉर्डर पर इस ऑपरेशन को अंजाम दिया और उग्रवादियों को मार गिराया।

इससे पहले 1995 में भारत और म्यांमार ने मिलकर 'ऑपरशन गोल्डन बर्ड' लॉन्च किया था, जिसमें करीब 40 उग्रवादियों को मारा गया था। वर्ष 2001 से ही दोनों देश नॉर्थ-ईस्ट के उग्रवादियों के खिलाफ साथ लड़ रहे हैं। रिपोर्ट्स के मुताबिक म्यांमार आर्मी ने मणिपुर के उग्रवादियों के कुछ ठिकाने भी साफ किए हैं।

भारत इस बात को लेकर चिंतित है कि चीन उग्रवादी संगठनों को बढ़ावा दे रहा है। भारत का मानना है कि चीन नए उग्रवादी संगठनोँ को खड़ा करने में जुटा है। 4 जून को भारतीय सेनापर हुए हमले में उग्रवादियों ने आधुनिक हथियारों का इस्तेमाल किया था इस बात से ही साफ हो गया कि उन्हें बाहरी एजेंसियों से मदद मिल रही है।

जानें अजित डोभाल के बारे मेंः---

गुप्तचर ब्यूरो के पूर्व प्रमुख अजित कुमार डोभाल को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के शासनकाल में राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार नियुक्त किया गया।1968 बैच के अवकाश प्राप्त आइपीएस अधिकारी डोभाल ख़ुफ़िया जगत में कार्रवाई करने वाले सबसे तेज अधिकारियों में से एक माने जाते हैं।

अनुभवी अफ़सर

साल 1989 में डोभाल ने अमृतसर के स्वर्ण मंदिर से चरमपंथियों को निकालने के लिए 'आपरेशन ब्लैक थंडर' के तहत पंजाब पुलिस और राष्ट्रीय सुरक्षा गार्ड के साथ मिलकर खुफिया ब्यूरो के अधिकारियों के दल का नेतृत्व किया था।

इसके अलावा डोभाल 1999 में कंधार ले जाए गए इंडियन एयरलाइंस के विमान आइसी 814 के अपहरणकर्ताओं के साथ मुख्य वार्ताकार थे।

राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार राष्ट्रीय सुरक्षा परिषद का मुख्य कार्यकारी होता है और उसका मुख्य काम प्रधानमंत्री को राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय सुरक्षा से जुड़े मुद्दों पर सलाह देना होता है।

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